तीन दोस्त और देशद्रोही लोग
खतरनाक साजिश- कर्नल विक्रम
यात्रा के दौरान किताबें मेरी साथी होती हैं। इस बार भी विद्यालय से घर आते वक्त एक किताब साथी बनी और वापसी में भी एक और किताब का साथ रहेगा।
जासूसी साहित्य में कुछ नाम ऐसे भी हुये हैं जो वक्त की गर्द में खो गये। ऐसा ही एक नाम है कर्नल विक्रम। जिनका एक उपन्यास 'खतरनाक साजिश' पढने को मिला।
यहाँ यह देखना भी प्रासंगिक होगा की ये नाम कहां और कैसे खो गये। उपन्यास साहित्य में जब कर्नल रंजीत का नाम काफी चर्चित रहा था तब उनसे मिलते-जुलते नाम वाले कुछ लेखक सामने आये, हालांकि कर्नल रंजीत से लेकर मिलते-जुलते नाम वाले सब Ghost Writer ही थे। और कथा के स्तर पर उपन्यास बहुत कमजोर होते थे।
कर्नल विक्रम भी ऐसा ही एक Ghost Writing का कारनामा है। "आखिर हम कब तक ऐसा ही जीवन बितायेंगे जोजफ।"-राम ने एक ठण्डी साँस ली और अपने घनिष्ठ मित्र को सम्बोधित किया-" तुम एम. एस. सी. हो, सिंह ग्रेजूएट और मैं....मैं इस डिग्री को लेकर क्या करूं, खाऊं, चाटूं, ओढूं या नीचे बिछाऊं?"( उपन्यास का प्रथम वाक्य)
यह कहानी है दिल्ली के तीन बेरोजगार दोस्तों की। जो अपनी बेरोजगारी तो दूर करना चाहते हैं लेकिन कोई गलत काम नहीं करना चाहते।
दूसरी तरफ एक और घटना घटित होती है।
श्री नगर में भयंकर विमान दुर्घटना।
देश के पाँच सैनिकाधिकारियों की मृत्यु। (पृष्ठ-06)
तीनों मित्रों में से सिंह को यह लगता है की इस दुर्घटना के पीछे कुछ देशद्रोही लोग शामिल हैं। और तीनों मित्र इन देशद्रोहियों को खत्म करने की जिम्मेदारी उठाते हैं।
और एक संगठन बनाते हैं -एंजेल्स थ्री। संयोग से तीनों के हाथ एक सूत्र लगता है जो श्रीनगर, कोलकाता और दिल्ली की ओर कुछ संकेत देता है। और तीनों दोस्त अलग-अलग दिशाओं में जाने की तैयारी करते हैं।
मिस्टर इण्डिया की तरह 'डाॅक्टर निर्माण' इन तीनों से संपर्क करता है और उन तीनों को सहयोग की बात करता है। क्योंकि डाॅक्टर निर्माण भी देशद्रोहियों को खत्म करना चाहता है।
आगे कहानी कोलकाता होते हुये श्री नगर जा पहुंचती है जहाँ सभी मित्र और खल पात्र एकत्र होते हैं और डाॅक्टर निर्माण की सहायता से देशद्रोही लोगों को खत्म कर दिया जाता है।
देशद्रोही लोगों की एक खतरनाक साजिश को असफल बनाने निकले तीन मित्रों के एक्शन की कहानी है।
उपन्यास का कथानक बहुत ही कमजोर है, कहीं भी रोचकता नहीं है। अधिकांश घटनाक्रम मात्र संयोग पर आधारित है।उपन्यास- खतरनाक साजिश
लेखक- कर्नल विक्रम
प्रकाशक- विजय पाॅकेट बुक्स, दिल्ली
पृष्ठ- 127
खतरनाक साजिश- कर्नल विक्रम
यात्रा के दौरान किताबें मेरी साथी होती हैं। इस बार भी विद्यालय से घर आते वक्त एक किताब साथी बनी और वापसी में भी एक और किताब का साथ रहेगा।
जासूसी साहित्य में कुछ नाम ऐसे भी हुये हैं जो वक्त की गर्द में खो गये। ऐसा ही एक नाम है कर्नल विक्रम। जिनका एक उपन्यास 'खतरनाक साजिश' पढने को मिला।
यहाँ यह देखना भी प्रासंगिक होगा की ये नाम कहां और कैसे खो गये। उपन्यास साहित्य में जब कर्नल रंजीत का नाम काफी चर्चित रहा था तब उनसे मिलते-जुलते नाम वाले कुछ लेखक सामने आये, हालांकि कर्नल रंजीत से लेकर मिलते-जुलते नाम वाले सब Ghost Writer ही थे। और कथा के स्तर पर उपन्यास बहुत कमजोर होते थे।
कर्नल विक्रम भी ऐसा ही एक Ghost Writing का कारनामा है। "आखिर हम कब तक ऐसा ही जीवन बितायेंगे जोजफ।"-राम ने एक ठण्डी साँस ली और अपने घनिष्ठ मित्र को सम्बोधित किया-" तुम एम. एस. सी. हो, सिंह ग्रेजूएट और मैं....मैं इस डिग्री को लेकर क्या करूं, खाऊं, चाटूं, ओढूं या नीचे बिछाऊं?"( उपन्यास का प्रथम वाक्य)
यह कहानी है दिल्ली के तीन बेरोजगार दोस्तों की। जो अपनी बेरोजगारी तो दूर करना चाहते हैं लेकिन कोई गलत काम नहीं करना चाहते।
दूसरी तरफ एक और घटना घटित होती है।
श्री नगर में भयंकर विमान दुर्घटना।
देश के पाँच सैनिकाधिकारियों की मृत्यु। (पृष्ठ-06)
तीनों मित्रों में से सिंह को यह लगता है की इस दुर्घटना के पीछे कुछ देशद्रोही लोग शामिल हैं। और तीनों मित्र इन देशद्रोहियों को खत्म करने की जिम्मेदारी उठाते हैं।
और एक संगठन बनाते हैं -एंजेल्स थ्री। संयोग से तीनों के हाथ एक सूत्र लगता है जो श्रीनगर, कोलकाता और दिल्ली की ओर कुछ संकेत देता है। और तीनों दोस्त अलग-अलग दिशाओं में जाने की तैयारी करते हैं।
मिस्टर इण्डिया की तरह 'डाॅक्टर निर्माण' इन तीनों से संपर्क करता है और उन तीनों को सहयोग की बात करता है। क्योंकि डाॅक्टर निर्माण भी देशद्रोहियों को खत्म करना चाहता है।
आगे कहानी कोलकाता होते हुये श्री नगर जा पहुंचती है जहाँ सभी मित्र और खल पात्र एकत्र होते हैं और डाॅक्टर निर्माण की सहायता से देशद्रोही लोगों को खत्म कर दिया जाता है।
खतरनाक साजिश- कर्नल विक्रम |
उपन्यास कहानी के स्तर पर कोई विशेष नहीं है। हर जगह संयोग ही होता है। तीन मित्र रास्ते में जाते हैं तो संयोग से खलनायक मिल जाता है। किसी होटल में ठहरते हैं तो वहाँ भी संयोग, किसी का पीछा किया तो वहाँ भी संयोग। कहीं लगता ही नहीं की तीन पात्र (राम, सिंह, जोजफ) स्वयं कुछ कर रहे हैं।
उपन्यास में मारिया का किरदरा कुछ प्रभावित करता है। वहीं एक पात्र और है जिसका नाम है चांगली। जिसे चीनी भूकम्प कहा जाता है। इस पात्र का वर्णन बहुत प्रभावित ढंग से हुआ है पर इसका किरदार कहीं भी प्रभाव नहीं छोड़ता। डाॅक्टर निर्माण का किरदार भी नाम मात्र की भूमिका अदा करता है।देशद्रोही लोगों की एक खतरनाक साजिश को असफल बनाने निकले तीन मित्रों के एक्शन की कहानी है।
उपन्यास का कथानक बहुत ही कमजोर है, कहीं भी रोचकता नहीं है। अधिकांश घटनाक्रम मात्र संयोग पर आधारित है।उपन्यास- खतरनाक साजिश
लेखक- कर्नल विक्रम
प्रकाशक- विजय पाॅकेट बुक्स, दिल्ली
पृष्ठ- 127
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