मुख्य पृष्ठ पर जायें

Thursday, 12 December 2019

248. औरतफरोश का हत्यारा इब्ने सफी

जासूसी दुनिया अंक-03
औरत फरोश का हत्यारा- इब्ने सफी

इब्ने सफी साहब का लिखा हुआ इंस्पेक्टर फरीदी सीरिज का द्वितीय उपन्यास है 'औरतफरोश का हत्यारा'.
यह एक मर्डर मिस्ट्री आधारित रोचक उपन्यास है।
www.sahityadesh.blogspot.in
इंस्पेक्टर फरीदी और सार्जेंट हमीद एक दिन मनोरंजन के लिए निकले।
दोनों ने ‘गुलिस्ताँ होटल’ पहुँच कर टिकट ख़रीदे और हॉल में दाख़िल हो गये। सारा हॉल क़ुमक़ुमों से जगमगा रहा था और संगीत की लहरें फ़िज़ा में फैल रही थीं।
            यहाँ उन्हे शहनाज मिली, लेड़ी सीता राम मिली- लेडी सीताराम सत्ताईस-अट्ठाईस साल की औरत थी। उसके होंट बहुत ज़्यादा पतले थे जिन पर बहुत गहरे रंग की लिपस्टिक लगायी गयी थी, ऐसा मालूम होता था जैसे उसने अपने होंट भींच रखे हों। माथे पर पड़ी हुई लकीरें ख़राब नहीं मालूम होती थीं। और अपराधी राम सिंह भी मिला। ‘‘उसका नाम राम सिंह है और यह ख़तरनाक आदमी है।’’
इसी दौरान वहाँ एक वारदात हो गयी।

होटल का मैनेजर ऊपर गैलरी में खड़ा चीख़-चीख़ कर कह रहा था।
‘‘भाइयो और बहनो... मुझे अफ़सोस है कि आज प्रोग्राम इससे आगे
न बढ़ सकेगा।’’
‘‘क्यों? किसलिए?’’ बहुत-सी ग़ुस्सैल आवाज़ें एक साथ सुनाई दीं।
‘‘यहाँ एक आदमी ने अभी-अभी ख़ुदकुशी कर ली है।’’


                  इस खुदकुशी को जहाँ इंस्पेक्टर सिन्हा खुदकुशी मान रहा था वहीं फरीदी इसे एक कत्ल मानता है। यहीं से उपन्यास एक तेज रफ्तार पकड़ता है और एक के बाद एक रहस्य-रोमांच भरी घटनाओं से गुजरता हुआ कहानी के तेज प्रवाह के साथ एक बेहतरीन क्लाईमैक्स तक पहुंचता है।
कत्ल की एक गवाह है। फरीदी जिसे गवाह मानता है और पुलिस उसे हत्या कर्ता। और एक दिन वह भी गायब हो जाती है।
                उपन्यास का हर किरदार समय-समय के साथ नये रंग में नजर आता है। वह चाहे अपराधी हो, जासूस हो या सामान्य पात्र।
शहनाज कभी-कभी मासूम नजर आती है तो कभी-कभी एक षड्यंत्रकर्ता और लेडी सीताराम के लिए तो हमीद को कहना पड़ा-ऐसी औरत आज तक उसकी नज़रों से नहीं गुज़री थी। कमबख़्त....।"

उपन्यास एक कत्ल और फिर उसके हत्यारे की खोज पर आधारित है। फरीदी का काम करने का तरीका वह कुछ विचित्र है। कभी-कभी उसका साथी हमीद भी परेशान हो जाता है की आखिर फरीदी करना क्या चाहता है।

औरत फरोश का हत्यारा-
              फरोश शब्द का अर्थ होता है विक्रेता। इस तरह उपन्यास के शीर्षक का अर्थ हैं औरतों को बेचना वाले का हत्यारा।
अब यह रहस्य उपन्यास पढने पर ही खुलता है की वह शख्स कौन था जो औरतों का व्यापार करता था और उसका हत्यारा कौन था। और उसने हत्या क्यों की?


उपन्यास में हास्य रस भी भरपूर मात्रा में है। एक उदाहरण देखें-
‘‘यह ज़रा मुश्किल चीज़ है, लेकिन तुम जो कहो, मैं करने के लिए तैयार हूँ।’’ सुरेन्द्र बोला।
‘‘आओ, हम तुम कहीं दूर चले जायें, बहुत दूर... जहाँ हम दोनों के सिवा और कोई न हो।’’
‘‘अरे-रे-रे...नहीं... वहाँ हमारा खाना कौन पकायेगा।’’ सुरेन्द्र हँस कर बोला।

ऐसा एक दृश्य और भी जहाँ पाठक उलझ कर रह जाते हैं की आखिर हो क्या रहा है- ---
कर्नल प्रकाश, उसी तरह नाचता हुआ बोला। ‘‘बोलो मत... बोलो मत... चीं खीं चीं गीरोला। मैं ख़ुशी का नाच-नाच रहा हूँ। अफ़्रीका के जंगलियों का नाच... गीरोला चिप्पी पैनी।

यह सारा उपन्यास एक पंक्ति पर आधारित है और वह पंक्ति है- "मुहब्बत अन्धी होती है। वह अच्छाई या बुराई कुछ नहीं देखती।’’
उपन्यास में एक पात्र का अपहरण हो जाता है लेकिन उसकी खोजबीन की कहीं कोई चर्चा नहीं। पुलिस उसे अपहरण को एक अपहर्ता की साजिश मान कर छोड़ देती है।
उपन्यास में कुछ ट्विस्ट पैदा हो सकते थे लेकिन उपन्यास को बिलकुल सीधा-सादा रखा गया है। वह दौर भी ऐसा ही था। फिर भी लघु कलेवर का यह उपन्यास मनोरंजक है।

निष्कर्ष-
मर्डर मिस्ट्री पर आधारित यह एक रोचक उपन्यास है। कथानक चाहे छोटा सा है लेकिन दिलचस्प है। उपन्यास पठनीय है।
उपन्यास- औरतफरोश का हत्यारा
लेखक-    इब्ने सफी
प्रकाशक- हार्पर काॅलिंस

जासूसी दुनिया- अंक -02
#फरीदी-हमीद सीरिज।

No comments:

Post a Comment