दस घण्टे की मौत- मनहर चौहान
हिंदी साहित्य में मनहर चौहान का नाम साहित्यिक श्रेणी में रखा जाता है। लेकिन उन्होंने प्रयोग के तौर पर कुछ जासूसी उपन्यास भी लिखे हैं।
यह अच्छा प्रयास है जब कोई साहित्यिक लेखक इस तरह के उपन्यास लिखता है तो। यादवेन्द्र शर्मा चन्द्र जी ने एक साक्षात्कार में कहा था,- लोकप्रिय साहित्य की भाषा जहाँ खत्म होती है, गंभीर साहित्य की भाषा वहा से आरम्भ होती है।
इस खत्म और आरम्भ के बीच की खाई को भरने का काम कुछ साहित्यिक लेखकों ने किया जैसे श्रीलाल शुक्ल जी ने 'आदमी का जहर' लिख कर, मनु भण्डारी ने 'महाभोज' लिख कर और मनहर चौहान ने 'दस घण्टे की मौत' लिख कर।
इन उपन्यासों की कथा चाहे लोकप्रिय साहित्य श्रेणी की मर्डर मिस्ट्री हो या थ्रिलर पर इनकी भाषा उच्च कोटी की है।
मनहर चौहान जी ने अपने लेखकीय में लिखा है- 'दस घण्टे की मौत' का मूल स्वर रोमांच है। रोमांचक साहित्यिक उपन्यास हिंदी में प्राय नहीं लिखे जाते। मेरी लेखन नीति शुरू से ही स्पष्ट रही है कि जो हिंदी में प्रायः नहीं लिखा जाता, वही मैं लिखूं।(लेखकीय अंश)
इस दृष्टि से देखें तो यह उपन्यास एक प्रयोग की तरह है। मेरी दृष्टि में विमान अपहरण को लेकर बहुत कम उपन्यास लिखे गये हैं। और जो लिखे गये हैं उनका कथानक इस उपन्यास से अलग ही रहा है। इस उपन्यास का कथानक विमान अपहरणकर्ताओं पर आधारित है।
उनके पास दो रिवाल्वर थे। वे भी खुद दो थे-पिता और पुत्र। (पृष्ठ-07)