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Sunday, 5 November 2017

77. बस्तर पाति- पत्रिका

लोक संस्कृति और आधुनिक साहित्य को समर्पित एक पत्रिका।

बस्तर पाति, त्रैमासिक पत्रिका, दिसंबर-अगस्त-2017

          Bछत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र से निकालने वाली एक लघु पत्रिका है बस्तर पाति। यह पत्रिका नाम से ही लघु है लेकिन इसका रचना क्षेत्र बहुत विशाल।
प्रस्तुत अंक खुदेजा खान जी पर केन्द्रित है। जिसमें खुदेजा खान जी की कहानियाँ, कविता के अतिरिक्त भी अन्य बहुत से लेखकों को स्थान दिया गया है।
पत्रिका का संपादकीय बहुत अच्छा है लेकिन अंत में वह लघु पत्रिका के प्रकाशन पर आकर मूल विषय से भटक गया प्रतीत होता है।
  वहीं एक काॅलम बहस (पृष्ठ-07) में काल्पनिक और भोगे हुए यथार्थ पर अच्छा लिखा गया है।

  एक साक्षात्कार में खुदेजा खान ने कहा है।
" स्त्री अपना भोगा हुआ यथार्थ ही लिखती है, लेकिन उसे पुरुष प्रधान समाज में पुरुष द्वारा बताया गया या निर्धारित किये गये मानदण्डों के अनुरूप मान लिया जाता है। यही तो विडम्बना है।" (पृष्ठ-15)
करमजीत कौर की कहानी  सेतु एक भावुक रचना है जि किसी भी पाठक के मन को छू जाती है।
ऐसी ही एक और कहानी है USA की लेखिका डाॅ. सुदर्शन प्रियदर्शिनी की भीड़। हम भीङ में भी कितने अकेले हैं, इसका दर्द वही समझ सकता है जिसने इस यथार्थ को भोगा है।
नरेश कुमार उदास की कहानी माँ सबकी एक समान होती है (पृष्ठ- 27) एक अच्छी रचना है, पर यह कहानी पाठक बहुत बार बहुत से रूप में पढ चुके हैं। कहानी में कोई नयापन नहीं।
     हमारी राजनीति और हमारे व्यवहार में आये दोहरेपन को बहुत ही अच्छे तरीके से व्यक्त करती है रीना मिश्रा की कहानी फर्क
यह कहानी इस अंक की मेरी दृष्टि में एक अच्छी कहानी है।
इस अंक में काफी लघुकथाए भी हैं जो अच्छी हैं। कम शब्दों में गंभीर बात कहने में लघुकथा सक्षम है।
  पत्रिका में काव्य रचना भी बहुत अच्छी हैं। पत्रिका नये लेखकों को भी खूब अवसर दे रही है।
 

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पत्रिका - बस्तर पाति
अंक- 11,12,13- दिसंबर-अगस्त-2017
(यह संयुक्त अंक है)
प्रकाशक-  सनत कुमार जैन
पृष्ठ-70
मूल्य-25₹
Email- paati.bastar@gmail.com
www.paati.bastar.com

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