एक सत्य घटना पर आधारित मर्डर मिस्ट्री।
सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री- वेदप्रकाश शर्मा, उपन्यास
लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में जो स्थान वेदप्रकाश शर्मा का है वहाँ तक किसी अन्य लेखक को पहुंचाना एक हद तक कठिन है।
इसका एक कारण यह भी है की वेदप्रकाश शर्मा जी के कुछ उपन्यास मात्र काल्पनिक न होकर यथार्थ और कल्पना का मिश्रण होता था। जासूसी साहित्य मात्र मनोरंजन का माध्यम है तो इसलिए इसमें कल्पना की प्रचुरता तो रहेगी।
वेद जी सामाज में घटित किसी घटना को अपनी कल्पना के रंगों से सुसज्जित कर पाठक के सामने इस तरह से प्रस्तुत करते थे की पाठक उस संसार में खो जाता था।
वेद जी ने बहुत सी वास्तविक घटनाओं को आधार बना कर उपन्यास लिखे हैं, 'सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री' भी एक ऐसा ही कथानक है।
भारत के अपराध जगत में घटित एक ऐसी घटना जो आज तक अनसुुुलझी है।
सन् को 2008 में नोएडा (UP) में एक वीभत्स हत्याकाण्ड हुआ था। आरुषि हेमराज हत्याकाण्ड भारत का सबसे जघन्य व रहस्यमय हत्याकाण्ड था जो 15–16 मई 2008 की रात नोएडा के सेक्टर 25 में हुआ। डॉ. राजेश तलवार और उनकी पत्नी डॉ. नूपुर तलवार (दोनो पेशे से चिकित्सक) पर आरोप था की उन्होंने अपनी एकमात्र सन्तान आरुषि के साथ अपने घरेलू नौकर हेमराज की नृशंस हत्या कर दी और सबूत मिटा दिये। लेकिन तलवार दम्पति का कहना है की ये उन्होंने नहीं किया।
घर में चार सदस्य और जिनमें से एक रात दो की हत्या हो जाती है। घर अंदर से बंद है और बाहर से आने का कोई रास्ता नहीं। तो यह कैसे संभव है की किसी बाहरी आदमी ने हत्या की हो।
यह केस तो बहुत लंबा चला और कई परिणाम सामने आये। यह भारत की एक अनसुलझी मर्डर मिस्ट्री है।
इसी को आधार बना कर वेदप्रकाश शर्मा ने 'सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री' लिखी है। जब वेद जैसे लेखक लिखते हैं तो यह तय की वह मात्र सामान्य मर्डर मिस्ट्री न होगी। जैसे अक्सर लिखा जाता है- एक कत्ल और फिर कातिल की तलाश। इस उपन्यास में वेद जी ने जो पृष्ठ दर पृष्ठ रोमांच का समां बांधा है वह पठनीय और प्रशंसनीय है।
राजन सरकार और उनकी पत्नी इंदू सरकार। इनका एक मात्र पुत्र है कान्हा और घर में चौथा सदस्य है नौकरानी मीना। एक रात घर पर कान्हा और मीना का कत्ल कर दिया जाता है। घर अंदर से बंस है और राजन और इंदू का कहना है की ये कत्ल उन्होंने नहीं किया।
लेकिन सब तथ्य उनके विपरीत हैं। बहुत कुछ संदेहजनक है। यहाँ तक की राजन सरकार के बयान भी।
सबसे बड़ा बेस तो यही है कि पुलिस कोर्ट में इनके खिलाफ कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सकी। कोर्ट ने जो भी फैसला सुनाया, परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर सुनाया। (पृष्ठ-49)
तब ठाकुर निर्भय सिंह (पुलिस विभाग) के साथ राजन सरकार विजय से मिलता है और अपनी बेगुनाह होने का और कान्हा की आत्मा को इंसाफ दिलाने की प्रार्थना करता है।
यहाँ से उपन्यास का आरम्भ होता है। एक के साथ एक नयी-नयी रोचक और हैरतजनक घटनाएं घटित होती हैं।
स्वयं विजय-विकास हैरान है की यह सब क्या हो रहा है?
- कान्हा और मीना की हत्या किसने की?
- बंद घर में हत्या कैसे संभव है?
- सरकार दम्पति को मृतकों की चीखे क्यों न सुनाई?
- आखिर सबूत किसने मिटाये?
- कान्हा और मीना की हत्या क्यों की गयी?
ऐसे अनसुलझे सवालों की गाथा है यह उपन्यास ।
मकड़ी के जाले की तरह उलझी एक ऐसी मर्डर मिस्ट्री जो आज तक किसी ने नहीं लिखी।
अगर आप मर्डर मिस्ट्री पसंद करते है,वह भी रोचक और सस्पेंश के साथ तो यह उपन्यास आपको अच्छा लगेगा। हालांकि यह एक काल्पनिक कथा है इसलिए इसे एक पुलिस जांच की तरह न ले। उपन्यास मात्र मनोरंजन की दृष्टि से लिखा गया है तो संभव है कुछ अकल्पनीय दृश्य भी पढने को मिलेंगे।
यह उपन्यास 'विजय- विकास' सीरिज का है लेकिन इसमें मुख्य पाते के तौर पर विजय ही कार्यरत है विकास तो एक सहायक के तौर पर नजर आता है।
वैसे भी विकास अपने एक्शन के लिये जाना जाता है और उपन्यास में एक्शन का इतना स्थान है नहीं, इसलिए विकास का किरदार कमतर है।
उपन्यास का एक संवाद जो मुझे काफी अच्छा लगा।
- लड़की जिसे चाहती है, दिल की गहराइयों से चाहती है और वह उसे चाहे न चाहे, वह उसे अंतिम सांस तक चाहती रहती है। (पृष्ठ-247)
यह उपन्यास मुझे पसंद आया। यह मात्र मर्डर मिस्ट्री ही नहीं सस्पेंश और रोमांच से भी भरपूर है। आदि से अंत तक गतिशील कथानक भरपूर मनोरंजन करने में सक्षम है।
अगर आप वेद जी के पात्रों को और उपन्यासों को पसंद करते हैं तो यह आपके लिए एक शानदार रचना है।
उपन्यास- सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री
लेखक- वेदप्रकाश शर्मा
प्रकाशक- राजा पॉकेट बुक्स
मूल्य- 100₹
सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री- वेदप्रकाश शर्मा, उपन्यास
लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में जो स्थान वेदप्रकाश शर्मा का है वहाँ तक किसी अन्य लेखक को पहुंचाना एक हद तक कठिन है।
इसका एक कारण यह भी है की वेदप्रकाश शर्मा जी के कुछ उपन्यास मात्र काल्पनिक न होकर यथार्थ और कल्पना का मिश्रण होता था। जासूसी साहित्य मात्र मनोरंजन का माध्यम है तो इसलिए इसमें कल्पना की प्रचुरता तो रहेगी।
वेद जी सामाज में घटित किसी घटना को अपनी कल्पना के रंगों से सुसज्जित कर पाठक के सामने इस तरह से प्रस्तुत करते थे की पाठक उस संसार में खो जाता था।
वेद जी ने बहुत सी वास्तविक घटनाओं को आधार बना कर उपन्यास लिखे हैं, 'सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री' भी एक ऐसा ही कथानक है।
भारत के अपराध जगत में घटित एक ऐसी घटना जो आज तक अनसुुुलझी है।
सन् को 2008 में नोएडा (UP) में एक वीभत्स हत्याकाण्ड हुआ था। आरुषि हेमराज हत्याकाण्ड भारत का सबसे जघन्य व रहस्यमय हत्याकाण्ड था जो 15–16 मई 2008 की रात नोएडा के सेक्टर 25 में हुआ। डॉ. राजेश तलवार और उनकी पत्नी डॉ. नूपुर तलवार (दोनो पेशे से चिकित्सक) पर आरोप था की उन्होंने अपनी एकमात्र सन्तान आरुषि के साथ अपने घरेलू नौकर हेमराज की नृशंस हत्या कर दी और सबूत मिटा दिये। लेकिन तलवार दम्पति का कहना है की ये उन्होंने नहीं किया।
घर में चार सदस्य और जिनमें से एक रात दो की हत्या हो जाती है। घर अंदर से बंद है और बाहर से आने का कोई रास्ता नहीं। तो यह कैसे संभव है की किसी बाहरी आदमी ने हत्या की हो।
यह केस तो बहुत लंबा चला और कई परिणाम सामने आये। यह भारत की एक अनसुलझी मर्डर मिस्ट्री है।
इसी को आधार बना कर वेदप्रकाश शर्मा ने 'सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री' लिखी है। जब वेद जैसे लेखक लिखते हैं तो यह तय की वह मात्र सामान्य मर्डर मिस्ट्री न होगी। जैसे अक्सर लिखा जाता है- एक कत्ल और फिर कातिल की तलाश। इस उपन्यास में वेद जी ने जो पृष्ठ दर पृष्ठ रोमांच का समां बांधा है वह पठनीय और प्रशंसनीय है।
राजन सरकार और उनकी पत्नी इंदू सरकार। इनका एक मात्र पुत्र है कान्हा और घर में चौथा सदस्य है नौकरानी मीना। एक रात घर पर कान्हा और मीना का कत्ल कर दिया जाता है। घर अंदर से बंस है और राजन और इंदू का कहना है की ये कत्ल उन्होंने नहीं किया।
लेकिन सब तथ्य उनके विपरीत हैं। बहुत कुछ संदेहजनक है। यहाँ तक की राजन सरकार के बयान भी।
सबसे बड़ा बेस तो यही है कि पुलिस कोर्ट में इनके खिलाफ कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सकी। कोर्ट ने जो भी फैसला सुनाया, परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर सुनाया। (पृष्ठ-49)
तब ठाकुर निर्भय सिंह (पुलिस विभाग) के साथ राजन सरकार विजय से मिलता है और अपनी बेगुनाह होने का और कान्हा की आत्मा को इंसाफ दिलाने की प्रार्थना करता है।
यहाँ से उपन्यास का आरम्भ होता है। एक के साथ एक नयी-नयी रोचक और हैरतजनक घटनाएं घटित होती हैं।
स्वयं विजय-विकास हैरान है की यह सब क्या हो रहा है?
- कान्हा और मीना की हत्या किसने की?
- बंद घर में हत्या कैसे संभव है?
- सरकार दम्पति को मृतकों की चीखे क्यों न सुनाई?
- आखिर सबूत किसने मिटाये?
- कान्हा और मीना की हत्या क्यों की गयी?
ऐसे अनसुलझे सवालों की गाथा है यह उपन्यास ।
मकड़ी के जाले की तरह उलझी एक ऐसी मर्डर मिस्ट्री जो आज तक किसी ने नहीं लिखी।
अगर आप मर्डर मिस्ट्री पसंद करते है,वह भी रोचक और सस्पेंश के साथ तो यह उपन्यास आपको अच्छा लगेगा। हालांकि यह एक काल्पनिक कथा है इसलिए इसे एक पुलिस जांच की तरह न ले। उपन्यास मात्र मनोरंजन की दृष्टि से लिखा गया है तो संभव है कुछ अकल्पनीय दृश्य भी पढने को मिलेंगे।
यह उपन्यास 'विजय- विकास' सीरिज का है लेकिन इसमें मुख्य पाते के तौर पर विजय ही कार्यरत है विकास तो एक सहायक के तौर पर नजर आता है।
वैसे भी विकास अपने एक्शन के लिये जाना जाता है और उपन्यास में एक्शन का इतना स्थान है नहीं, इसलिए विकास का किरदार कमतर है।
उपन्यास का एक संवाद जो मुझे काफी अच्छा लगा।
- लड़की जिसे चाहती है, दिल की गहराइयों से चाहती है और वह उसे चाहे न चाहे, वह उसे अंतिम सांस तक चाहती रहती है। (पृष्ठ-247)
यह उपन्यास मुझे पसंद आया। यह मात्र मर्डर मिस्ट्री ही नहीं सस्पेंश और रोमांच से भी भरपूर है। आदि से अंत तक गतिशील कथानक भरपूर मनोरंजन करने में सक्षम है।
अगर आप वेद जी के पात्रों को और उपन्यासों को पसंद करते हैं तो यह आपके लिए एक शानदार रचना है।
उपन्यास- सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री
लेखक- वेदप्रकाश शर्मा
प्रकाशक- राजा पॉकेट बुक्स
मूल्य- 100₹
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