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Thursday, 9 February 2017

20. जंगली घास- लू शुन

जंगली घास- लू शुन की गद्य कविताएँ

चीन के लेखक लू शुन के इस संग्रह में उनकी उन्नीस लघुकथाओं को स्थान दिया गया है।  लगभग लघुकथाएं प्रतिकात्मक है।
पुस्तक के अंतिम कवर पृष्ठ पर लिखे विचार पढ लीजिएगा-
इन प्रतीकात्मक कविताओं के विविध रंग हैं। इनमें स्वप्न का सृजन है जिनमें दु:स्वप्न भी शामिल है। यहाँ कुत्ते से वार्तालाप है, कीङों की भिनभिनाहट है और इंसानों की नजर से खुद को छिपाने की कोशिश करता आकाश है। समाज के ढोंग-पाखंङ, निष्क्रियता, हताश और ठहराव पर विक्षुब्ध टिप्पणी है जो मुखर नहीं है।
  कहानियाँ, जिन्हें गद्य कविता नाम दिया गया है। ये कहानियाँ प्रतीकात्मक होने के कारण पढनें में थोङी मुश्किल है, और पाठक के समझ से बाहर ही रहती है। पर फिर भी कुछ लघुकथाएं पाठक के मन को छू जाती है।
राहगीर एक ऐसी ही रचना है, जो पाठक को प्रभावित करती है। वहीं एक रचना है चतुर आदमी, मूर्ख और गुलाम जो बताती है की हमारी गुलामी के कारण हम स्वयं हम कैसे चतुर आदमी के शब्दजाल में उलझ कर रह जाते हैं। लू शुन की कुछ रचनाओं के बारे में इस पुस्तक की भूमिका में भी लिखा गया है।
सुंदर नरक जो गायब हो गया- कविता का संदर्भ गणतंत्र के छलावा साबित होने से है
ऐसा योद्धा- इसमें उन विद्वानों का वर्णन है जो बिना हथियार के योद्धा है, जो आतताइयों के भाले के आगे घुटने टेक देते हैं।
पतझङ की रात- यह भविष्य के प्रति आशावान और नये सपनों की वाहक रचना है।
इन प्रतीकात्मक रचनाओं में कुछ पंक्तियाँ बहुत ही सुंदर है जो रचनाओं की क्षमता को आगे बढाने में सक्षम है-
"मेरे घर के पिछवाङे की दीवार से उस पार आपको दो पेङ दिखायी देंगे। एक खजूर का पेङ है और दूसरा भी खजूर का पेङ है।"
"आखिर में वह बूढा हो जाता है और बूढापे के कारण शून्यता के पथ पर मर जाता है। सब के बावजूद वह कोई योद्धा नहीं है और शून्यता ही विजेता है।"
"बच्चा मरेगा, यह तो अवश्यंभावी है, जबकि वह धनवान होगा या अफसर बनेगा, ऐसा कहना झूठ भी हो सकता है। फिर भी झूठ की प्रशंसा की जाती है।"
"मेरा हृदय बहुत ही शांत है- प्रेम और घृणा, खुशी और उदासी, रंग और आवाज से शून्य।"
लू शुन की रचनाओं में व्यंग्य की शक्ति भी जबरदस्त है-
मैंने कुत्ते को डाँटते हुए कहा- "हट! चुपकर! नीच चाटुकार!"
उसने दाँत निपोरते हुए कहा-"अरे नहीं! इस मामले में भला आदमी के आगे मेरी क्या हैसियत है।"
इस संग्रह में शामिल रचनाएँ
1.पतझङ की रात 2.परझाई का अवकाश ग्रहण 3.भिखमंगे 4.बदला 5.आशा 6.बर्फ 7.पतंग 8.अच्छी कहानी 9. राहगीर 10. बुझी हुयी आग 11.कुत्ते ने पलट कर कहा 12.सुंदर नर्क जो गायब हो गया था। 13. राय जाहिर करने के बारे में 14.मौत के बाद 15.ऐसा योद्धा 16. चतुर आदमी, मूर्ख और गुलाम 17.चित्तिदार पत्ती 18. खून के धुंधले धब्बों के बीच 19. जागृति
पुस्तक- जंगली घास- लू शुन की गद्य कविताएँ ।
ISBN 81-87772-25-5
लेखक- लू शुन।
अनुवाद- दिगंबर
प्रकाशक- गार्गी प्रकाशन-दिल्ली ।
पृष्ठ-48.
मूल्य-30₹

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लेखक परिचय
विश्व साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर लू शुन की गद्य कविताओं का संकलन पहली बार 1928 में वाइल्ड ग्रास नाम से प्रकाशित हुआ था। इनका लेखन काल सितंबर 1924 से अप्रैल 1926 के बीच का है।

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