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Tuesday 17 March 2020

276. फोमांचू चिंगारियों‌ के देश में- आबिद रिजवी

मूर्ति का रहस्य...
फोमांचू चिंगारयों के देश में - आबिद रिजवी

आदरणीय आबिद रिजवी साहब का उपन्यास 'फोमांचू चिंगारियों के देश में' पढा। यह उनका सन् 1975 में लिखा गया एक थ्रिलर उपन्यास है। यह उस दौर का उपन्यास है जब लेखक अपनी एक अलग दुनिया बनाता था जिसमें उसके पात्र आश्चर्यजनक कारनामें दिखाते थे। तब मनोरंजन के साधनों का अभाव था, उपन्यास मनोरंजन एक अच्छा माध्यम थे। तब एक नयी दुनिया में नये पात्रों के साथ पाठक जो आनंद उठाता था। 
   आबिद रिजवी साहब ने समय के साथ उपन्यास लेखक की जगह जर्नल बुक्स लेखक में हाथ आजमाना आरम्भ किया और वे इस सफर में कामयाब भी रहे। लेकिन उपन्यास प्रेमियों की मांग पर पुराने उपन्यास कहीं न कहीं से खोज कर पाठकों के लिए उपलब्ध करवा ही देते हैं, वह भी PDF वर्जन में नि:शुल्क।
वर्तमान समय में जब अधिकांश लेखक इस क्षेत्र से दूर हो गये लेकिन वे अपने उपन्यास भी खो बैठे। इस समय में आबिद रिजवी साहब ने जो PDF का मार्ग अपनाया है वह चाहे उन्हें आर्थिक लाभ न दे, पर अपने पाठकों से निरंतर जुड़ने का मौका उपलब्ध करवाता है। अन्य लेखकों को भी PDF या online अन्य प्लेटफार्म मे माध्यम से अपने उपन्यास पाठकों को उपलब्ध करवाने चाहिए।  


उपन्यास का PDF संस्करण
        अब चर्चा करते हैं प्रस्तुत उपन्यास 'फोमांचू चिंगारियों के देश में' की। यह उपन्यास दो भागों में द्वितीय भाग का नाम है 'चिंगारियों का नाच'।
सुपरिटेन्डेन्ट कैप्टन फैयाज का पुत्र विदेश से जब लौटा तो उसके पास एक दुर्लभ मूर्ति थी। उसी मूर्ति को प्राप्त करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय अपराधी फोमांचू वहीद का दुश्मन बन बैठा।
- आखिर क्या था मूर्ति का रहस्य?
- किसके हाथ लगी वह मूर्ति?



      यही दो बड़े प्रश्न इस उपन्यास को पढने की जिज्ञासा पैदा करते हैं और कथानक को आगे बढाते हैं।
हालांकि यह एक थ्रिलर उपन्यास है पाठक को एक अनुमान तो कहानी कट रहता है लेकिन जो प्रस्तुतीकरण लेखक प्रस्तुत करता है वहीं पाठक को उपन्यास पढने के लिए प्रेरित करती है।
       वहीद के पास जो मूर्ति है उसे पाने के लिए एक के बाद एक अपराधी मैदान में आते हैं लेकिन वहीद भी कम नहीं और जब वहीद के साथ जासूस इमरान हो तो कहानी कुछ अलग ही अंदाज में चलती है। जहां एक तरफ फोमांचू इस मूर्ति को प्राप्त करना चाहता है तो वहीं कुछ फोमांचू के दुश्मन भी उस मूर्ति को प्राप्त करने के लिए तैयार बैठे हैं। जब इमरान को मूर्ति की हकीकत पता चलती है तो वह भी मूर्ति के लिए मैदान में आ जाता है लेकिन मजे की बात यह की मूर्ति कहां है किसी को भी नहीं पता।
       मुख्य अपराधी पात्र फोमांचू का किरदार बहुत शानदार है। इस पात्र का खौफ सभी पर हावी है लेकिन दो और पात्र है राजा-जानी मुझे उनकी कार्य शैली बहुत रोचक और दिलचस्प लगी।

उपन्यास में पात्रों की बात करें तो मुझे पात्र कुछ ज्यादा लगे,पात्र कम होते तो कहानी को समझने में आसानी रहती है।
कुछ विशेष पात्रों का परिचय
इमरान- एक जासूस
रहमान- इमरान के पिता
फैयाज- पुलिस सुपरिटेन्डेन्ट
वहीद- फैयाज का पुत्र। जिसे 'सैक्स प्रिंस वहीद' की उपाधि प्राप्त है।
विशाल- उपन्यास का एक नायक जिसे 'ब्लैक टाइगर' की उपाधि प्राप्त है।
फोमांचू- चीन का खतरनाक अपराधी।
राजा-जानी- दो शरीफ बदमाश। दोनों का किरदार शानदार है।
ओमर- एक अपराधी। फोमांचू का दुश्मन।
मैडम शिवाना- एक सुन्दर महिला अपराधी। मैडम शिवाना संसार की खतरनाक, क्रूर, निर्दयी अपराधिनी के रूप में प्रख्यात नारी।
प्रोफेसर - एक वैज्ञानिक
जूली और फ्रेंडी- दो छोटे अपराधी
जोजफ- इमरान का अंगरक्षक
कुछ और पात्र भी अभी बाकी हैं।


उपन्यास पृष्ठ


उपन्यास का शीर्षक-
उपन्यास का शीर्षक 'फोमांचू चिंगारियों को देश' में है लेकिन अभी चिंगारिया भड़की नहीं और न ही फोमांचू उन चिंगारियों तक पहुंचा। इसलिये यह शीर्षक सार्थक नहीं लगता। अगर उपन्यास का शीर्षक 'मूर्ति का रहस्य' या मूर्ति से संबंधित होता तो ज्यादा अच्छा लगता।

प्रस्तुत उपन्यास दो भागों में है। प्रथम भाग मूर्ति पर केन्द्रित है। उपन्यास मध्य स्तर का है। उपन्यास में जासूस वर्ग और अपराधी वर्ग के कारनामे दिखाये गये हैं। एक्शन प्रेमी पाठकों के लिए अच्छा उपन्यास है।

वैसे उपन्यास दो भागों में है मात्र एक भाग पढकर  कहानी के विषय में कुछ कहना सही नहीं।

उपन्यास- फोमांचू चिंगारियों के देश में
लेखक-    आबिद रिजवी
प्रकाशक- तरंग पॉकेट बुक्स, ईश्वरपुरी, मेरठ
संस्करण- मार्च, 1975
द्वितीय भाग- चिनगारियों का नाच




1 comment:

  1. उपन्यास रोचक लग रहा है। आबिद जी को चाहिए कि उपन्यास अपनी साईट या kindle पर मौजूद करवाएं। अब तो kindle पर उपन्यास कोई भी उपलब्ध करवा सकता है। वाजिब कीमत रखें और kindle अनलिमिटेड के माध्यम से पाठकों को पाएं। उम्मीद है उनके और भी उपन्यास बाज़ार में आयेंगे।

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