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Wednesday, 7 December 2022

547. काला नाग- रीमा भारती

रीमा भारती और नीना जोजफ का कारनामा

काला नाग- रीमा भारती

हिंदी जासूसी कथा साहित्य में लेखिका रीमा भारती का नाम एक्शन- थ्रिलर लेखिका के रूप में लिया जाता है। इनके लिखे एक्शन- थ्रिलर उपन्यास एक समय बहुत चर्चित थे। मूल रूप से दिनेश ठाकुर द्वारा सृजित किरदार रीमा भारती को आधार बनाकर उपन्यास लिखे गये हैं। 



    लेखिका रीमा भारती द्वारा रीमा भारती सीरीज का उपन्यास 'काला नाग' पढा। यह एक रोमांच से परिपूर्ण एक्शन उपन्यास है। जिसके कहानी आतंकवाद से संबंधित है।

      रीमा भारती 
    माँ भारती की उददंड, शरारती और लाडली बेटी थी वो। कोई उसके देश की ओर बुरी दृष्टि से देखे - अथवा उसके वतन को तबाह करने की योजना बनाये- इसे वो कतई बर्दाश्त नहीं कर सकती थी।

    माँ भारती की उददंड, शरारती और लाडली बेटी थी वो। कोई उसके देश की ओर बुरी दृष्टि से देखे - अथवा उसके वतन को तबाह करने की योजना बनाये- इसे वो कतई बर्दाश्त नहीं कर सकती थी।
       रीमा भारती भारतीय गुप्तचर विभाग की जासूस है। जिसे एक दिन भारतीय गुप्तचर विभाग का चीफ खुराना बताता है-
    "खूफिया सूत्रों से पता चला है कि कुछ आतंकवादी संगठन अब एकजुट होकर रासायनिक हथियारों के निर्माण की योजना बना रहे हैं।"     यह रासायनिक हथियार पाकिस्तान के 'पाक अधिकृत कश्मीर' में बनाने की खबर खुराना को मिली थी और यही सूचना खुराना ने रीमा भारती को दी थी। और रीमा भारती ने यह तय किया की वह पाकिस्तान जाकर उन आतंकवादी अड्डों में निर्मित हो रहे रासायनिक हथियारों को नष्ट करेगी।
    नीना जोजफ-
    अंडरवर्ल्ड की वो खतरनाक हस्ती-जिसे पूरी दुनिया जानती कानून की नजरों में एक खतरनाक मुजरिम।
    शाम डूब रही थी और वो इस वक्त पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के एयरपोर्ट पर खड़ी थी। जिस्म पर काली जींस, सुर्ख जैकेट, आंखों पर काला चश्मा और चेहरे की रंगत ऐसी - जैसे किसी ने दूध में चुटकी भर सिंदूर मिला दिया हो। खूबसूरती ऐसी कि देखने वाला
    कुछ पलों तक देखता ही रहे।           नीना जोजफ किसी काम से पाकिस्तान पहुंची थी और उसका सामना पाकिस्तान की गुप्तचर संस्था आई. एस. आई. हो जाता है। संयोग के चलते रीमा भारती की मुलाकात पाकिस्तान के प्रसिद्ध रसायन वैज्ञानिक नादिर खान की पुत्री रजिया से होती है। जो नीना जोजफ से सौदा करती है पाकिस्तानी आतंकवादियों की कैद से अपने पिता को छुड़ावाने का।
        दीपक शर्मा पाकिस्तान में रीमा भारती का सहायक होता है। जो नीना जोजफ से रीमा भारती के संबंध में मदद मांगता है, जबकि रीमा भारती और नीना जोजफ जानी दुश्मन है। लेकिन भारतीय होने के नाते नीना जोजफ रीमा की मदद करती है।
      ब्लैक फ्लैग पाकिस्तान का एक खतरनाक आतंकवादी संगठन है जो पाक अधिकृत कश्मीर के एक क्षेत्र में रासायनिक हथियारों के निर्माण के लिये प्रयासरत है। 
      रीमा भारती का उद्देश्य जहाँ आतंकवादी संगठन का सफाया करना है और नीना जोजफ का उद्देश्य पाकिस्तान के रासायनिक वैज्ञानिक नादिर खान को कैद मुक्त करवाना है। दोनों के उद्देश्य अलग- अलग हैं पर रास्ता एक है इसलिए दोनों कहीं न कहीं आपस में टकरा जाती हैं। 
      पूरे उपन्यास में रीमा भारती एक तरफ जहां नीना जोजफ की दुश्मन नज़र आती है वहीं वह कदम-कदम‌ पर नीना जोजफ की मोहताज भी दृष्टिगत होती है। वह चाहे ब्लैग फ्लैग के सदस्य बादशाह खान की कैद से आजादी हो या फिर पुलिस मुठभेड़ हो या फिर ब्लैक फ्लैग की कैद हो, हर जगह नीना जोजफ रीमा भारती की मदद करती है। इस दृष्टि से पूरे उपन्यास में नीना जोजफ रीमा भारती पर हावी रहती है।
       एक दृश्य देखें- 
    दीपक शर्मा अपने फ्लैट पर ही था। डोर बैल की आवाज सुनकर उसने दरवाजा खोला तो सामने खड़ी रीमा भारती को तत्काल ही पहचान लिया। हालांकि रीमा भारती मेकअप में थी-इसके बावजूद भी दीपक शर्मा को उसे पहचानने में बिल्कुल भी वक्त नहीं लगा था।
      उपन्यास में कहीं रीमा भारती मेक अप में है तो कहीं नीना जोजफ लेकिन मजे की बात यह है की इनको तुरंत पहचान लिया जाता है।  
      उपन्यास का अंत- उपन्यास का समापन कोई तार्किक है ही नहीं। हाँ, यह कह सकते है की रीमा भारती ने नीना जोजफ और दीपक शर्मा की मदद से रासायनिक हथियारों का भण्डार खत्म कर दिया पर अंत में सब खल पात्र गायब होते हैं। सब कहां गये, उन्होंने रीमा और जोजफ का सामना क्यों नहीं किया कुछ स्पष्ट नहीं।
    डायलॉग
    - मैंने अपने जीवन में हमेशा मौत पर विजय पायी है।
    -  रीमा भारती मर तो सकती है, मगर किसी भी हालत में अपनी पराजय स्वीकार नहीं कर सकती।

    उपन्यास शीर्षक - उपन्यास का शीर्षक 'काला नाग' है। यह शीर्षक कहीं भी स्पष्ट नहीं होता। उपन्यास में अगर कोई खल पात्र भी विशेष भूमिका में होता तो मान लेते यह शीर्षक खल पात्र के लिये रहे।
    यहाँ तो कोई खलपात्र भी नहीं जिसे 'काला नाग' कहा जाये।
       लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में एक वह समय था जब प्रकाशक कोई भी नाम घोषित कर देते थे और फिर बाद में कहानी लिखी जाती थी। क ई बार तो कहानी और शीर्षक का कोई संबंध भी नहीं होता था। ऐसा ही प्रस्तुत उपन्यास में है।
    रवि माथुर का उपन्यास 'ब्राउन शुगर' पढा था जिसमें ब्राउन शुगर तो दूर की बात कहीं कोई नशे की भी चर्चा नहीं थी।
        अगर आपने ऐसा कोई उपन्यास पढा हो जहाँ कहानी और शीर्षक में समानता न हो तो कमेंट बाॅक्स में अवश्य बतायें।
    काला नाग उपन्यास का प्रथम पृष्ठ

    प्रस्तुत उपन्यास 'काला नाग' आतंकवाद से संबंधित है। कुछ आतंकवादी रासायनिक हथियारों का निर्माण करना चाहते हैं, जो भारत के लिये ही नहीं वरन् संपूर्ण संसार के लिए विनासकारी साबित हो सकते हैं। ऐसे आतंकवादी संगठन को खत्म करने के लिए रीमा भारती पाकिस्तान जाती है और अपना मिशन पूर्ण करती है।
      उपन्यास एक्शन और रोमांच से परिपूर्ण है। कहानी प्रवाह अच्छा है। उपन्यास एक बार पढा जा सकता है।
    उपन्यास- काला नाग
    लेखक-   रीमा भारती
    प्रकाशक - तुलसी साहित्य पब्लिकेशन, मेरठ
    पृष्ठ-  271

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