पवित्र पापी- नानक सिंह, उपन्यास
मनुष्य से जाने और अनजाने में गलतियाँ हो जाती हैं। कभी मनुष्य उन गलतियों को स्वीकार कर लेता हैऔर कभी नहीं।
सच्चा मनुष्य वही है जो अपनी गलती को स्वीकार कर ले। लेकिन कभी-कभी परिस्थितियाँ कुछ और ही कहानी व्यक्त कर देती हैं। मनुष्य को स्वयं तो लगता है उस से गलती हुयी लेकिन अन्य लोग मानते हैं कि वह गलत नहीं, ऐसी स्थिति को आप क्या कहेंगे।
पवित्र पापी- नानक सिंह |
मैं स्वयं पंजाबी हूँ, लेकिन पंजाबी में मैंने कभी विस्तृत साहित्य नहीं पढा। कहानियाँ और कविताओं के अतिरिक्त कभी नहीं। पंजाबी उपन्यास पढने का यह पहला अवसर है। पंजाबी उपन्यास और गुरुमुखी लिपि में।
पंजाब के खन्ना शहर के मित्र नवनीश भट्टी जी ने मुझे दो पंजाबी उपन्यास भेजे थे। नानक सिंह द्वारा रचित 'पवित्र पापी' और कृशनचंदर का 'एक औरत हजार अफसाने'(पंजाबी में अनूदित) मैं नवनीश का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ ।
अब चर्चा करते हैं प्रस्तुत उपन्यास की।