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Monday, 10 June 2019

205. मरी हुई औरत- सजल कुशवाहा

एक सनसनीखेज मर्डर मिस्ट्री
एक मरी हुई औरत- सजल कुशवाहा
 कुशवाहा कांत के भ्राता जयंत कुशवाहा के ज्येष्ठ पुत्र का उपन्यास।

बहत्तर घण्टों में तीन हत्याएं, एक आत्महत्या, यह रहस्योद्घाटन कि पांच बरस पहले कपिल कुमार की मौत का वास्तविक कारण आत्महत्या नहीं बल्कि हत्या थी। वह घटनाएँ सामने आ चुकी थी और समस्त हत्याओं के लिए जिम्मेदारी व्यक्ति.... अभी तक पुलिस की पकड़ में नहीं आ सका। (पृष्ठ-123)
      तो ये बात है उपन्यास 'मरी हुई औरत' की। जिसके मरने की खबर ने ऐसा हंगामा बरपाया की शहर हादसों का शहर हो गया। शहर में हत्याओं का दौर शुरु हो गया।
    तो आखिर ऐसा क्या था एक मरी हुई औरत में? इस प्रश्न का उत्तर तो खैर उपन्यास पढने पर ही मिलेगा।
        हम बात कर रहे हैं सजल कुशवाहा के उपन्यास 'मरी हुई औरत' की। यह एक मर्डर जासूसी उपन्यास है। जिसका नायक होमीसाईड विभाग का जासूस अजय देव शाही है।
उपन्यास चाहे आकार में छोटा है लेकि कहानी तीव्रता और सस्पेंश से भरपूर है। एक के बाद एक घटनाएं घटती हैं, अपराध होता है, कत्ल होता है और अजय कातिल को छू भी नहीं पाता। यहाँ तक की अजय की उपस्थिति में कत्ल, अजय के कारण कत्ल, फिर भी शातिर दिमाग कातिल पकड़ से दूर रहता है।

       फिल्म अभिनेता कपिल कुमार पर आरोप है। आरोप- एक‌ कमसिन लड़की की मौत। मौत का कारण था उसके साथ किया गया पाशविक बलात्कार। (पृष्ठ-14)
संदिग्ध अवस्था में कपिल की मौत के बाद यह केस खत्म हो गया।
पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के अनुसार उसके पेट में शराब अत्यधिक मात्रा में पाई गई। नशे में वह स्वयं चलकर ऊँचे टीले पर उतना दूर गया या पहुंचाय गया। यह संदेहात्मक बात थी। अब प्रश्न उठता है कि यह मामला हत्या का है या आत्महत्या का।
सार्जेंट अजय जब इस मामले की तह तक पहुंचा तो उसकी आँखें आश्चर्य से फैलती गयी।


मगर पांच वर्ष बाद यह गड़े मुर्दे अचानक फिर उखड़ आये। (पृष्ठ- 24)
पांच वर्ष गायब रहने के बाद सुनयना गार्गी लौट आयी। वह उन चार संदिग्धों में से एक है जिन पर कपिल कुमार की हत्या का शक किया गया था।
             पांच वर्ष तक गायब रहने के बाद वह अचानक वापस आ गयी। हालांकि वह जनता के सामने नहीं आयी।....दो चार दिनों बाद वह टेलीविजन इंटरव्यू में उन परिस्थितियों पर प्रकाश डालने वाली थी जिसके कारण उसे पांच वर्ष तक गोपनीय जीवन व्यतीत करना पड़ा था। (पृष्ठ-09)
                      यहीं से उपन्यास की कहानी आरम्भ होती है। कहानी एक नयी मिस्ट्री, नये ट्विस्ट जे साथ आरम्भ होती है।
पहले एक कमसीन‌ लड़की की हत्या और फिर हत्या आरोपी अभिनेता की संदिग्ध मौत। और फिर एक के बाद एक हत्या का सिलसिला चल पड़ा। जासूस अजय जिस कड़ी तक पहुंचता है वह कड़ी टूट जाती है।
              लेकिन अजय भी कम न था। वह अंततः असली अपराधी तक जा पहुंचता है। यह 'पहुंच' वास्तव में पठनीय है और पाठक को प्रत्येक पृष्ठ पर रोमांचित करती नजर आती है।
अंत में जब सारे रहस्य/अपराध से पर्दा उठता है तो क्या अजय और क्या पाठक सब आश्चर्यचकित रह जाते हैं।

उपन्यास के पात्र- 
अजय- होमीसाइड विभाग का जासूस
कपिल कुमार - फिल्म अभिनेता
दोराबी झुनझुनवाला - फिल्म फाईनेंशर
बलराज खन्ना - फिल्म जगत से, कपिल का साथी
नवाब आलम- कपिल का एक साथी
सुनयना गार्गी- कपिल की साथी
माया बोस- टी.वी. एंकर
रीता अमीन - माया की सहयोगी
अहमद खान- सुपरिण्डेंट होमीसाइड विभाग
सार्जेंट चौहान- होमीसाइड विभागीय कर्मचारी
नईम अहमद- कर्मचारी
बटलर- बलराज का नौकर

            उपन्यास में कुछ प्रसंग/ पात्र ऐसे आते हैं जिनका पहले कहीं वर्णन नहीं है। अचानक से ऐसे घटनाक्रम को समझना मुश्किल हो जाता है।
जैसे- कांति वर्मा का वर्णन, अजय द्वारा दोराब जी पर गोली चलाना।
उपन्यास में ये घटनाए दर्शायी नहीं गयी लेकिन अंत में अचानक से जब इनका वर्णन आता है तो पाठक वापस पृष्ठ पलटने को मजबूर हो जाता है लेकिन घटना कहीं नहीं होती।
उपन्यास अच्छा है। अंत तक सस्पेंश कायम रहता है।
निष्कर्ष-
यह एक मर्डर मिस्ट्री जासूसी उपन्यास है। घटनाएं इतनी तेज गति से होती हैं की जासूसी अजय भी चकित सा रह जाता है। एक के बाद एक कत्ल और कातिल पहचान से बाहर।
उपन्यास में कुछ प्रसंग किसी घटनाएं से असंबंधित से नजर आते हैं, बाकी सब अच्छा है। अगर आप जासूसी उपन्यास पढना चाहते हैं तो यह आपको निराश नहीं करेगा।
उपन्यास-  मरी हुई औरत
लेखक-    सजल कुशवाहा
प्रकाशक-  चिंगारी प्रकाशन, वाराणसी (भारत पॉकेट बुक्स)
पृष्ठ-         143 

3 comments:

  1. उपन्यास तो रोचक लग रहा है लेकिन शायद ही यह अब कहीं मिले। मिलेगा तो जरुर पढ़ूँगा।

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  2. संजय आर्य25 September 2024 at 12:32

    यही उपन्यास"पांच साल बाद " नाम से पुनः प्रकाशित हुआ था। कहानी को जल्दी समेट की कोशिश की गई है।उपन्यास पठनीय है अंत तक रोचकता बनी रहती है।

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