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Sunday, 21 March 2021

425. चीते की आँख- वेदप्रकाश कांबोज

अलफांसे की जीवनी
चीते की आँख- वेदप्रकाश काम्बोज

लोकप्रिय जासूसी उपन्यास साहित्य में कुछ पात्रों ने अपनी विशेष पहचान स्थापित की है। और उन पर बहुसंख्यक लेखकों ने कलम चलाई है और उन्हें अपने-अपने अंदाज में प्रस्तुत कर नया रूप भी प्रदान किया है।
जैसे भूतनाथ, जेम्स बाॅण्ड, विनोद-हमीद, विजय-रघुनाथ, रीमा भारती इत्यादि।
   आज हम एक ऐसे पात्र की चर्चा करने जा रहे हैं जिसका नाम है- अलफांसे। 
चीते की आँख- वेदप्रकाश कांबोज

चीते की आँख- वेदप्रकाश कांबोज

वैसे तो अलफांसे को लेकर बहुत से लेखकों ने बहुत कुछ लिखा है लेकिन यहाँ हम बात कर रहे हैं आदरणीय वेदप्रकाश काम्बोज द्वारा लिखित उपन्यास 'चीते की आँख' की, जो वेदप्रकाश काम्बोज जी द्वारा अलफांसे सीरीज का प्रथम उपन्यास है।
   अलफांसे मूलतः इब्ने सफी जी द्वारा निर्मित पात्र है। इब्ने सफी जी ने अलफांसे को लेकर चार उपन्यास लिखे थे। बाद में कांबोज जी ने अपने हिसाब से इस पात्र को एक अलग रूप प्रदान किया।
     मेरी जिज्ञासा थी अलफांसे का इतिहास जानने की जो की मुझे 'चीते की आँख' नामक उपन्यास से मिला।      मैं यहाँ उपन्यास के कथानक पर विस्तृत चर्चा नहीं करूंगा। इसके दो कारण है एक तो कहानी का रहस्य खुल सकता है और द्वितीय यह की उपन्यास कथा के तौर पर इतना विशिष्ट नहीं है जितना की अलफांस के अतीत को समझने के लिए उपयोगी है। ठीक वैसे जैसे इतिहास की किताब में आप अगर कहानी ढूंढ रहे हो।
     उपन्यास में अलफांसे के जन्म से लेकर उसके खतरनाक रूप में प्रवर्तित होने का मनोरंजक चित्रण है।
कैसे एक छोटा सा बच्चा विभिन्न परिस्थितियों में ढलता है और अपने‌ को परिस्थितियों के समझ झुकने नहीं देता बल्कि दृढता से उनका सामना करता है। वह हर कठिन परिस्थिति से डटकर संघर्ष करता है और यही संघर्ष उसकी अंतरराष्ट्रीय पहचान स्थापित करता है।
   उपन्यास हमें बताता है की कैसे भारतीय मूल की माँ और ब्रिटिश मूल के पिता से जन्म बच्चा अपने जन्म से ही अनेक कठिन घटनाओं और परिस्थितियों का सामना करता है।
  अलफांसे का भारत से बस यही संबंध है बाकी उसकी पालन-पोषण ब्रिटेन‌ में ही होता है।
    लेकिन हालत उसके यहाँ भी अच्छे नहीं होते। एक सम्पन्न परिवार में, भरपूर प्यार देने वाले माता-पिता (अलफांस के पिता के चाचा-चाची) होते हैं पर उनके जीवन में कुछ कठिनाइयाँ आती हैं। जो उन्हें देश परिवर्तन करने पर विवश करती हैं। और आगे यह परिवर्तन या कहें देश यात्रा अलफांसे के समय भी चलती रहती है।
छोटी सी उम्र में वह भारत, ब्रिटेन, पेरिस, हांगकांग, न्यूयार्क, मियामी जैसे जगहों पर घूम लेता है। यही कारण है की वह बहुभाषी है। हर देश की सभ्यता को जानता है।
    उपन्यास मात्र अलफांसे का इतिहास नहीं है। कहानी भी है और वह कहानी है 'चीते की आँख' एक डकैती की कहानी।
छोटी सी उम्र में कैसे अलफांसे डकैती करता है और कैसे धोखेबाज साथियों को धोखे की सजा देता है। यह भी पठनीय है।
- सन उन्नीस सौ पैंतीस की जनवरी की एक सुबह झाँसी छावनी में एक एक अंग्रेज युवक लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्त होकर इंग्लैंड से आया।....लेफ्टिनेंट जेम्स गारनर।
- आखिर खिन्न होकर दिसंबर उन्नीस सौ सैंतीस में उसने भारत छोड़ दिया। (पृष्ठ-13) वह सिंगापुर आ गया।
मई अड़तीस में उसने एक पुत्र को जन्म दिया। (पृष्ठ-13)
आस्ट्रेलिया में अपने एक दूर के चाचा को के साथ पत्र व्यवहार करके उसने पूछा कि क्या वे उसके पुत्र का लालन-पालन करने के लिए तैयार हैं? (पृष्ठ-13)
- डाक्टर जोहन हैरिस अपनी जर्मन पत्नी ईवा के साथ बच्चे को लेकर सिंगापुर से आस्ट्रेलिया आया।
-नीग्रो नौकर आर्थर ने अलफांसे को छोटी उम्र में  शारीरिक रूप से मजबूत बनाया।
  उपन्यास में‌ कुछ शाब्दिक गलतियाँ है, उस तरफ ध्यान देना चाहिए। 
उपन्यास की प्रथम पंक्ति में ही सन की गलती है, वह पैंतालीस की जगह पैंतीस होना चाहिए।

  अगर आपकी इच्छा अलफांसे के इतिहास को जानने की है तो यह उपन्यास आपके लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
धन्यवाद।
उपन्यास- चीते की आँख
लेखक-    वेदप्रकाश काम्बोज
प्रकाशक-  नीलम जासूस कार्यालय
पृष्ठ-         153

समीक्षक- गुरप्रीत सिंह
ब्लॉग-   www.svnlibrary.blogspot.com


चीते की आँख- वेदप्रकाश कांबोज
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11 comments:

  1. बढ़िया उपन्यास था यह मुझे काफी अच्छा लगा था अल्फांसे का ओरिजिन लेकिन कुछ गलतियां भी है कही नाम ही गलत हो जाता है, कही जैसा आपने कहा शब्दो की गलतियां है तो यह चीजे फ्लो खराब कर देती है कहानी का

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    1. हां, कुछ गलतियाँ प्रभावित करती हैं।

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  2. बढ़िया उपन्यास था यह मुझे काफी अच्छा लगा था अल्फांसे का ओरिजिन लेकिन कुछ गलतियां भी है कही नाम ही गलत हो जाता है, कही जैसा आपने कहा शब्दो की गलतियां है तो यह चीजे फ्लो खराब कर देती है कहानी का

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  3. बढ़िया उपन्यास था यह मुझे काफी अच्छा लगा था अल्फांसे का ओरिजिन लेकिन कुछ गलतियां भी है कही नाम ही गलत हो जाता है, कही जैसा आपने कहा शब्दो की गलतियां है तो यह चीजे फ्लो खराब कर देती है कहानी का

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  4. ये दुनिया इंसानी जंगल है और अल्फाँसे इस जंगल का शेर है।

    अल्फाँसे एक कुआँ है, जैसा बोलोगे वैसा जवाब मिलेगा।

    मेरा पसंदीदा किरदार, विजय को कोई टक्कर दे सकता है तो सिर्फ अलफांसे। दुनिया की कोई जेल जिसे कैद नहीं रख सकती।

    बहुत ही बढ़िया जानकारी। धन्यवाद।

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    1. बिलकुल सही कहा।
      'यह दुनिया कंक्रीट का जंगल है और अलफांसे इस जंगल का शेर है।'

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  5. अल्फांसे के बारे में बहुत सुना है। पहले लगता था ये जगत जैसा पात्र है। पर अब सुनने में आया है कि अल्फांसे जगत से काफी अलग है। जगत मानवतावादी है जबकि अल्फांसे पैसों के लिए काम करता है। और जिस प्रकार जगत राजेश का सम्मान करता है, अल्फांसे और विजय का मामला उससे अलग है। वे दोनों बराबरी के हैं। विजय, अल्फांसे और केशव पण्डित इन हीरोज की भरपूर तारीफ सुनने के बाद अब इनके उपन्यास अब तक नहीं पढ़ने का अफसोस हो रहा है। अब इनके उपन्यास जल्द पढ़ने हैं।

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    1. बहुत रोचक पात्र है। मुझे लगता है इस पर और भी अच्छा लिखा जा सकता है।।

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  6. यह उपन्यास कहां उपलब्ध है।

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    1. https://neelamjasoos.com
      इस साइट पर संपर्क करें।

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