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Friday, 30 October 2020

395. साबरमती का संत- यशपाल जैन

राष्ट्रपिता गांधी जी की जीवन यात्रा 
साबरमती का संत- यशपाल जैन
2 अक्टूबर 1869 इस्वी को गाँधी जी का जन्म गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। 02 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाते हैं। तो मेरी हार्दिक इच्छा थी इस माह गांधी साहित्य को पढने की। मेरे विद्यालय पुस्तकालय में‌ गांधी साहित्य से संबंधित पुस्तकों की संख्या काफी है। मैंने दो पुस्तकों का चयन किया था पर पढ एक ही पाया।
     'साबरमती के संत' पुस्तक गाँधी जी के जीवन और विचारों का संक्षिप्त संकलन है, इस पुस्तक के लेखक हैं यशपाल जैन।
   इस पुस्तक के दो खण्ड हैं प्रथम खण्ड है जीवन झाँकी और द्वितीय खण्ड है में विचार, शिक्षा और आज के प्रश्न समाहित हैं।
   
हालांकि इस रचना में गाँधी जी के जीवन का संक्षिप्त वर्णन है फिर भी बहुत कुछ समेटा गया है। गाँधी जी के जीवन का आरंभ, दक्षिण अफ्रीका का संघर्ष, भारतीय राजनीति में प्रवेश, स्वतंत्रता संग्राम और मृत्यु तक।

Sunday, 25 October 2020

394. वापसी- यादवेन्द्र शर्मा 'चन्द्र'

एक औरत की व्यथा
वापसी/ हूं गोरी किण पीव री- यादवेन्द्र शर्मा 'चन्द्र'

 राजस्थानी साहित्य में यादवेन्द्र शर्मा 'चन्द्र' जी का अपना एक विशिष्ट स्थान है। उनकी रचनाओं में राजस्थानी भाषा की मिठास, लोक संस्कृति का चित्रण और सामाजिक समस्याओं का अनूठा चित्रण चित्रण मिलता है। 
     इन दिनों मैंने यादवेन्द्र शर्मा जी की तीन अनुवादित रचनाएं पढी हैं। 'मिनखखोरी'(राजस्थानी- जमारो) कहानी संग्रह और दो उपन्यास 'शतरूपा' और प्रस्तुत उपन्यास 'वापसी'(राजस्थानी- हूं गौरी किण पीव री)।
    यह तीनों रचनाएँ समाज में स्त्री की भूमिका और पुरूष के वर्चस्व को रेखांकित करती हैं।
    अब बात करते हैं 'वापसी' उपन्यास की, यह राजस्थानी भाषा के चर्चित उपन्यास 'हूं गौरी किण पीव री' का अनुवाद है। वैसे राजस्थानी और हिन्दी में विशेष अंतर नहीं है। इसलिए अनुवाद पढते समय वहीं आनंद आता है जो मूल कृति को पढते वक्त महसूस होता है। वैसे भी अनुवाद में हल्की सी आंचलिक शब्दावली प्रयुक्त है। 

Friday, 23 October 2020

393. शतरूपा- यादवेन्द्र शर्मा 'चन्द्र'

औरत का घर कहां है...
शतरूपा- यादेवन्द्र शर्मा 'चन्द्र'

'शतरूपा' हिंदी व राजस्थानी के प्रख्यात लेखक यादवेन्द्र शर्मा 'चन्द्र' का ऐसा उपन्यास है जो पुरुष मानसिकता की दुर्बलताओं को व्यस्त करता है और नारी के संघर्ष और उत्थान को प्रकट करता है। आज नारी विमर्श के बारे में खूब हो-हल्ले हो रहे हैं। यह ऐसा उपन्यास है जो नये जीवन के आयामों के यथार्थ को प्रकट करता है। भाषा सरल और शिल्प शैली रोचक है। - प्रकाशक
शतरूपा उपन्यास स्त्री के दर्द को उकेरती एक मार्मिक रचना है। घर और समाज में विभिन्न दुष्कर परिस्थितियों में निर्वाह करती स्त्री को कई रूपों में जीना पड़ता है।  और ऐसे ही एक घिनौने घर में जी रही थी शतरूपा। 

     लालची सास और शकी मिजाज पति के साथ शतरूपा का जीवन बहुत ही कठिन था। इस दर्द को वह अपनी सखी बन्नो के पास व्यक्त करती है- जब मनुष्य बिना किसी अपराध के दंड भोगता है तब वह उसे पूर्व जन्म के पापों का फल ही मानता है, बन्नों, मेरा पति मुझे चरित्रहीन समझता है। (पृष्ठ-38)

Tuesday, 20 October 2020

392. पागल कातिल- इंस्पेक्टर गिरीश

क्यों हुआ एक कातिल पागल?
पागल कातिल - इंस्पेक्टर गिरीश
इतनी देर में अटैची के ताले टूट गये। कांस्टेबलों ने ढक्कन हटाया और फिर वे दोनों हड़बड़ाकर पीछे हट गये । अटैची में एक नवजात शिशु का शव था। शव भी ऐसा कि बच्चे का सर अलग रखा हुआ था। छोटी छोटी मासूम आखें खुली रह गई थीं और निर्जीव हाथों की मुट्ठियाँ भी मिची हुई थीं। मेहता का समूचा अस्तित्व कपकपा गया, और उसने तुरन्त आदेश दिया...।
पागल कातिल - उपन्यास में से
उपन्यास साहित्य में एक समय ऐसा था जब Ghost लेखन में कैप्टन, मेजर, कर्नल जैसे नाम से लेखन हुआ था। इसी समय सस्पेंश पॉकेट सीरीज के अंतर्गत Ghost लेखक इंस्पेक्टर गिरीश पदार्पण हुआ।

Monday, 19 October 2020

391. ख्वाबो की मंजिल- अशोक जोरासिया

 ख्वाबों‌ की कहानियाँ- अशोक जोरासिया, कहानी संग्रह

लेखक का प्रथम गुण है उसकी संवेदनशीलता।  वह समाज में जो देखता और अनुभव करता  है वह उसे शब्दों के द्वारा समाज के समक्ष प्रस्तुत करता है। कहानी संग्रह 'ख्वाबों की मंजिल' के माध्यम से लेखक अशोक जोरासिया जी ने समाज में देखे और समझे अनुभवों को यहाँ प्रस्तुत किया है।
    कहानियाँ चाहे छोटी हैं पर संवेदना के स्तर पर विस्तृत हैं।
इस संग्रह में कुल सत्रह कहानियाँ हैं जो विभिन्न परिवेश को व्यक्त करती हैं। 

Monday, 12 October 2020

390. भूतनाथ की संसार यात्रा- ओमप्रकाश शर्मा जनप्रिय

भूतनाथ प्रेमिका की तलाश में...
भूतनाथ की संसार यात्रा- जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा
आप भूतनाथ को जानते है?
  वही भूतनाथ जिसने उपन्यास साहित्य में अप्रतिम प्रसिद्धि प्राप्त की है। प्रसिद्ध उपन्यासकार देवकीनंदन खत्री जी का एक पात्र है-भूतनाथ। जिसके कारनामें 'चन्द्रकांता संतति' और 'भूतनाथ' जैसे चर्चित उपन्यासों में मिलते हैं। भूतनाथ एक ऐयार(जासूस) है। यह सब तो देवकीनंदन खत्री जी के उपन्यासों में है। हम यहाँ चर्चा कर रहे हैं जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी के पात्र भूतनाथ की।
    ध्यान रहे यह पात्र देवकीनंदन खत्री जी का ही है जिसे आगे जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी ने अपने विशेष ढंग से आगे बढाया है। खत्री जी के उपन्यासों में जहाँ भूतनाथ एक ऐयार है वहीं ओमप्रकाश शर्मा जी के उपन्यासों में भूतनाथ एक भूत है।
      यह ओमप्रकाश शर्मा जी की प्रतिभा है की उन्होंने कोई हाॅरर पात्र न बना कर भी मृत्यु भूतनाथ को एक हास्य व्यंग्य के रूप में 'भूतनाथ की संसार यात्रा' उपन्यास में प्रस्तुत किया है।
       'भूतनाथ की संसार यात्रा' में भूतनाथ और जासूस राजेश की जोड़ी को प्रस्तुत किया गया है।
अब चर्चा करते हैं प्रस्तुत उपन्यास की।
राजेश को भूतनाथ का निमंत्रण मिला तो राजेश भी उनके साथ जाने को तैयार हो गया।
जाना ही होगा।
जीवन का यह संयोग भी देखना होगा।
भूतनाथ के साथ संसार यात्रा। (पृष्ठ-07)

Thursday, 8 October 2020

389. गुप्त गोदना- देवकीनंदन खत्री

 एक अधूरी कहानी...

गुप्त गोदना- देवकीनंदन खत्री, उपन्यास

जहाँ तक मेरी जानकारी है हिन्दी में तिलिस्मी साहित्य का आरम्भ देवकीनन्दन खत्री जी के उपन्यासों से ही माना जाता है। इनके लिए तिलिस्म, रहस्य-रोमांच से परिपूर्ण उपन्यास हिन्दी पाठकों के मध्य बहुत प्रसिद्ध रहे हैं और आज भी इनकी मांग बनी हुयी है।

गुप्त गोदना- देवकीनंदन खत्री
    मेरे विद्यालय के पुस्तकालय में देवकीनंदन खत्री जी के कई उपन्यास उपलब्ध हैं, उन में से मैनें 'गुप्तगोदना' पढा, उसी पर हम चर्चा करते हैं।  

    यह एक अर्द्ध ऐतिहासिक रहस्य-रोमांच से परिपूर्ण उपन्यास है। इसमें एक तरफ जहाँ शाहजहाँ के पुत्रों के मध्य सत्ता संघर्ष का चित्रण है वही नायक उदय सिंह और उसके दोस्त रवि दत्त की बहादुरी की कहानी भी है।
     उपन्यास की कहानी मुख्यतः उदय सिंह पर ही केन्द्रित है, और साथ में उसके दोस्त रवि दत्त का चित्रण है।

उपन्यास का आरम्भ उदय सिंह और रवि दत्त से होता है। एक जंगल में दोनों बिछड़ जाते हैं और उदय सिंह अपने मित्र को तकाश करता है। तलाश के पश्चात उसे रवि दत्त एक पेड़ के नीचे बेहोश मिलता है। उदय सिंह जब रवि दत्त के लिए पानी लेकर लौटता है तो वहाँ रवि दत्त की जगह एक नवयौवना को पाता है।
   "सर और मुँह पर पानी पड़ने से ही इसकी बेहोशी जाती रहेगी" यह सोचकर उदय सिंह नदी की तरफ बढा जो वहाँ से लगभग दो सौ कदम दूर होगी। अपनी कमर से चादर खोलकर, खूब तर  किया  और तेजी के साथ चलता हुआ फिर उसी जगह पहुँचा जहां रवि दत्त बेहोश पड़ा हुआ था। बडे़ आश्चर्य की बात थी कि इस दफे उसने रविदत्त को उस पेड़ के नीचे न देखा उसके बदले में एक बहुत ही हसीन और नौजवान औरत पर नजर पड़ी जो रवि दत्त की जगह जमीन के ऊपर बेहोश पड़ी थी।(पृष्ठ-03)
वह औरत कौन थी?
- रवि दत्त कहां गायब हो गया?
- रवि दत्त बेहोश कैसे हुआ?
- उदय सिंह से औरत का क्या संबंध रहा?

ऐसे अनेक प्रश्नों के लिए देवकीनंदन खत्री जी का उपन्यास 'गुप्त गोदना' पढना होगा। 

388. सुरसतिया- विमल मित्र

एक औरत की व्यथा...
सुरसतिया- विमल मित्र


सुरसतिया उपन्यास 'साप्ताहिक हिन्दुस्तान' के 22 फरवरी 1970 के अंक में प्रकाशित हुआ और प्रकाशन के साथ ही इसने भारी प्रतिक्रिया जगा दी।....मध्यप्रदेश सरकार ने पुस्तक जब्त कर ली। मध्य प्रदेश के रायपुर नगर में लेखक के पुलते जलाए गए। (पृष्ठ- प्रकाशक की ओर से)
      आखिर सुरसतिया में ऐसा क्या था कि उस पर इतनी तीव्र और कटु प्रतिक्रियाएं आरम्भ हो गयी। उपन्यास के आरम्भ में कुछ पत्र भी प्रकाशित किये गये हैं जो उपन्यास के पक्ष और विपक्ष दोनों को दर्शाते हैं। जहाँ कुछ पाठकों ने इस उपन्यास की सराहना की है तो वहीं कुछ पाठकों ने उपन्यास को गलत ठहराया है।  अब सही क्या है और गलत क्या है यह पाठक के दृष्टिकोण पर निर्भर करता है।

  चलो, अब हम सुरसतिया पर चर्चा कर लेते हैं।
सुरसतिया एक महिला किरदार को मुख्य भुमिका में रख कर रचा गया एक महत्वपूर्ण उपन्यास है। भारतीय समाज में महिला की स्थिति, पुरूष का वर्चस्व और एक विद्रोही महिला के चरित्र को रोचक ढंग से उभारा गया है। 

387. कगार और फिसलन- विमल मित्र

मनुष्य जीवन की फिसलन
कगार और फिसलन- विमल मित्र

कभी कभी जिंदगी में अजीब घटनाएं घटित हो जाती हैं। मनुष्य देखता रह जाता है और घटना घटित हो जाती है। कभी मनुष्य मझधार में डूब जाता है और कभी कगार पर आकर फिसल जाता है। स्वयं मनुष्य को भी अहसान नहीं होता की वह जो कर रहा है वह सही है या गलत।
    इन दिनों विमल मित्र जी का उपन्यास 'कगार और फिसलन' पढा, जो जीवन में आने वाले कुछ घटनाओं का वर्णन करता है।
   उपन्यास 'कगार और फिसलन' में दो अलग-अलग कहानियाँ है। प्रथम कहानी को हम लंबी कहानी कह सकते हैं और द्वितीय को एक लघु उपन्यास कहा जा सकता है। दोनों में कुछ समानताएं अवश्य हैं और समापन भी एक जैसा है।  
कगार और फिसलन- विमल मित्र

Saturday, 3 October 2020

386. सुबह का भूला- विमल मित्र

एक राह से भटके युवक की कथा
सुबह का भूला- विमल मित्र/ बिमल मित्र

Friday, 2 October 2020

385. मुझे याद है- विमल मित्र

समय परिवर्तन की कथा
मुझे याद है- विमल मित्र/बिमल मित्र
समय परिवर्तनशील है। कब, कहां, कैसे बदल जाये कुछ कहा नहीं जा सकता। आज जो उच्च शिखर पर है वह कल को धरातल पर आ सकता है और आज जो धरातल पर वह उच्च शिखर पर विराजमान हो सकता है। यह क्रम सतत चलता रहता है।
      इसी परिवर्तन को आधार विमल मित्र जी ने उपन्यास लिखा है- मुझे याद है।