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Sunday, 31 January 2021

416. पवित्र पापी- नानक सिंह

पवित्र पापी- नानक सिंह, उपन्यास
मनुष्य से जाने और अनजाने में गलतियाँ हो जाती हैं। कभी मनुष्य उन गलतियों को स्वीकार कर लेता हैऔर कभी नहीं। 
   सच्चा मनुष्य वही है जो अपनी गलती को स्वीकार कर ले। लेकिन कभी-कभी परिस्थितियाँ कुछ और ही कहानी व्यक्त कर देती हैं। मनुष्य को स्वयं तो लगता है उस से गलती हुयी लेकिन अन्य लोग मानते हैं कि वह गलत नहीं, ऐसी स्थिति को आप क्या कहेंगे। 

पवित्र पापी- नानक सिंह
पवित्र पापी- नानक सिंह
       पंजाबी के चर्चित कथाकार हैं नानक सिंह। पंजाबी साहित्य को समृद्ध करने में उनका अतुलनीय योगदान है। उनका रचित साहित्य पंजाबी कथासाहित्य में श्री वृद्धि करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  मैं स्वयं पंजाबी हूँ, लेकिन पंजाबी में मैंने कभी विस्तृत साहित्य नहीं पढा। कहानियाँ और कविताओं के अतिरिक्त कभी नहीं। पंजाबी उपन्यास पढने का यह पहला अवसर है। पंजाबी उपन्यास और गुरुमुखी लिपि में।
  पंजाब के खन्ना शहर के मित्र नवनीश भट्टी जी ने मुझे दो पंजाबी उपन्यास भेजे थे। नानक सिंह द्वारा रचित 'पवित्र पापी' और कृशनचंदर का 'एक औरत हजार अफसाने'(पंजाबी में‌ अनूदित) मैं‌ नवनीश का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ ।
    अब चर्चा करते हैं प्रस्तुत उपन्यास की।

यह कहानी है कारण किदार‌ नामक एक नवयुवक की।  बेसहारा किदार रावलपिंडी के एक घड़ीसाज के यहाँ नौकर हो जाता है।
     पन्ना लाल का जीवन अर्श से फर्श पर आ चुका था। और परिवार के जीवन यापन का एकमात्र सहारा भी एक दिन उसके जीवन से किदार की वजह से चला गया, और पन्ना लाल भी।
    किदार के यह असह्य था, कि उसकी वजह से किसी को दुख हो। सहृदय किदार नैतिक दृष्टि से उस परिवार से सहारा बनता है। लेकिन वह उस सच का अपने तक सीमित रखता है।
   पन्ना लाल की बेटियों की शादी, अर्श के समय का लिया गया कर्जा चुकाने में उसका परिवार सक्षम नहीं होता। यही सब मजबूरियां अब किदार को निभानी है।
  वह इन परिस्थितियों और मजबूरियों में कहां तक सक्षम होता है, कहां तक परिवार का साथ दे पाता है। यह सब बहुत मार्मिक ढंग से उपन्यास में‌ व्यक्त किया गया है।
इसके अतिरिक्त कोई किदार के जीवन का प्रेम प्रसंग भी उसे अंदर ही अंदर घुट-घुट कर मरने को मजबूर कर देता है।
    उपन्यास में किदार के व्यक्तित्व से पाठक स्वयं को सहज ही जोड़ लेता है। वह उसके भावनात्मक संबंधों और मजबूरियों- परिस्थितियों से आबद्ध जीवन को जानने को व्याकुल सा हो उठता है।
     साहित्य रचनाओं की एक यह विशेषता होती है कि वे मनुष्य में भावनात्मक संबंधों को दृढ करती है। किदार का भी अन्य लोगों से भावनात्मक संबंध इतना दृढ होता है कि वह स्वयं के जीवन को ही विस्मृत कर देता है।
     'पवित्र पापी' उपन्यास मानवीय संवेदना को आधार बमा कर लिखा गया एक मार्मिक उपन्यास है।
  सहृदय पाठकों को यह अवश्य पढना चाहिए।
धन्यवाद
-गुरप्रीत सिंह
श्री गंगानगर, राजस्थान
उपन्यास- पवित्र पापी (पंजाबी साहित्य)
लेखक- नानक सिंह
प्रकाशक-
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