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Saturday, 4 November 2017

76. चिनगारियों का नाच- परशुराम शर्मा

कैप्टन विनोद और विनोद का कारनामा।
चिंगारियों का नाच, जासूसी उपन्यास, अपठनीय।
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    लोकप्रिय उपन्यास जगत के महान लेखक परशुराम शर्मा का उपन्यास चिनगारियों का नाच इनके प्रसिद्ध पात्र हमीद, विनोद और कासिम पर आधारित है और इसमें खलनायक है जीराल्ड शास्त्री।
     जीराल्ड शास्त्री  विश्व विजेता बनने का ख्वाब देखता है और हर बार की तरह हमीद और विनोद उसके ख्वाब को पूर्ण होने से पहले ही खत्म कर देते हैं।
  प्रस्तुत उपन्यास में मात्र यही एक छोटी सी कहानी है। इसमें न तो कोई सस्पेंश है और न ही कोई रोमांच। ऐसा लगता है जैसे लेखक ने अपने प्रसिद्ध पात्रों के नाम का फायदा उठाया हो।
  
   एक दो जगह लगता है की उपन्यास में कुछ रोमांच बनेगा लेकिन बन नहीं पाता।
असली- नकली विनोद का किस्सा भी ज्यादा नहीं चला। उपन्यास के अंत में और वह भी बिलकुल अंत में पाठक को चौंकाने के लिए एक छोटा सा प्रयोग उपस्थित है वह अवश्य उपन्यास में कुछ जान डालता है बाकी उपन्यास किसी भी दृष्टि से पठनीय नहीं है।
    हालांकि किसी भी महान लेखक की प्रत्येक कृति महान नहीं होती यह भी परशुराम शर्मा की एक ऐसी ही कृति है।
     उपन्यास की कहानी कोई विशेष नहीं है। इस उपन्यास को कम पृष्ठ और परशुराम शर्मा का उपन्यास होने के रूप में एक बार पढा जा सकता है।
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उपन्यास- चिनगारियों का नाच
लेखक- परशुराम शर्मा
प्रकाशक- किरण प्रकाशन, प्रेम पुरी, मेरठ।
पत्रिका- जासूसी तहलका।
संपादक- विजय कुमार जैन।
पृष्ठ- 97
मूल्य-

1 comment:

  1. जी एक कई बार होता है कि अपेक्षा के अनुरूप कोई कृति नहीं निकलती। ये कृति भी उनमे से एक लगती है।

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