महाबली चीका- रमेशचन्द्र गुप्त 'चन्द्रेश'
उस व्यक्ति ने गर्दन उठा कर उस इमारत की ओर देखा । दस मंजिली वह इमारत अपनी भव्यता के कारण राह चलते व्यक्तियों के लिए पर्याप्त आकर्षण रखती थी । इमारत के दाहिने कोने पर एकदम ऊपर नियोन साइन में एक नाम चमक रहा था ।
संगीता !
राजधानी की ऐश्वर्यपूर्ण महानगरी में संगीता नया खुला होटल था। डेढ़ सौ वाले कमरों को लेकर खोले गये इस होटल में एक स्वीमिंग पूल भी था और तमाम प्रकार की वे सुख-सुविधायें जिन्हें पैसों के बल पर आसानी से प्राप्त किया जा सकता है ।
उस व्यक्ति के हाथ में एक खूबसूरत सूटकेस था । लम्बे कद और चौड़े कधों वाले उस आदमी ने आँखों पर रंगीन चश्मा और सिर पर नाइट कैप लगा रखी थी । कैप कुछ इस प्रकार चेहरे पर झुकी थी किउसका मस्तक एक प्रकार से उसमें छिप सा गया था । चेहरे पर घनी मूंछें थी जो उसके व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाने के से साथ-साथ रहस्यमय भी दिख रही थीं ।
उसका शरीर सूट से ढका होने पर भी काफी उभरा-उभरा और शक्तिशाली दीख रहा था । बाँहों की मछलियों की उठान स्पष्ट झलका रही थी । (उपन्यास प्रथम पृष्ठ से)
लोकप्रिय जासूसी उपन्यास साहित्य में रमेशचन्द्र गुप्त 'चन्द्रेश' एक विशिष्ट नाम रहे हैं। उन्होंने थ्रिलर और शृंखलाबद्ध जासूसी उपन्यासों की रचना की है। जो कथास्तर पर काफी प्रभावशाली उपन्यास हैं।