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Saturday, 12 January 2019

164. लल्लू- वेदप्रकाश शर्मा

एक खतरनाक साजिश...

लल्लू- वेदप्रकाश शर्मा, जासूसी उपन्यास,  रोचक, पठनीय।

               वेदप्रकाश शर्मा जी का एक बहुचर्चित उपन्यास है 'लल्लू'। जब इस उपन्यास का शीर्षक घोषित हुआ था तो पाठकवर्ग में यह चर्चा थी की यह क्या नाम हुआ?. सबसे अलग नाम था 'लल्लू'। लेकिन उपन्यास ने जो सफलता हासिल की वह स्वयं में एक कीर्तिमान स्थापित कर दिया।
तहलका मचा देने वाला वह उपन्यास जिसने हिन्दी उपन्यास मार्केट को हिलाकर रख दिया।
           कई वर्ष पूर्व यह उपन्यास पढा था एक बार फिर इस उपन्यास को पढने की इच्छा जागृत हुयी।

नीता उनकी एकमात्र पुत्री। विनाश नामक एक युवक एक दिन मिस्टर खन्ना की जान बचाकर उनके घर का एक सदस्य बन जाता है। लेकिन मिस्टर खन्ना की एकमात्र पुत्री सुनीता इस शख्स को बिलकुल भी पसंद नहीं करती और वह उसे लल्लू कह कर बुलाती है।
यह भी संयोग था की मिस्टर खन्ना मरते समय एक अजीब सी वसीयत कर गये। वसीयत अजीब इसलिए थी की सुनीता मिस्टर खन्ना की संपत्ति की मालकिन तभी बन सक सकती है जब वह लल्लू से शादी करेगी।
सुनीता तो अमित से प्यार करती थी। अमित जो हद से आगे जाकर विनाश को बोलता है- "अब मैं यही रहूंगा लल्लूराम। तुम्हारी बीवी के बेडरूम में सोया करूंगा। चाहो तो इसे चरित्रहीन सिद्ध करके तलाक ले सकते हो।" (पृष्ठ-65)
      एक दिन लल्लू को सुनीता और अमित के प्यार की भेंट चढ जाता है। लेकिन यह सब इंस्पेक्टर केकड़ा के होते हुए इतना आसान तो न था। केकड़ा एक खतरनाक इंस्पेक्टर था। उसके जिस्म पर पुलिस इंस्पेक्टर की वर्दी थी। बेहद पतला-दुबला था वह। लम्बा चेहरा, बड़े-बडे़ कान, तोते जैसा नाक और बाहर को उबली हुयी आँखें, पतले होठों के ऊपर मौजूद दो बैठी हुयी मक्खियों जैसी मूँछे उसे कुछ ज्यादा ही हास्यास्पद बनाये दे रही थी। (पृष्ठ-11)
       केकड़ा स्वयं को इस हद तक समझदार मानता है की वो कहता है- "क्या तुमने अपनी पिछली लाइफ में ऐसा पुलसिया देखा है जो मर्डर होने से पहले मर्डर स्पाॅट का निरीक्षण करने गया हो?" (पृष्ठ-71)

- मिस्टर खन्ना की हत्या कौन करना चाहता है?
- मिस्टर खन्ना इतनी अजबी वसीयत क्यों करके गये?
- अमित और सुनीता के प्रेम प्रकरण से विनाश के दिल पर क्या बीती?
- इस प्रेम कहानी का परिणाम क्या निकला?
- विमला कौन थी? विनाश उससे क्यों डरता था?
- केकड़ा जैसा खतरनाक इंस्पेक्टर क्या रंग दिखाता है?
- क्या केकड़ा वक्त से पहले सब जान जाता है या फिर वह भी कोई चाल चल रहा है?
           ऐसे एक नहीं अनेक प्रश्नों के उत्तर तो वेदप्रकाश शर्मा के इस बहुचर्चित उपन्यास 'लल्लू' को पढकर ही मिल सकते हैं।

      उपन्यास के सभी पात्र एक से बढकर एक हैं। विनाश उर्फ लल्लू तो स्वयं में एक अजूबा है।‌ एक तरफ तो उसका नाम 'विनाश' ही खतरनाक है और दूसरी तरफ उसे लोग 'लल्लू' कहते हैं।
क्या वह वास्तव में 'लल्लू' (मूर्ख) था या वह विनाश (विनाशक) था।
केकड़ा तो पूरे उपन्यास में सभी पर भारी पड़ता है। वह भी ऐसा कर्मशील और रिश्वतखोर भी "...तो जनाब, हम भी जो खाते हैं मेहनत का खाते हैं, दिमाग का खाते हैं, भले ही दुनिया उसे रिश्वत कहती फिरे।" (पृष्ठ-119)
        लेकिन कम इंस्पेक्टर अविनाश भी नहीं है। वह तो सभी पात्रों को बुरी तरह से हिलाकर रख देता है।
उपन्यास के अन्य पात्र भी दमदार हैं।

     प्रस्तुत उपन्यास बहुत दिलचस्प है। वेदप्रकाश शर्मा को 'सस्पेंश का जादूगर या बादशाह' कहा जाता है। उस उपन्यास को पढकर पता चलता है की यह उपाधि किसनी सत्य है।
         उपन्यास आरम्भ के कुछ पृष्ठों पर अपनी पकड़ इतनी मजबूत बना लेता है की पाठक उस पकड़ से आजाद होना भी नहीं चाहता। उपन्यास का एक -एक पात्र स्वयं में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करवाने सक्षम है। जब भी नया पात्र आता है तो वह एक रहस्य ही बनता है। चाहे वह विमला हो या विनाश।
     इस प्रसिद्ध उपन्यास पर फिल्म नायक अक्षय कुमार की सुपर हिट फिल्म 'सबसे बडा़ खिलाड़ी' भी बन चुकी है। यह इस उपन्यास की प्रसिद्ध का एक उदाहरण है। उपन्यास केे विषय में ज्यादा चर्चा करने का मतलब है कहानी का वास्तविक रस खत्म करना। यह उपन्यास अपने प्रकाशन दिवस से लेकर आज तक चर्चा में है। अगर आपने आज तक यह उपन्यास नहीं पढा तो एक बार अवश्य पढें। 

निष्कर्ष-
प्रस्तुत उपन्यास एक बहुत ही पेचीदा उपन्यास है। पृष्ठ दर पृष्ठ रहस्य से लिपटा यह उपन्यास पाठक को रोमांच की एक नयी दुनियां में ले जायेगा।  उपन्यास में मनोरंजन के सभी तत्व समान मात्रा में उपलब्ध हैं।     

 अगर आप रोचक, मर्डर मिस्ट्री जैसे उपन्यास पढने के इच्छुक हो तो यह उपन्यास अवश्य पढें।

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उपन्यास- लल्लू
लेखक- वेदप्रकाश शर्मा
प्रकाशक- तुलसी पैपर बैक्स, मेरठ
पृष्ठ- 288
मूल्य- 80₹

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