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Wednesday, 22 December 2021

488. शैवाल - क्षमा कुमारी

धरती का प्रथम मनुष्य और तिलिस्मी हवेली।
शैवाल- समुद्र का महायोद्धा - क्षमा कुमारी
  
हर सदी में एक बार, समुद्र के गर्भ से एक हवेली बाहर आती है, जिसे देखने वाला मंत्र-मुग्ध होकर उसके पीछे भागता है और डूब कर मर जाता है।
क्या ये कोई मरीचिका थी या सचमुच में ऐसी किसी समुद्री हवेली का अस्तित्व था?
क्या तन्मय उस जादुई हवेली से बच पाया या दूसरे लोगों की तरह उसकी भी बलि ले ली उस समुद्री हवेली ने? (किंडल से पुस्तक परिचय) 
       हिंदी में‌ फतांसी रचनाएँ बहुत कम है और जो है वह इस स्तर की नहीं है की उनको याद रखा जाये।‌ इस क्षेत्र में Flydreams Publication द्वारा बहुत अच्छा प्रयास किया जा रहा है। इस प्रकाशन द्वारा कुछ अच्छी फतांसी रचनाएँ समाने आयी हैं। 
    'शैलाव -समुद्र का महायोद्धा' नवोदित लेखिका क्षमा कुमारी की द्वितीय रचना है। यह रचना मनुष्य जाति के आरम्भ की कहानी है। 
  कहानी है एक तिलस्मी हवेली की। समय है जब पृथ्वी पर मनुष्य का अस्तित्व नहीं था। जल और थल दोनों के जीव दोनों जगह समान रूप से निवास करते थे।‌ तिलिस्मी हवेली में एक वार्षिक उत्सव में अर्द्ध चन्द्र दर्शन का एक विशेष उत्सव होता है।
    वहीं एक भूल के कारण श्रेष्ठ मछली रजिक को एक साल पृथ्वी पर बिताने की सजा मिलती है। लेकिन साथ ही उसे ईश्वर की अमूल्य कृति के सर्जन का अवसर भी प्राप्त होता है। ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति का सर्जन होता है, लेकिन कहते हैं जहाँ अच्छाई है वहां बुराई भी है। यहाँ भी अच्छाई के साथ बुराई भी पृथ्वी पर अवतरित होती है।
    अच्छाई के पीछे मल्हार देव हैं जो तिलिस्मी हवेली के रहवासी है। बुराई के पीछे खजूरा है जो भीमकुण्ड का निवासी है। खजूरा का एक ही उद्देश्य है तिलिस्मी हवेली पर आधिपत्य स्थापित करने का। इसके लिए वह हर तरह  की चाल चलता है। दोनों का संघर्ष बहुत कुछ परिवर्तित कर देता है।
    उपन्यास की कहानी वर्तमान से भी संबंधित है। वर्तमान में तन्मय नामक एक युवक है। जिसे तिलिस्मी हवेली के सपने आते हैं। इसी रहस्य को हल करने के‌ लिए वह जलयान में सर्विस करता है। और एक दिन तन्मय का सामना होता है उस तिलिस्मी हवेली से जिसके उसे सपने आते थे।
    वर्तमान और अतीत का चित्रण करती यह रोचक दास्तान एक नयी दुनिया से परिचय करवाती है। जहाँ इंसान भी है और जलीय जीव भी है। जहाँ सत्य और असत्य है, अच्छाई और बुराई है। दोनों का संघर्ष और जीत हार की कहानी है।
    उपन्यास में तन्मय के अतिरिक्त मल्हार देव का चित्रण प्रभावशाली है।
   मल्हार देव ने फिर मुस्कुराते हुए कहा, “मैंने अभी-अभी तो बताया था, मल्हार देव हूँ मैं! इस संसार में सबसे पहले मेरा आगमन हुआ था। ईश्वर ने मुझे अपना दूत बनाकर संसार में भेजा है। मेरी संतान हो तुम सब। तुम सबके मन की बात जान सकता हूँ मैं, बिना किसी के कुछ कहे।”
  उपन्यास के कमजोर पक्ष की बात करें तो वह सशक्त पक्ष के बराबर अपनी उपस्थित दर्ज करवाता है। जिसके कारण एक रोचक और नये विषय की रचना निम्नतम हो जाती है।
- आधी चन्द्र दर्शन की रात' में अगर 'अर्ध चन्द्र' लिखा जाता तो भाषा में सौन्दर्य पैदा होता।
- जब मनुष्य था ही नहीं तो रजिक ने मनुष्य का रूप कैसे धारण कर लिया?
- उपन्यास में पढते वक्त ऐसा लगता है की जल्दी में समेटने की इच्छा से लिखा गया है। बहुत सी जगह, बहुत बार ऐसा प्रतीत होता है। कुछ दृश्य विस्तार चाहते थे उनको  वर्तमान शब्दावली में लिख कर समेट दिया गया।
- Flydreams Publication के विषय में यह प्रचलित है की वहां गलतियों की संभावना न के बराबर होती है। पर इस उपन्यास में यह धारणा खण्डित होती है।
    फिर भी यह उपन्यास और लेखिका महोदय का प्रयास सराहनीय है। कहानी में तीव्रता है, विषय नया है और जिज्ञासा को प्रबल करता है।
तन्मय को भी वह हवेली दिखाई दी, जिसने उसके सामने समुद्री संसार के वे राज खोले, जिनसे बाहरी दुनिया अंजान थी। तब उसके सामने आई समुद्र के एक महायोद्धा, शैवाल की कहानी जो इस तिलिस्मी हवेली के श्राप का अंत कर सकता था।
     अंत में यही उम्मीद करते हैं इस उपन्यास का अगर संस्करण आये तो वह विस्तृत हो, ताकी पढने का आनंद बढे।
उपन्यास- शैवाल -समुद्र का महायोद्धा
लेखिका- क्षमा कुमारी
प्रकाशन- Flydreams Publication

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