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Friday, 26 November 2021

475. चाँद पर हंगामा- परशुराम शर्मा

जेम्स बॉण्ड का कारनामा
चाँद पर हंगामा- परशुराम शर्मा
हिंदी जासूसी उपन्यास साहित्य में परशुराम शर्मा जी एक प्रतिष्ठित नाम हैं। परशुराम शर्मा जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। लेखन, संगीत के साथ अभिनय में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवा चुके हैं। परशुराम शर्मा जी के विषय में यह भी कहा जाता है जब अधिकांश उपन्यासकार लेखक अपने स्थापित पात्रों या शृंखला से बाहर ही नहीं निकल पा रहे थे उस समय परशुराम शर्मा जी ने थ्रिलर उपन्यास लिखकर अपनी एक विशिष्ट पहचान स्थापित की थी। 
   लेकिन कभी-कभी स्थापित लेखक को भी वक्त के साथ या प्रकाशक के आग्रह/ दबाव के चलते कुछ ऐसे उपन्यास लिखने पड़ जाते हैं जो उनकी लेखनी से अलग होते हैं। ऐसा ही एक उपन्यास है 'चाँद पर हंगामा'। यह जेम्स बॉण्ड सीरीज का उपन्यास है।  1953 में अंग्रेज़ लेखक इयान फ़्लेमिंग ने अपनी कहानियों में जेम्स बॉण्ड नामक एक पात्र का सृजन किया था, जिसकी पहचान 007 है। यह पात्र अत्यंत प्रसिद्ध और चर्चित रहा। जिस पर उपन्यास लेखन के अतिरिक्त, काॅमिक्स, फिल्म तक का निर्माण हुआ। 
  वहीं भारत में भी कुछ लेखकों ने जेम्स बाण्ड पर उपन्यास साहित्य का सृजन किया है। सुरेन्द्र मोहन पाठक जी ने भी जेम्स बाण्ड सीरीज के उपन्यास लिखे हैं। इनके अतिरिक्त और भी बहुत से भारतीय लेखकों ने जेम्स बॉण्ड पर अपनी कलम चलाई और जेम्स बॉण्ड की स्थापित शैली से इतर लेखन किया। 
  अब बात करते हैं परशुराम शर्मा जी द्वारा लिखित, जेम्स बॉण्ड शृंखला के उपन्यास 'चाँद पर हंगामा' की। 
    कथा का आरम्भ अमेरिका के एक शहर केप कैनेडी से होता है। अमेरिका ने चाँद पर अपने रॉकेट पहुंचा दिये हैं और वहाँ 'अमेरिक किंग' नामक एक इमारत भी स्थापित कर दी।
   अमेरिका सहित जहाँ संपूर्ण विश्व अमेरिका की इस सफलता की खुशी मना रहा है वहीं जापान में कुछ 'अमेरिका किंग' को ध्वस्त करने की योजना बनाई जा रही है। और दिन-  एक भयानक घटना को घटते सभी ने देखा यह मकान चन्द्रमा की जमीन में घसना शुरू हो गया था। 
  और इस तरह चाँद पर अमेरिकी सफलता को किसी ने ध्वस्त कर दिया। प्रसिद्धि जासूस जेम्स बॉण्ड को यह जिम्मेदारी दी जाती है की वह उस खतरनाक ताकत का पता लगाये जिसने अमेरिका को चुनौती दी है।
    ब्रिटिश सीक्रेट ब्रांच का यह एजेन्ट प्यार के मामलों में काफी जिन्दादिल था। इसका प्यार भी बड़े साधारण ढंग से चलता था वह सहवास से ज्यादा झमेला नहीं पालता था। और जेम्स बॉण्ड जा पहुंचता है जापान। जहाँ उसके स्वागत के लिए तैयार है अपराधी वर्ग। पर जेम्स बॉण्ड तो जेम्स बॉण्ड है।
      और जापान में जेम्स बॉण्ड की‌ मुलाकात मास्टर किंग से होती है। मास्टर किंग जापान का प्रसिद्ध गुण्डा है। जो किसी खतरनाक वैज्ञानिक शक्ति के लिए काम करता है। 
   कथा में बहुत से मोड़ आते हैं। जहाँ बॉण्ड दुश्मनों के जाल में फंसता है, लेकिन अपने दोस्तों के बल पर वह आजाद भी हो जाता है।
    अंत में अमेरिकी किंग को नष्ट करने वाला कथित शक्तिशाली वैज्ञानिक, जो किसी कारण से अमेरिका का दुश्मन था जेम्स बॉण्ड, मास्टर किंग और एक जासूस फ्लिट को चाँद पर ले जाता है। 
   जहाँ तीनों उस खतरनाक दुश्मन को खत्म कर देते हैं।
 उपन्यास में दो और महत्वपूर्ण पात्र हैं मून एजेंट और डाक्टर वाकरे। 
  वहीं जापान के गुण्डे नाशा का वर्णन भी पठनीय है। जब जेम्स बॉण्ड नाशा के अण्डे पर जाना चाहता है तो मिस्टर किंग उसे समझाता है-  "ठहरो नाशा से अकेले मिलना चाहते हो या उसके अड्डे में दाखिल होना । अड्डा बहुत खतरनाक है कमबख्त यहाँ का जादूगर माना जाता है। उसकी इमारत में न जाने किस किस प्रकार के वैज्ञानिक यंत्र फिक्स हैं अनजाने में आदमी कहीं भी धोखा खा सकता है।"
मून एजेंट का वर्णन भी पठ लीजिए-
मून एजेन्ट वह शक्तिशाली खतरनाक व्यक्ति है । जो इस अपराध की सजा केवल मौत देगा। मून एजेन्ट के ग्रुप में मामूली भूल करने वाले को भी मौत का उपहार मिलता था।   
     उपन्यास को वैज्ञानिक कथा बनाने का प्रयास किया गया है लेकिन लेखक इस में असफल रहा है। अधिकांश वैज्ञानिक यंत्र, मैकेनिज्म शब्द लिखकर काम चला लिया गया है। कौनसा यंत्र कैसे काम करता है पता नहीं चलता। जैसे नाशा के अड्डे का वर्णन- इमारत में न जाने किस किस प्रकार के वैज्ञानिक यंत्र फिक्स हैं अनजाने में आदमी कहीं भी धोखा खा सकता है।"
    वहीं बात करें जेम्स बॉण्ड की तो वह मूल इयान फ़्लेमिंग की शैली से पूर्णतः अलग है। 
  प्रस्तुत उपन्यास कथा स्तर पर न्यूनतम है। यह पात्र जेम्स बॉण्ड नामक पात्र की प्रसिद्धि का यश प्राप्त करने का असफल प्रयास प्रतीत होता है।
उपन्यास- चाँद पर हंगामा
लेखक -   परशुराम शर्मा
प्रकाशक-  अल्पना पॉकेट बुक्स, मेरठ

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