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Tuesday 10 May 2022

518. तीसरी आँख - कमलदीप

 लेखक कमलदीप का प्रथम उपन्यास
तीसरी आँख - कमलदीप #मर्डर मिस्ट्री

पत्थर की जुबान रखने वाले शातिर अपराधी भी अमन के आगे तोते की तरह बोलने लगता था। मुर्दे के हलक में हाथ डालकर सच्चाई उगलवाने की काबिलियत थी उसमे , वही अमन वर्मा रामा पैलेस में एक के बाद एक हो रहे क़त्ल के चक्रव्यूह में उलझ कर रह गया था। तीन -तीन क़त्ल की वारदांतो ने उस तेज तरार जासूस की खोपड़ी घुमा कर रख दी थी उसकी तीसरी आँख क्या इन क़त्ल का राज़ उजागर कर सकी...?  
    'तीसरी आँख' कमलदीप जी के स्वयं के नाम से प्रकाशित होने वाला प्रथम उपन्यास है। उपन्यास का प्रकाशन 'अजय पॉकेट बुक्स- दिल्ली' ने किया है। कमलदीप जी लम्बे समय से उपन्यास साहित्य में सक्रिय हैं, पर Ghost Writing के शिकार होने के कारण कभी स्वयं के नाम से प्रकाशित होने का अवसर नहीं मिला। 'अजय पॉकेट बुक्स' के कथनानुसार गौरी पॉकेट बुक्स से प्रकाशित होने वाले Ghost writer 'केशव पण्डित' का प्रथम उपन्यास 'सुहाग की हत्या' कमलदीप जी द्वारा लिखा गया है।     अजय पॉकेट का हार्दिक धन्यवाद जो एक गुमनाम सितारे को साहित्य के फलक पर स्थान दिया।
   'तीसरी आँख' एक मर्डर मिस्ट्री आधारित रचना है। यह कहानी है रामा पैलेस से संबंधित। रामा पैलेस जुहू चौपाटी की जानीमानी एस्टेट है। हजारों वर्गफुट में बना यह शानदार बंगला मुम्बई के मशहूर प्रॉपर्टी डीलर रामजी मल्होत्रा का था।
रामा पैलेस में रामजी मल्होत्रा के तीन पुत्र रहते हैं। राजन मल्होत्रा और उनकी‌ पत्नी आरती, राहुल मल्होत्रा और उसकी पत्नी काजल और राजीव मल्होत्रा, जो अविवाहित है।
     और एक दिन रामा पैलेस में आरती मल्ल्होत्रा का कत्ल हो जाता है। तब वहाँ से जासूस अमन वर्मा को बुलावा आता है-   रामा पैलेस में जल्दी आइए साहब, यहां मेरी मालकिन आरती मल्होत्रा का कत्ल हो गया है।
      अमन वर्मा एक प्रतिष्ठित युवा जासूस है जो अपनी तीसरी आँख सेक्रेटरी नैना के साथ अपने कार्य को अंजाम देता है। अमन वर्मा के विषय में कहा जाता है- अमन वर्मा जासूसी दुनिया में छोटा नाम नहीं है तुम जमीन में दफन मुर्दे को निकाल कर उसका बयान लेने की काबलियत रखते हो।
   लेकिन यहाँ अमन वर्मा कुछ भी नहीं कर पाता, उसकी खोजबीन के मध्य एक और कत्ल हो जाता है। अमन वर्मा की खोजबीन में यही सामने आता है की रामा पैलेस के तीन भाईयों में से सबसे छोटा भाई एक एक्सीडेंट के दौरान अपनी टांगें खो चुका है, मध्यम भाई ज्यादातर घर के बाहर नशे की दुनिया में व्यस्त रहता है और सबसे बड़ा भाई व्याापार देखता है और उसकी पत्नी आरती मल्होत्रा का खून हो गया है।
 वहीं शहर में नशे के स्मगलर भी सक्रिय हैं। अमन वर्मा को संदेह है की रामा पैलेस का संबंध किसी न किसी रूप से इन स्मग्लर लोगों से है, पर रामा पैलेस में हुये हत्याकांड को वह फिर भी नशे के व्यापारियों से नहीं जोड़ पाता।
‌‌   दुनिया का सबसे काबिल और कंप्यूटर से तेज दिमाग रखने वाला अमन इन हत्याओं के मामले में बेबश और लाचार होकर रह गया। कोई क्लू उसके हाथ नहीं आ रहा था।
लेकिन अंततः अमन वर्मा भी यह तय कर लेता है की उसे वास्तविक अपराधी तक पहुंचना है और रामा पैलेस में हो रही हत्याओं का रहस्य खोजना है।
          कुछ देर वह खड़ा अपनी स्थिति पर काबू पाने की कोशिश करता रहा, फिर उसके हाथों की मुठ्ठियां कस गई। जबड़ा भींच कर वह एक-एक शब्द चबाता हुआ बोला-‘बहुत हो गया खेल…तूने मुझे बहुत छका लिया है-अब तेरी बारी है रोने की..मैं तेरी नकाब खींच कर तुझे बेनकाब कर दूंगा-तुझे मैं उस लबादे से बाहर निकालूंगा जिसे ओढ़ कर तू मेरी आंखों में धूल झोंक रहा है। मैं तेरी वो हालत बनाऊंगा कि तेरी रूह भी पनाह मांगने लगेगी।
     और जैसा की पाठक को पता ही है जासूस अमन वर्मा अंततः असली कातिल को ढूंढ ही लेता है और नशे के व्यापारियों को भी खत्म कर देता है।
    'तीसरी आँख' उपन्यास का कथानक परम्परागत कथानक है। उपन्यास में कुछ भी नयापन नहीं है, कहानी 80 के दशक में चलने वाले उपन्यासों की तरह है। जासूस अमन वर्मा जासूसी कार्य कम और एक्शन ज्यादा करता नजर आता है, वह बातचीत या खोजबीन के द्वारा बात को हल न करके रिवॉल्वर के माध्यम से धमका कर हल करने में यकीन करता है।
  वहीं लूमड़ा जैसे अपराधी भी उपन्यास में नजर आयेंगे जो दमदार दर्शाये गये हैं पर कहीं उनका दम दृष्टिगत नहीं होता।
     उपन्यास का शीर्षक भी भ्रामक है। तीसरी आँख शब्द जासूस अमन वर्मा की सेक्रेटरी के लिए प्रयुक्त हुआ है, जो उपन्यास में उपस्थित तो है लेकिन उसे आधार बना कर उपन्यास का नामकरण कर दिया जाये यह उचित प्रतीत नहीं होता।
  उपन्यास में मुद्रण (typing) की बात करें तो यहाँ शाब्दिक गलतियाँ की संख्या असंख्य है। कहीं-कहीं तो वाक्य में यह भी पता नहीं चलता की कौन-कौन से पात्र परस्पर संवाद कर रहे हैं, सब एक पंक्ति में ही समेट दिया गया है। अर्द्ध विराम, अल्प विराम और पूर्ण विराम जैसे गलतियाँ तो पूरे उपन्यास में ही है।
               'तीसरी आँख' एक मर्डर मिस्ट्री रचना है। जो मध्यम स्तर से भी नीचे की रचना है। उपन्यास का प्रस्तुतीकरण ही कथानक का कमजोर पक्ष नजत आता है और उपन्यास का क्लाइमैक्स तो उपन्यास को कमजोर बनाने में अत्यंत मददगार साबित होता है।
   एक लेखक लम्बे संघर्ष के पश्चात उपन्यास साहित्य मे अपने नाम के साथ उपस्थित होता है लेकिन एक कमजोर कथानक के साथ। उम्मीद है भविष्य में लेखक महोदय वर्तमान समय को ध्यान में रखकर कुछ नया साहित्य सर्जन करेंगे।
धन्यवाद।
उपन्यास - तीसरी आँख
लेखक-    कमलदीप
प्रकाशक - अजय पॉकेट बुक्स
संस्‍करण-  05 may 2022 (Kindle)

5 comments:

  1. ओह...ये उपन्यास पढ़ने के लिए निकाला था। खैर देखते हैं कैसा बन पड़ा है।

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  2. बकवास किताब है यें....

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  3. गुरप्रीत जी आपके reviews बहुत honest होते हैं... मैने 2-3 bloggers के भी पढ़े हैं बाकी सब baised लगते हैं और फ्री कॉपी लेकर सिर्फ अच्छा अच्छा लिखते हैं

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    1. Rana साहब, आपको समीक्षा अच्छी लगी, धन्यवाद।

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  4. बहुत जबरदस्त सर जी

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