राजस्थान शिक्षा विभाग की पत्रिका
शिविरा- मार्च-2020
शिविरा- मार्च-2020
राजस्थान शिक्षा विभाग (शिविरा) की एक मासिक पत्रिका शिविरा शीर्षक से प्रकाशित होती है। जिसमें शिक्षा विभाग के कार्मिकों की रचनाएँ प्रकाशित होती हैं। हालांकि इसमें अशिकांश शिक्षकों की रचनाएँ ही हैं और वह भी आलेख हैं।
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गाँधी जी की 150 वी जयंती पर मेघाराम चौधरी का आलेख है -'महात्मा गाँधी:- एक महान प्रेरक व्यक्तित्व'। जिसमें गाँधी जी के जीवन की कुछ रोचक और प्रेरणादायक घटनाएं प्रस्तुत हैं। ।
गाँधी जी से सम्बद्ध रखता डाॅक्टर संतोष कुमार जाखड़ जी का एक आर्टिकल 'Gandhian Values and their importance in Education:- An Observation' है।
डाॅक्टर कमला शर्मा भी गाँधी जी के वर्तमान में प्रासंगिकता बताते हैं।
पत्रिका शिक्षा जगत की है तो शिक्षा से संबंधित आलेख तो होंगे ही। वर्तमान सरकार ने विद्यालय में प्रत्येक शनिवार 'बैग फ्री दिवस' मनाने की मनाने की घोषणा की है। इस को आधार बना कर संदीप जोशी ने 'शिक्षा में नयी चेतना की ओर एक कदम' एक सार्थक आलेख प्रस्तुत किया है। यह सरकार का सराहनीय कदम है।
संदीप जोशी लिखते हैं- शिक्षा बालक का सर्वागींण विकास का आधार है। आगे इन्होंने शनिवार के दिन विद्यालय विभाजन भी दर्शाया है कि इस दिन आठ पीरियड लगे और प्रत्येक कालांश में सह शैक्षणिक गतिविधियां संचालित हो।
पर मेरा मत है की इस दिन समय को आठ कालांश में बांटना उचित नहीं है। बच्चा कालांश के चक्कर में बंधन ही महसूस करेगा। एक 45 मिनट में वह क्या खेल खेलेगा और क्या सीख पायेगा। इस दिन विद्यालय को अपने स्तर पर कार्य की अनुमति हो।
पर्यावरण संरक्षण पर आधारित राजेन्द्र कुमार का आलेख 'पर्यावरण में पंचवटी का महत्व' मुझे बहुत पसंद आया।
पंचवटी में पांच वृक्ष शामिल होते हैं-पीपल, वट, बेल, अशोल और आंवला।
पर्यावरण संरक्षण पर आलेख है 'वैश्विक पर्यावरण समस्या एवं भारतीय संस्कृति' जिसके लेखक हैं रामचंद्र स्वामी।
मेरी पसंद का एक और आलेख है वह है 'जीवन की ज्योति हैं पुस्तकें'। पूनम जी लिखते हैं 'यदि शिक्षा देश प्रेम की प्रेरणा नहीं देती है तो उसको राष्ट्रीय शिक्षा नहीं कहा जा सकता।'
"मैं नर्क में भी अच्छी पुस्तकों का स्वागत करूंगा क्योंकि उएं वह शक्ति है कि जहाँ वे होंगी वहीं स्वर्ग बन जायेगा।'- बाल गंगाधर तिलक
भय और भय मुक्ति का मंत्र भी देख लीजिएगा।
अनिष्ट की आशंका से जीव के भीतर जो घबराहट होती है उसका नाम भय है और भय से सर्वथा अभाव का नाम ही अभय है।
'भय मुक्ति में सदगुणों की भूमिका' में सतीश चन्द्र माली लिखते है की भय से मुक्ति सदगुणों से ही संभव है। यह काफी अच्छा आलेख है।
परीक्षा की तैयारी पर भी महत्वपूर्ण जानकारी विभिन्न आलेखों के माध्यम से यहाँ दी गयी है। जो विद्यार्थी वर्ग के बहुत महत्वपूर्ण है। इस विषय पर पत्रिका में तीन आलेख हैं।
लोकेश कुमार शर्मा जी 'सरस शिक्षण' आलेख में बताते है की गद्य और पद्म को अगर उचित तरीके से पढया जाये तो बच्चों के लिए शिक्षण बहुत उपयोगी होगा।
चिंतन में रामधन मीणा जी 'निराशा और आशा' की बात करते हैं।
डाॅक्टर महेन्द्र चौधरी 'हमारा जीवन सफलता की ओर' में सफलता के तीन सूत्र बताते हैं।
1. सपने
2. सपने प्राप्ति का लक्ष्य
3. ये मुझे कब प्राप्त होंगे।
बारिश की बूंदे भले ही छोटी हों, लेकिन उनका लगातार बरसना बड़ी नदियों का बहाव बन जाता है। वैसे ही हमारे छोटे-छोटे लगातार प्रयास भी जिंदगी में बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं।
समय के महत्व को रेखांकित करती एक रचना है 'समय का सदुपयोग'। इसमें रेणु सिकरवार लिखते हैं 'समय के सदुपयोग से प्रमुख आशय है जीवन के प्रत्येक पल का रचनात्मक उपयोग एवं उचित अवसर का उपयोग। हमें इसका ध्यान रखना चाहिए कि आलस्य इसका सबसे प्रबल बाधक तत्व है और तत्परता सबसे प्रबल साधक तत्व।
इस अंक की अन्य रचनाएँ भी पठनीय और सराहनीय है।
शिविरा में विशेष यह लगा की इसमें अब एक पृष्ठ 'बाल शिविरा' नाम से भी आता है जिसमें बच्चों की रचनाएँ प्रकाशित होती हैं। बच्चों में साहित्यिक रूचि जगाने की दृष्टि से यह अच्छा प्रयास है। बच्चों की कविताएँ बहुत अच्छी लगी।
पत्रिका में मुझे कथा साहित्य की कमी महसूस होती है। प्रकाशक वर्ग को इस तरफ भी ध्यान देना चाहिए।
शिविरा शिक्षा जगत की एक महत्वपूर्ण पत्रिका है। सभी वर्ग के लिए पठनीय है
पत्रिका- शिविरा
अंक- मार्च-2020
प्रकाशक- राजस्थान शिक्षा विभाग,
पृष्ठ- 50+04
मूल्य- 20₹