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Friday, 15 November 2024

शिकारी का शिकार- वेदप्रकाश काम्बोज

गिलबर्ट सीरीज का प्रथम उपन्यास
शिकारी का शिकार- वेदप्रकाश काम्बोज

ब्लैक ब्वॉय विजय की आवाज पहचान कर बोला-"ओह सर आप, कहिए शिकार का क्या हाल हैं ?"
"शिकार का तो शिकार हो गया चीफ ।" विजय बोलाः- वह भी मैंने नहीं किया बल्कि कोई और कर गया है ।"
"क्या मतलब ?"
और प्रत्युत्तर में विजय ने संक्षेप में उसे रेस्तराँ में हुई पूरी घटना सुना दी ।

    लोकप्रिय उपन्यास साहित्य के स्तम्भ श्री वेदप्रकाश काम्बोज जी अब इस दुनिया में नहीं रहे, उनका निधन 06.11.2024 को हो गया पर उनके द्वारा रचित साहित्य हमेशा अमर रहेगा। उन्होंने उपन्यास साहित्य को 'विजय-रघुनाथ' जैसे सदाबाहर पात्र दिये हैं, जिनके लिये पाठकवर्ग उनका हमेशा आभार व्यक्त करता रहेगा । वेदप्रकाश काम्बोज द्वारा रचित साहित्य में आनंद और थ्रिलर का अनोखा मिश्रण है।
वेदप्रकाश काम्बोज जी
   इन दिनों मैंने काम्बोज जी का उपन्यास 'शिकारी का शिकार' पढा जो की 'विजय-रघुनाथ और गिलबर्ट सीरीज' का उपन्यास है, या कहे की यह गिलबर्ट का प्रथम उपन्यास है, गिलबर्ट के कारनामों की भूमिका मात्र है।

Friday, 8 November 2024

कत्ल की सौगात- राहुल

एक वृद्ध गैंगस्टर की कहानी
कत्ल की सौगात- राहुल

उसने बड़े शांतिपूर्वक वह छोटी-सी चीज उठाई और नौजवान धीरज की छाती पर दाग दी।
'यह है मेरा जवाब-कत्ल की सौगात ।'
धीरज चीख मारकर गिरा। दो-चार बार हाथ-पांव हिलाए और दम तोड़ दिया ।
नीरज ने आतंकित स्वर में कहा- 'यह तुमने क्या किया, बड़े भाई ।'
'सौगात उठाओ और यहां से चलते बनो।' एम. के. ने जवाब दिया-'फर्श मैं खुद साफ कर लूंगा। लाश को तुम ठिकाने लगा देना। जाओ, मेरा मुंह क्या देख रहे हो ? आज भी मैं तुम्हारा बॉस हूं-सीमा को तुमसे पाने के लिए मैंने तुम्हारी दुश्मन सिंडीकेट के कत्ल का तोहफा तुम्हें दिया था। वह तुम्हें बहुत पसंद आया था। यह तोहफा पसंद नहीं आया ?'
 -(कत्ल की सौगात (राहुल) उपन्यास में से)

  इन दिनों राहुल का यह मेरे द्वारा पढे जाने वाला द्वितीय उपन्यास है। इस से पूर्व मैंने राहुल का एक थ्रिलर उपन्यास 'टाॅप सीक्रेट' पढा हो कथानक के स्तर पर मुझे बहुत रोचक लगा था।
   प्रस्तुत उपन्यास का लेखन भी 'टाॅप सीक्रेट' उपन्यास जैसा ही है पर कहानी बिलकुल अलग है।
कहानी आरम्भ होती है एक युवती से।
चांदनी रात भी इतनी भयानक हो सकती है, सीमा ने सपने में भी नहीं सोचा था। भागते-भागते उसकी सांस फूल गई थी और शरीर का अंग-अंग बकावट से इस तरह टूटने लगा था कि उसे लगा वह अगले ही पल धमाके से बम की तरह फट जाएगी और उसका अंग-अंग पत्थरों की तरह नीचे घाटी में लुढ़कता हुआ अपना अस्तित्व खो देगा।

Monday, 4 November 2024

टाॅप सिक्रेट - राहुल

आखिर क्या था- टाॅप सिक्रेट
टाॅप सिक्रेट- राहुल

प्राइवेट डिटेक्टिव भास्कर शेट्टी चोर की तरह अपने ऑफिस में पिछले दरवाजे से दाखिल हुआ ताकि उसकी चुलबुली सैक्रेटरी सोनाली उसे देखकर टोक न दे।
अपने कैमरे में आकर उसने राहत की सांस ली ही थी कि दरवाजे की आहट सुनकर चौंक पड़ा।
(टाॅप सिक्रेट- उपन्यास की प्रथम पंक्ति)
मुझे जासूसी उपन्यास बहुत पसंद हैं लेकिन आजकल पढने का समय कम‌ मिलता है और उस पर भी पढना और फिर समीक्षा लिखना तो न के बराबर ही हो गया। हालांकि मैंने इस साल कुछ अच्छे उपन्यास पढे हैं पर संयोग से उन पर लिख नहीं सका, समय मिला तो फिर कोशिश करेंगे, अभी तो हम प्रस्तुत उपन्यास 'टाॅप सिक्रेट' की चर्चा करते हैं।

राहुल द्वारा लिखित 'टाॅप सिक्रेट' उपन्यास डायमण्ड पॉकेट बुक्स दिल्ली से प्रकाशित हुआ था। 'राहुल' नाम डायमण्ड का Ghost लेखन है। पता नहीं कितने लेखकों की प्रतिभा और परिश्रम को Ghost लेखन ने खत्म कर दिया ।