चन्द्र ग्रह के फरार अपराधी की कथा
छलावा और शैतान- वेदप्रकाश शर्मा
छलावा और शैतान वेदप्रकाश शर्मा जी का चौथा उपन्यास है और टुम्बकटू सीरिज का दूसरा उपन्यास है। प्रस्तुत उपन्यास 'खूनी छलावा' का द्वितीय भाग है।
प्रथम भाग 'खूनी छलावा' में टुम्बकटू ने समस्त पृथ्वी के अपराधियों को एक चैलेंज दिया था की वह उसका कत्ल कर दे। कत्ल करने वाले को इतना धन मिलेगा जितना सम्पूर्ण पृथ्वी पर भी नहीं है। इस चैलेंज को पूरा करने के लिए पृथ्वी के अपराधी टुम्बकटू की जान के पीछे पड़ गये।
द्वितीय भाग 'छलावा और शैतान' में कहानी आगे बढती है। शहजादी जैक्शन टुम्बकटू को अपने अधीन करना चाहती है तो अपराधी सिहंगी भी यही सपने लेता है। इन दोनों का संघर्ष पठनीय है।
सहसा प्रिंसेज जैक्शन ठिठक गयी।
दुनिया के तख्त का सबसे महान अपराधी, अपराधी सम्राट सिहंगी ठीक सामने था।
इस समय विश्व के दो महानतम अपराधी प्रतिद्वंद्वी के रूप में आमने-सामने खड़े थे।
इन दोनों के साथ-साथ क्रंकीट के जंगल का शेर अलफांसे भी उपस्थित है जो टुम्बकटू को पकड़ना चाहता है।
एक तरफ खूनी छलावा था तो दूसरी ओर शातिरों का बाप।
वहीं विजय- विकास भी रहस्यमयी टुम्बकटू को पकड़ना चाहते हैं।
और इन सब के बीच में है टुम्बकटू।
टुम्बकटू एक रहस्य बन गया था....जो सबकी समझ से बाहर था।
प्रस्तुत उपन्यास में यही संघर्ष चलता है। कौन टुम्बकटू को पकड़े उसका कत्ल करे और अथाह धन का स्वामी बने।
लेकिन टुम्बकटू तो ठहरा छलावा वह किसी के हाथ नही लगता। अगर किसी ने उसे पकड़ भी लिया तो वह हाथ में से मछली की तरह निकल लेता है।
'छलावा और शैतान' उपन्यास में मूलतः पृथ्वी के अपराधियों की चन्द्रग्रह के टुम्बकटू को लेकर छिडी़ जंग की कथा है।
अब कौन किस पर भारी पड़ता है और किसके हाथ क्या लगता है? यह सब उपन्यास पढने पर ही पता चलेगा।
इस जंग को देखकर टुम्बकटू को भी कहना पड़ता है- "मुझे आप लोगों की बुद्धि पर रहम आता है। आप लोग आपस में लड़ते रहते हैं और यह तक नहीं सोचते कि जिस वस्तु के लिए लड़ रहे हैं, वह वस्तु आप लोगों को मिलेगी भी या नहीं।"-
टुम्बकटू अगर छलावा है तो विकास वह शैतान है जिसके कारनामें देख कर शैतान भी कांप जाता है।
उफ.....।
क्या वास्तव में विकास तेरह वर्ष का लड़का है?
क्या वास्तव में यह भयानक कार्य इंसान का है?
नहीं....।
यह कार्य शैतान का है।
संसार के सबसे खूंखार शैतान का।
अगर विकास अभी से इतना खतरनाक शैतान है तो बड़ा होकर क्या बनेगा? (पृष्ठ-)
उपन्यास में विकास को एक विशेष पात्र के रूप में उभारा गया है। हालांकि यह 'विजय-विकास' सीरीज का उपन्यास है, लेकिन विकास के खतरनाक और अविश्वसनीय कारनामें उपन्यास में खूब हैं। कहीं-कहीं तो अतिशयोक्तिपूर्ण वर्णन भी बहुत है। उपन्यास टुम्बकटू पर आधारित है और यह पात्र वास्तव में बहुत दिलचस्प है।
वेद जी के पाठकों के लिए यह उपन्यास अच्छा है, सिर्फ उन पाठकों के लिए जो एक्शन कहानियाँ पढना पसंद करते हैं। हालांकि उपन्यास में कोई विशेष कहानी है, सिर्फ टुम्बकटू को पकड़ने का संघर्ष है।
उपन्यास- छलावा और शैतान
लेखक- वेदप्रकाश शर्मा
प्रकाशक- राजा पॉकेट बुक्स, दिल्ली
वेदप्रकाश शर्मा का चौथा उपन्यास
टुम्बकटू सीरीज का द्वितीय उपन्यास
छलावा और शैतान- वेदप्रकाश शर्मा
छलावा और शैतान वेदप्रकाश शर्मा जी का चौथा उपन्यास है और टुम्बकटू सीरिज का दूसरा उपन्यास है। प्रस्तुत उपन्यास 'खूनी छलावा' का द्वितीय भाग है।
प्रथम भाग 'खूनी छलावा' में टुम्बकटू ने समस्त पृथ्वी के अपराधियों को एक चैलेंज दिया था की वह उसका कत्ल कर दे। कत्ल करने वाले को इतना धन मिलेगा जितना सम्पूर्ण पृथ्वी पर भी नहीं है। इस चैलेंज को पूरा करने के लिए पृथ्वी के अपराधी टुम्बकटू की जान के पीछे पड़ गये।
द्वितीय भाग 'छलावा और शैतान' में कहानी आगे बढती है। शहजादी जैक्शन टुम्बकटू को अपने अधीन करना चाहती है तो अपराधी सिहंगी भी यही सपने लेता है। इन दोनों का संघर्ष पठनीय है।
सहसा प्रिंसेज जैक्शन ठिठक गयी।
दुनिया के तख्त का सबसे महान अपराधी, अपराधी सम्राट सिहंगी ठीक सामने था।
इस समय विश्व के दो महानतम अपराधी प्रतिद्वंद्वी के रूप में आमने-सामने खड़े थे।
इन दोनों के साथ-साथ क्रंकीट के जंगल का शेर अलफांसे भी उपस्थित है जो टुम्बकटू को पकड़ना चाहता है।
एक तरफ खूनी छलावा था तो दूसरी ओर शातिरों का बाप।
वहीं विजय- विकास भी रहस्यमयी टुम्बकटू को पकड़ना चाहते हैं।
और इन सब के बीच में है टुम्बकटू।
टुम्बकटू एक रहस्य बन गया था....जो सबकी समझ से बाहर था।
प्रस्तुत उपन्यास में यही संघर्ष चलता है। कौन टुम्बकटू को पकड़े उसका कत्ल करे और अथाह धन का स्वामी बने।
लेकिन टुम्बकटू तो ठहरा छलावा वह किसी के हाथ नही लगता। अगर किसी ने उसे पकड़ भी लिया तो वह हाथ में से मछली की तरह निकल लेता है।
'छलावा और शैतान' उपन्यास में मूलतः पृथ्वी के अपराधियों की चन्द्रग्रह के टुम्बकटू को लेकर छिडी़ जंग की कथा है।
अब कौन किस पर भारी पड़ता है और किसके हाथ क्या लगता है? यह सब उपन्यास पढने पर ही पता चलेगा।
इस जंग को देखकर टुम्बकटू को भी कहना पड़ता है- "मुझे आप लोगों की बुद्धि पर रहम आता है। आप लोग आपस में लड़ते रहते हैं और यह तक नहीं सोचते कि जिस वस्तु के लिए लड़ रहे हैं, वह वस्तु आप लोगों को मिलेगी भी या नहीं।"-
टुम्बकटू अगर छलावा है तो विकास वह शैतान है जिसके कारनामें देख कर शैतान भी कांप जाता है।
उफ.....।
क्या वास्तव में विकास तेरह वर्ष का लड़का है?
क्या वास्तव में यह भयानक कार्य इंसान का है?
नहीं....।
यह कार्य शैतान का है।
संसार के सबसे खूंखार शैतान का।
अगर विकास अभी से इतना खतरनाक शैतान है तो बड़ा होकर क्या बनेगा? (पृष्ठ-)
उपन्यास में विकास को एक विशेष पात्र के रूप में उभारा गया है। हालांकि यह 'विजय-विकास' सीरीज का उपन्यास है, लेकिन विकास के खतरनाक और अविश्वसनीय कारनामें उपन्यास में खूब हैं। कहीं-कहीं तो अतिशयोक्तिपूर्ण वर्णन भी बहुत है। उपन्यास टुम्बकटू पर आधारित है और यह पात्र वास्तव में बहुत दिलचस्प है।
वेद जी के पाठकों के लिए यह उपन्यास अच्छा है, सिर्फ उन पाठकों के लिए जो एक्शन कहानियाँ पढना पसंद करते हैं। हालांकि उपन्यास में कोई विशेष कहानी है, सिर्फ टुम्बकटू को पकड़ने का संघर्ष है।
उपन्यास- छलावा और शैतान
लेखक- वेदप्रकाश शर्मा
प्रकाशक- राजा पॉकेट बुक्स, दिल्ली
वेदप्रकाश शर्मा का चौथा उपन्यास
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