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Monday 30 September 2019

226. द लाल- विपिन तिवारी

हवस- धन और तन की।
द लाल- विपिन तिवारी, मर्डर मिस्ट्री

लेखक का प्रथम उपन्यास

'द लाल' उपन्यास एक अच्छी सौगात की तरह मुझे मिला। यह जानकर मुझे बहुत खुशी होती है की जासूसी साहित्य में नित नये नाम शामिल हो रहे हैं। इस साहित्य में एक नया नाम शामिल हुआ है वह है 'द लाल' के लेखक विपिन तिवारी जी का।
द लाल
लेखक- विपिन तिवारी


  'द लाल' विपिन जी का प्रथम उपन्यास है और वह भी मर्डर मिस्ट्री। लेखक महोदय अपने प्रथम उपन्यास से ही उम्मीद जगाते हैं की भविष्य में उनकी कलम से और भी बेहतरीन उपन्यास पढने को मिलेंगे।

अब बात करते हैं प्रस्तुत उपन्यास की। बात सिर्फ वही जो लेखक ने लिखा है, उसके अतिरिक्त कोई चर्चा नहीं।
उपन्यास की कहानी सेठ धनपाल के मर्डर के इर्दगिर्द घूमती है।
दिल्ली के कनाॅट प्लेस थाने के इंस्पेक्टर विशाल के पास एम्स हास्पिटल के डाॅक्टर रस्तोगी का फोन आता है।
"जी, मैं एम्स हास्पिटल से डाॅक्टर रस्तोगी बोल रहा हूँ। आप यहाँ जल्दी से आ जाइये, क्योंकि सेठ धनपाल का सुसाइड केस यहाँ आया है....।" (पृष्ठ-07)

उपन्यास का मुख्य घटनाक्रम



सेठ धनपाल शहर के एक इज्जतदार और धनिक व्यापारी हैं। व्यापार में उनका साथ शक्ति सिंह नाम का उनका साला सहयोगी होता है।
    इंस्पेक्टर विशाल और उनका साथी इन्द्रवेश जब इस केस की तहकीकात करते हैं तो एक-एक सभी पात्रों का परिचायक प्राप्त होता है। जब उन्हीं पात्रों से दोबारा सामान होता है तो उनका चरित्र अलग होता है।
- हर एक व्यक्ति पर हत्या का शक है?
- हर एक व्यक्ति संदिग्ध है?
- धनपाल की हत्या किसने की?
- धनपाल की हत्या क्यों की?
एक सामान्य से लगने वाले केस की जांच के दौरान ऐसे-ऐसे घटनाक्रम सामने आते हैं की इंस्पेक्टर विशाल और इन्द्रवेश दोनों आश्चर्यचकित रह जाते हैं।
        उपन्यास के विषय में ज्यादा चर्चा करने से उपन्यास की कहानी का आनंद खत्म हो जाता है। उपन्यास रोचक है। मर्डर मिस्ट्री है। इंवेस्टिगेशन है।‌ कुछ हैरत करने वाले घटनाक्रम है। इसलिए उपन्यास पढा जा सकता है।

उपन्यास के कुछ रोचक कथन/ संवाद हैं। जो एक तरफ उपन्यास को रोचक बनाते हैं वहीं विभिन्न परिस्थितियों का अच्छा वर्णन भी करते हैं।
- कातिल को ढूंढते जब पुलिस परेशान हो जाती है तो किसी पर भी केस लगा देती है। (पृष्ठ-)
- कोर्ट में केस की सुनवाई के दौरान कभी-कभी शातिर अपराधी बाईज्जत बरी हो जाते हैं और कभी-कभी बेगुनाहों को सजा लग जाती है।
- जब तुम‌ जैसे बड़े लोग कानून को अपनी जेब में रख सकते हो तो हम छोटे लोग उसे अपनी हाथ में भी नहीं रख सकते क्या?
- दोस्ती कब, क्यों और कैसे से नहीं होती। दोस्ती सिर्फ हो जाती है। उसका कोई कारण नहीं होता।
(पृष्ठ-70)
   यह लेखक का पहला उपन्यास है। ऐसा भाषा शैली के आधार पर तो कहीं लगता। लेखक की भाषा पर पकड़ अच्छी है।
    उपन्यास के आरम्भिक पृष्ठों में मात्र संवाद ही संवाद है अतिरिक्त कहीं कोई लेखक द्वारा किसी का वर्णन नहीं है। यह हल्का सा खटकता है। कुछ और घटनाएं, इंवेस्टिगेशन, कुछ पात्रों को प्रभावशाली दिखा कर उपन्यास और भी रोचक बन सकता था। उपन्यास सिर्फ एक लाइन पर आधारित रहा है वह है संदिग्ध लोगों के बयान।  बाकी उपन्यास अच्छा है।
निष्कर्ष-
   'द लाल' एक मर्डर मिस्ट्री है। सेठ धनपाल का कत्ल और उसके बाद कातिल की खोज पर आधारित एक रोचक कथानक है।
कम पृष्ठ, अच्छी भाषा शैली और तेज रफ़्तार का उपन्यास पाठकों को पसंद आयेगा। मध्यम स्तर का यह उपन्यास एक बार पढा जा सकता है।

उपन्यास- द लाल
लेखक- विपिन तिवारी

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