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Monday, 22 June 2020

337. कुमकुम- कुशवाहा कांत

द्रविड़ और आर्य राजाओं की संघर्ष गाथा
कुमकुम- कुशवाहा कांत

लेखक अपने जीवन काल में कुछ ऐसी अविस्मरणीय, अमिट रचनाएँ लिख जाता है कि वह उसके सम्पूर्ण साहित्य का प्रतिनिधित्व करती प्रतीत होती हैं। कुछ रचनाएँ सूर्य की भांति होती है जिसके आलोक में अन्य सितारे(रचनाएं) दृष्टिगत नहीं होते।
        कुशवाहा कांत मेरे प्रिय लेखक रहे हैं। इनके द्वारा लिखी गयी 35 रचनाओं में से तकरीबन बीस रचनाएँ मैंने पढ ली हैं। इनके कुछ उपन्यास अविस्मरणीय है तो कुछ विस्मरणीय भी हैं। किसी भी लेखक सभी रचनाएँ श्रेष्ठ नहीं होती लेकिन कुछ रचनाएँ श्रेष्ठतम भी होती हैं।
       कुशवाहा कांत जी के 'लाल रेखा', 'विद्रोही सुभाष', 'आहुति' आदि वह रचनाएँ हैं जो इनके लेखन का प्रतिनिधित्व करती नजर आती हैं। इसी क्रम में एक और उपन्यास शामिल होता है वह है 'कुमकुम'।

आर्य और द्रविड़ राजाओं के युद्ध को आधार बना कर, इतिहास पर कल्पना का आवरण चढा कर रचा गया यह उपन्यास चाहे ऐतिहासिक नहीं है पर इतिहास के एक अध्याय का इतना रोमांचक वर्णन करता है कि सब जीवंत सा प्रतीत होता हैै। 
         उपन्यास का कथानक द्रविड़ क्षेत्र के राजा युगपाणि के जीवन पर आधारित है। न्यायप्रिय युगपाणि के जीवन में कुछ ऐसी घटनाएं घटित होती हैं की वे एक राजा राजा के रूप में तो न्याय कर देते हैं लेकिन नैतिक दृष्टि वह न्याय उन्हे कमजोर कर देता है।
        युवराज नारिकेल नृतकी निहारिका के आकर्षण में बद्ध है जो महापुजारी पौत्तालिक की दृष्टि में उचित नहीं है।
एक घटना के दौरान युवराज नारिकेल और वनवासी किरात कुमार पर्णिक के मध्य संघर्ष उत्पन्न हो जाता है।
आर्य प्रदेश का राजा तिंग्माशु अपने धर्म, संस्कृति और राज्य विस्तार के लिए द्रविड़ क्षेत्र पर आक्रमण करता है। हृदय से कमजोर से सैन्य सृष्टि से शक्तिशाली द्रविड़ राजा के सम्मुख आर्य राजा एक चुनौती की तरह उपस्थित है।
कथानक आगे बढता है और उक्त सभी घटनाएं परस्पर संबद्ध होती चली जाती हैं।

    उपन्यास का कथानक चाहे आर्य और द्रविड़ संघर्ष पर आधारित है, पर युद्ध का वर्णन बहुत संक्षिप्त है। क्योंकि उपन्यास का कलेवर छोटा है और कुछ अन्य घटनाएं भी उपन्यास में शामिल है। अगर इस युद्ध को विस्तृत रूप दिया जाता तो रोचकता में वृद्धि होती।
         उपन्यास का कथानक जितना रोचक और मनोरंजन है उपन्यास का कलेवर भी उसी के अनुरूप है। लेखक महोदय ने भाषा और पात्रों के माध्यम से उपन्यास को सुगठित बना कर तीव्र गति प्रदान की है जो पाठक को उपन्यास से आबद्ध रखता है।
        कुशवाहा कांत द्वारा रचित उपन्यास 'आहुति' भी इसी श्रेणी का उपन्यास है। वह भी कल्पना और इतिहास का मिश्रण है। आहुति उपन्यास राजा अशोक के पुत्र कुणाल पर आधारित है।
देशप्रेम और स्वतंत्रता संघर्ष कुशवाहा कांत जी के उपन्यासों में सहज ही मिल जाता है। 'कुमकुम' उपन्यास तो है ही देशप्रेम पर आधारित।
एक उदाहरण देखें- चित्र

उपन्यास पृष्ठ
भाषा शैली और संवाद-
उपन्यास की भाषा तात्कालिक समय को दर्शाती है। संस्कृत के शब्द भाषा में श्रीवृद्धि करते प्रतीत होते हैं। लेखक ने शब्दों और भावों उचित समायोजन किया है।
भाषा परिमार्जित और परिष्कृत दृष्टिगत होती है। लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में इस प्रकार भी भाषा शैली अन्यत्र दुर्लभ है।
- सुंदर पुष्पों का मधुर गंध वहन करता हुआ पवन, पुष्पपुर राजोद्यान में विचरन कर रहा था।
स्वच्छाकाश में आती हुई चारू चन्द्रिका, अर्द्धप्रस्फुटित कलिकाओं का सुकोमल मुख चुंबन कर रही थी। मदमत्त पौधों की टहनियाँ सौन्दर्य भार से दबी हुई, पुष्पराशि का भार वहन करती हुई,‌ मंथर गति से अपना सिर हिला रही थी, मानो प्रकृतिनटी के उस हृदयोउल्लासपूर्ण सृजन पर अपनी स्वीकारोक्ति प्रदान कर रही थी।

उपन्यास पृष्ठ
कुशवाहा कांत जी की एक विशेषता है जो जयशंकर प्रसाद जी के साहित्य की याद दिलाती है, वह है उपन्यासों में काव्य रचनाओं का प्रयोग करना। प्रस्तुत उपन्यास में भी कुछ काव्य पंक्तियाँ पठनीय है।
- लेकर कुंकुम थाली फिर से,
चलो चले हम एक नगर में,
जहां न दुख का मान हो आली,
सुख की सरिता करे कल्लोल,
प्राण पपीहे पी पी बोल।।


और एक संवाद भी देख लीजिएगा। यह संवाद मनोविज्ञान की किसी परिभाषा से कम नहीं।
- यौवन का आवेग आंधी के समान होता है। ...इस अवस्था में कोई भी प्रलयंकारी कार्य असंभव नहीं।

उपन्यास पात्र
किसी भी उपन्यास/ कथा में पात्रों का विशिष्ट महत्व होता है। पात्रों द्वारा ही कहानी आगे बढती है, संवाद स्थापित होता है।
यहाँ उपन्यास के महत्वपूर्ण पात्रों का संक्षिप्त परिचय दिया है।
युगपाणि- पुष्पपुर के राजा/ द्रविड़ राजा
त्रिधारा- द्रविड़ महारानी
नारिकेल- द्रविड़ युवराज
पर्णिक- एक योद्धा युवक
पौत्तालिक- द्रविड़ राज का महापुजारी
निहारिका- एक किन्नरी/ नृतकी
चक्रवाल- एक वादक
धेनुक- द्रविड़ सेना का संचालक
जाम्बुक- एक सेवक विशेष
तिग्मांशु- आर्य सेना का राजा

       द्रविड़ और आर्य युद्ध को आधार बना कर लिखा गया यह उपन्यास कल्पना और इतिहास का मिश्रण है। इसे ऐतिहासिक उपन्यास तो नहीं कहा जा सकता लेकिन कल्पना का जो रंग उपन्यास में बिखरा है वह पाठकवर्ग को प्रभावित करने में सक्षम प्रतीत होता है।
कुशवाहा कांत जी के श्रेष्ठतम उपन्यास में शामिल 'कुमकुम' संग्रहणीय रचना है।

उपन्यास- कुमकुम
लेखक-    कुशवाहा कांत
प्रकाशक- डायमण्ड पॉकेट बुक्स
पृष्ठ-
किंडल लिंक-  कुुुुुमकुम- कुशवाहा कांत


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