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Sunday, 30 October 2022

540. कोई लौट आया- चन्द्रप्रकाश पाण्डेय

जातिवाद से उपजी एक हाॅरर कथा
आखिर क्यों?
कोई लौट आया- चन्द्रप्रकाश पाण्डेय

कुटकुट को नहीं पता था कि पुराने तालाब में ऐसी क्या तासीर है कि बच्चों के उधर से गुजरने पर प्रतिबन्ध है मगर इतना जरूर मालूम था कि एक-दो बार रात में उधर से अकेले जा रहे कुछ लोग बुत होकर गिर गये थे, आँखें उलट गयी थीं और मुँह से झाग निकलने लगा था। तालाब के बारे में प्रचलित कहानियाँ और घटनाएं याद करके उसके बदन में भय का संचार होने लगा। ठण्डी हवा से उसका जिस्म पहले ही सिहर रहा था, अब डर से भी सिहरने लगा।
वह ठहरा और मन ही मन हनुमान जी को याद करते हुए कल्पना किया कि वे उसके पीछे-पीछे कंधे पर गदा टिकाये हुए आ रहे हैं। इस ख्याल ने उसे बड़ी राहत दी और वह पुन: अपने हाव-भाव से निडरता दर्शाते हुए आगे बढ़ने लगा। (kindle)
   वर्तमान लोकप्रिय उपन्यास साहित्य की हाॅरर श्रेणी में चन्द्रप्रकाश पाण्डेय का नाम सबसे ऊपर है। अगर मैं अपनी बात करूं तो मुझे हाॅरर मूवीज और कहानी कभी पसंद नहीं आती लेकिन चन्द्रप्रकाश पाण्डेय जी की रचनाओं में जो आकर्षण होता है वह मुझे सम्मोहित कर लेता है। क्योंकि इनके उपन्यास अन्य हाॅरर रचनाओं की तरह मात्र घटनाएं ना होकर एक व्यवस्थित कहानी वाले होते हैं।‌
प्रस्तुत उपन्यास 'कोई लौट आया'  एक पैरानाॅर्मल कहानी है, और यह कहानी समाज की एक दूषित प्रथा जातिवाद पर भी प्रहार करती है।

Friday, 21 October 2022

539. #हैशटैग - सुबोध भारतीय

शहरी जीवनी की कहानियाँ
#हैशटैग- सुबोध भारतीय
लेखक सुबोध भारतीय जी के साथ
सुबोध भारतीय जी को हम एक प्रकाशक के रूप में तो जानते हैं लेकिन एक कहानीकार के रूप में मेरा उनसे प्रथम साक्षात्कार है। 

   प्रस्तुत कहानी संग्रह '# हैशटैग' में कुल आठ कहानियाँ हैं जो शहरी परिवेश के विविध रूप पाठक के समक्ष प्रस्तुत करती हैं। जो रोचक हैं, मार्मिक हैं, हास्यजनक है और संवेदनशील है।

Thursday, 20 October 2022

538. काम्बोजनामा- राम पुजारी

लोकप्रिय जासूसी साहित्य के वटवृक्ष- वेदप्रकाश काम्बोज
काम्बोजनामा- राम पुजारी

लोकप्रिय जासूसी उपन्यास साहित्य में वेदप्रकाश काम्बोज जी उस वटवृक्ष की तरह हैं जिसके नीचे असंख्य जीव- पौधे पनपते हैं और उस से वटवृक्ष अनजान होता है। जासूसी लेखन से साहित्यिक गलियारों तक में कलम चलाने वाले, मंजिल को भुला अपने इस सफर के आनंद में डूबे, लेखन पथ पर आवारगी करने वाले वेदप्रकाश काम्बोज एक ऐसे ही व्यक्तित्व हैं, जिनके पात्रों पर बहुसंख्यक लेखकों ने लिखा पर वेदप्रकाश काम्बोज उस से अलग ही रहे। ऐसे सरल स्वभाव के काम्बोज जी को समर्पित, उन्हीं के जीवन‌ पर आधारित रचना है - काम्बोजनामा ।
' काम्बोजनामा' के लेखक राम पुजारी जी के साथ 17.09.2022, मेरठ

 उसी वटवृक्ष के जीवन और लेखन को युवा लेखक राम पुजारी जी ने 'काम्बोजनामा' में समेटने का जो प्रयास किया है वह उपन्यास साहित्य में एक मील पत्थर है। हजारीप्रसाद द्विवेदी जी के शिष्य ने 'व्योमकेश दरवेश लिखा, कुशवाहा कांत जी के शिष्य ने 'कुशवाहा कांत...' लिखा। ऐसा ही एक प्रयास रामपुजारी जी ने 'काम्बोजनामा' में किया है।

Saturday, 15 October 2022

537. युगांतर - दिलशाद अली

युग बदला, पर नहीं बदला प्रेम और प्रतिशोध
युगांतर- दिलशाद अली

सुनते आए हैं कि मोहब्बत जब हद से बढ़ जाए, तो इबादत बन जाती है। बिल्कुल ऐसे ही, जैसे दर्द एक हद को पार करके दवा बन जाता है।
कुछ ऐसी ही मोहब्बत थी बाहर ग्रह से आई फूली सी नाजूक, परियों की सुंदर,  विद्युत सी चपल चंद्रिका की और पृथ्वी के साधारण से लड़के तारा की।
             सच्ची मोहब्बत हो और इम्तिहान ना ले, ऐसा संयोग विरला ही देखने में आता है।  तारा, और चंद्रिका की मोहब्बत भी सच्ची थी। न सिर्फ सच्ची थी, बल्कि इबादत
की सूरत भी अख्तियार कर चुकी थी।
             लिहाजा इम्तिहान की शक्ल में उनके हिस्से में युगों- युगों की जुदाई आई, और जुदाई भी ऐसी कि दोनों न सिर्फ एक दूसरे को, बल्कि खुद को भी भूल गए।
क्या हुआ जब याददाश्त खो चुके चंद्रिका और तारा का युगों बाद आमना-सामना हुआ ?
वृहद कालखंड में फैली एक लोमहर्षक विज्ञान फंतासी युक्त प्रेम कहानी।
(किंडल से)
लेखक दिलशाद अली जी के साथ, मेरठ 17.09.2022

उत्तर प्रदेश के हापुड़ शहर के युवा लेखक दिलशाद अली जी की द्वारा रचना 'युगांतर' शब्दगाथा प्रकाशन से प्रकाशित हुयी है।
   यह कहानी है प्रेम और प्रतिशोध की जो सदियों तक फैलाव लिये हुये है।

Saturday, 8 October 2022

536. पल पल दिल के पास- अतुल प्रभा

काश! यह कहानी काल्पनिक होती
पल पल दिल के पास- अतुल प्रभा
प्यार कोई बोल नहीं प्यार आवाज़ नहीं
एक खामोशी है, सुनती है, कहा करती है 
ना ये रुकती है, ना झुकती है, ना ठहरी है कहीं 
नूर की बूँद है, सदियों से बहा करती है। - गुलजार
 कुछ कहानियाँ, कुछ किताबें ऐसी होती हैं जो मन को छू जाती हैं। मन‌ पर एक अमिट छाप छोड़ जाती हैं।  और कहानी अगर सत्य हो और व्यथा से परिपूर्ण हो तो मन‌ में एक कसक सी भी उठती है काश! यह कहानी काल्पनिक होती।
   कल्पना सत्य से बहुत आगे की चीज है, पर कभी-कभी सत्य भी इतना कठोर होता है की वहाँ कल्पना भी ठहर गयी सी प्रतीत होती है।
ऐसी ही एक सत्य कथा है -पल पल दिल के पास।
लेखक अतुल प्रभा जी के साथ 18.09.2022
   सितम्बर 2022 में दिल्ली- मेरठ जाना हुआ था। दिल्ली में 'नीलम जासूस कार्यालय' प्रकाशन जाना हुआ। वहीं अतुल प्रभा जी से मुलाकात हुयी।‌ स्निग्ध मुस्कान चेहरे पर बिखेरते हुये मिले अतुल जी। वहीं उनकी यह किताब मिली जो अपने अंदर लेखक महोदय के अथाह दर्द को समेटे हुये है।