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Thursday 12 December 2019

249. तिजोरी का रहस्य- इब्ने सफी

जासूसी दुनिया- अंक-04
तिजोरी का रहस्य- इब्ने सफी, #फरीदी- हमीद सीरीज
लोकप्रिय जासूसी साहित्य के लेखक इब्ने सफी जी का उपन्यास 'तिजोरी का रहस्य' पढा। यह एक लघु कलेवर का रोचक उपन्यास है।
      यह कहानी है एक शहर की जहाँ कुछ रहस्यमयी घटित होगा है। रहस्यमयी होने ले साथ-साथ वह घटना रोचक भी है।
घटना है शहर में तिजोरियों से संबंधित है। एक के बाद एक घटित यह वारदातें पुलिस के लिए हैरतजनक है।
      तीन दिन से शहर की पुलिस बुरी तरह से परेशान थी। सेठ अग्रवाल के यहाँ डाके के बाद से अब तक इसी तरह की दो और वारदातें हो चुकी थी।
शहर के मशहूर दौलतमंदों की तिजोरियां खोली जायें लेकिन कोई चीज गायब न हो और तिजोरियों को खोलने वाले साफ बच कर निकल जायें।
(उपन्यास अंश)
है ना अपने आप में यह रोचक घटना। चोर आते हैं, तिजोरी खोलते हैं, देखते हैं और बिना कुछ चुराये वापस चले जाते हैं।
यह घटनाएं सभी के लिए आश्चर्यजनक हैं।
- आखिर क्या रहस्य है तिजोरी का?
- कौन है इस वारदात के पीछे?
- आखिर क्या खोजा जा रहा है तिजोरियों में से?

यह सब रहस्य समाहित है इब्ने सफी जी के उपन्यास 'तिजोरी का रहस्य' में। 


यह सब घटनाएं इंस्पेक्टर जगदीश के क्षेत्र में होती है लेकिन इस रहस्य को हल करते हैं जासूसी फरीदी और सार्जेंट हमीद।
घटनाक्रम छोटा सा है इसलिए उपन्यास पर ज्यादा चर्चा नहीं की जा सकती। हां, कुछ पात्रों पर चर्चा कर लेते हैं।
उपन्यास में इंस्पेक्टर जगदीश का किरदार है और उसके अतिरिक्त जासूस विभाग के कारनामे हैं। लेकिन इनके अतिरिक्त अगर कोई प्रभावित करता है तो वह है दिलावर खाँ।
जी हां, दिलावर खान का किरदार उपन्यास में छाया रहता है। क्योंकि वह है ही इतना खतरनाक आदमी। हमीद भी उसके विषय में कहता है- ऐसी ताकत रखने वाला आदमी आज तक उसकी नजरों से न गुजरा था। उसका घूँसा था या बिजली का करेण्ट का धक्का, जिसने इतने लम्बे-तगड़े आदमी को इतनी दूर उछाल दिया था।
और खुद दिलावर खान क्या कहता है यह भी पढ दीजिएगा।
- मेरे पीछे लगने की सजा मौत है।
और दिलावर हाजिए जवाबी भी है।
-"बड़े तीस मार खाँ हो।"- नकाबपोश ताना मारकर बोला।
"मैं तीस दूना साठ मार खाँ हूँ बेटा।"-दिलावर खान सीने पर हाथ मारते हुए बोला।

यह बात तो रही दिलावर खान की लेकिन कम तो फरीदी भी नहीं है, आखिर वह उपन्यास का मुख्य नायक जो ठहरा।

     अच्छा अब कुछ रोचक बात भी कर लेते हैं। वह दौर ही ऐसा था की नायक अब कुछ कर लेता था। लेखक भी ज्यादा दिमाग लगाने की बजाय अजीब तरीके काम में‌ ले लेते थे चाहे वह तरीके हास्यास्पद ही क्यों न हो।
एक दृश्य है फिंगरप्रिंट से संबंधित जहाँ सहनायक और चीफ के मध्य वार्ता होती है।
- चीफ ने एक कागज हमीद की तरफ बढा दिया जिसके ऊपर किसी आदमी की उंगलियों के निशान थे।
"क्या इन्हे तुम पहचान सकते हो?"- चीफ ने पूछा।
हमीद थोड़ी देर तक उन निशानों‌ को देखता रहा, फिर कहा-"जी नहीं।"
और चीफ की तरफ सवालिया निगाहों से देखने लगा।

अब पता नहीं कैसे कागज पर फिंगरप्रिंट को नंगी आंखों से पहचान लेते थे।
चलो फिर भी जैसा है वह चलता है। आप उपन्यास पढने का आनंद लीजिएगा।
और अंत में....
एक शहर में हो रही रहस्यमयी घटनाओं पर आधारित यह उपन्यास काफी रोचक और दिलचस्प है।
लघु आकार होने के कारण कम समय में पढा जा सकता है।

उपन्यास- तिजोरी का रहस्य
लेखक- इब्ने सफी
प्रकाशक- हार्पर कालिंस
#फरीदी- हमीद सीरीज

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