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Monday, 15 January 2018

95. लवंग- कुशवाहा कांत

एक प्रेम कहानी दर्द भरी।
लवंग- कुशवाहा कांत, उपन्यास, सामाजिक, रोचक, पठनीय।
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   लवंग कहानी एक अमीर बाप के शराबी और वेश्यागामी पुत्र की कहानी है। लेकिन शराब और शबाब उसे खत्म करने की कगार पर है पर वह उन्हें छोङ नहीं पाता। लेकिन तब उसे मिलती है एक सच्चे प्यार वाली लेकिन क्या वह सच्चे प्यार के सामने अपने को बदल पाया।
      कुशवाहा कांत की लेखनी से निकला एक जबरदस्त कथानक है लवंग।
        अमीर बाप के एकमात्र पुत्र जयराज का संपर्क एक वेश्या गुलशन से होता है।  यह जो गुलशन है- वह आँधी है। आँधी के प्रबल वेग की तरह उसके पास यौवन का उन्मादकारी आकर्षण है। (पृष्ठ-141)  और उसके आकर्षण में फंस है जयराज।  भी एक ऐसी वेश्या-
   सूरत पर मिठास-
   और दिल में जहर
यही है एक वेश्या की परिभाषा।(पृष्ठ-26)
        लेकिन जयराज को एक अमवा गांव की, कंजर जाति की, तमाशा दिखाने वाली लङकी लवंग पसंद आ जाती है। - एक अमीर और एक गरीब- दोनों के हृदयों पर प्रेम के मादक करों ने अपनी छाया कर रखी थी और वे दोनों प्राणी उस प्रेम सरोवर में गोते खाते हुए अपनी अमीरी और गरीबी का अस्तित्व तक भुल गये थे।
यह था प्रेम।
जिसके आगे संसार के समस्‍त भेदभाव तुच्छ एवं हेय हैं। (पृष्ठ-176)
और वह लवंग  के लिए गुलशन का अपमान कर देता है। नारी सब कुछ सहन कर सकती है, परंतु अपना अपमान वह कभी नहीं सह सकती- सो भी एक वेश्या।( पृष्ठ-24)

Sunday, 14 January 2018

94. भंवरा- कुशवाहा कांत

एक प्रेम कहानी, एक दर्द कहानी।
भंवरा- कुशवाहा कांत, उपन्यास, सामाजिक, पठनीय।

कुशवाहा कांत के उपन्यास स्वयं में एक अलग दुनिया होते हैं। इनकी शैली रोचक व मन को छू लेने वाली होती है।
इनका उपन्यास भंवरा एक साथ कई कहानियाँ कह जाता है। एक तरफ जहाँ प्रेम कथा है, वहीं दूसरी तरफ देश-प्रेम और मानवता की चर्चा भी है। धर्म भी है और मनुष्य का मनुष्य के प्रति दायित्व भी है।
         उपन्यास एक साथ कई आदर्श प्रस्तुत करता है लेकिन कहीं से बोझिल प्रतीत नहीं होता। पाठक को स्वयं में बांधे रखने में उपन्यास सक्षम है और यही एक सफल उपन्यास की विशेषता होती है।
                 भंवरा कहानी है करमपुर गांव के बङे ठाकुर/ बङे राजा चन्द्र किशोर नारायण सिंह के पुत्र कमल किशोर नारायण सिंह के प्रेम की कहानी सिर्फ प्रेम कथा ही नहीं है इसके अलावा करमपुर गांव में आयी बेरोजगारी और धार्मिक उन्माद की कहानी और उनके पीछे शैतानी सोच की भी है।
           कमल को प्रेम है अपने ही गांव के एक ग्वाले की पुत्री मेहंदी से लेकिन यह प्रेम बङे राजा को पसंद नहीं।
अमिलहा के ठाकुर जगदीश सिंह एक दिन बङे राजा के यहाँ कमल हेतु अपनी पुत्री राजमणि का रिश्ता लेकर आते हैं लेकिन यह रिश्ता ठकुराइन को पसंद नहीं है।

Friday, 12 January 2018

93. आहुति- कुशवाहा कांत

सम्राट अशोक के जीवन का दूसरा पक्ष.
अशोक पुत्र कुणाल के अंधे होने की कथा।
आहुति- कुशवाहा कांत, उपन्यास, रोचक, पठनीय, उत्तम।
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कुशवाहा कांत का मेरे द्वारा पढा जाने वाला यह प्रथम उपन्यास है। मैं हमेशा सोचता था की इनके उपन्यास वही पारम्परिक सामाजिक कथानक वाले होंगे। लेकिन कुछ तात्कालिक पाठकों से सुना की कुशवाहा कांत के उपन्यास बहुत अच्छे होते हैं। तब मैंने कुशवाहा कांत के बारे में जानकारी एकत्र करनी आरम्भ की।
  कुशवाहा कांत ने कुल 35 उपन्यास लिखे हैं, जो की क्रांतिकारी, ऐतिहासिक, सामाजिक व श्रृंगारिक श्रेणी के हैं।
  मेरे विद्यालय ( राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय-माउंट आबू, सिरोही, राजस्थान) के पुस्तकालय में से कुशवाहा कांत के पांच उपन्यास उपलब्ध हुये और पांच-सात उपन्यास में कुछ विक्रेताओं से खरीदे।
    प्रस्तुत उपन्यास 'आहुति' सम्राट अशोक के जीवन का एक काल्पनिक रूप प्रस्तुत करता है जो पाठक को आरम्भ से अंत तक आबद्ध रखता है।
सम्राट अशोक के पुत्र के अंधे होने की कथा काफी प्रचलित है, अब सत्यता क्या है, कुछ कहा नहीं जा सकता।  कुछ ग्रंथों में इस कहानी को पूर्णतः काल्पनिक बताया गया है।
  
         सम्राट अशोक के पुत्र कुणाल को लेकर इस कहानी का एक काल्पनिक विस्तार किया गया है जो काफी रोचक है।
       एक थी तिष्यरक्षिता।
पाटलिपुत्र राज्यप्रसाद की प्रधान परिचारिका। उसके मादक सौन्दर्य ने, मगधपति, प्रियदर्शी सम्राट अशोकवर्धन के हृदय पर अमिट छाप अंकित कर दी थी और सम्राट अशोक, पचास वर्ष की ढलती उम्र में भी, उस सुंदरी परिचारिका पर आशक्त हो गये थे। (पृष्ठ-03(प्रथम)
            सम्राट उसे परिचारिका नहीं मानते थे। वे तो कहते थे- "तुम परिचारिका नहीं हो तिष्ये...तुम मेरे हृदय की उन्मादकारिणी ज्वाला हो।" (पृष्ठ-05)

Wednesday, 10 January 2018

92. शाॅक ट्रीटमेंट- जेम्स हेडली चेइज

इश्क में पागल एक आशिक की खूनी कथा
शाॅक ट्रीटमेंट, उपन्यास, मर्डर मिस्ट्री, उत्तम।
बद् दिमाग अपाहिज खाविंद की कमसीन, जवान और बेइंतहा खूबसूरत बीवी के नामुराद इश्क में अंधा मूढमति आशिक हो तो फिर कत्ल भला कैसे न हो?
        कुछ उपन्यास ऐसे होते हैं जिन्हें आप पढना आरम्भ करते हो तो अंतिम पृष्ठ पढे बिना छोङने का मन ही नहीं करता। ऐसा ही प्रस्तुत उपन्यास है जेम्स हेडली चेइज का शाॅक ट्रीटमेंट।
    आदि से अंत तक रोचक से भरपूर। हर कदम पर नया और नया रहस्य लिए।
गर आप आज तक अपनी जिंदगी में किसी औरत की फर्जी मुहब्बत के फेर में नहीं पङे हैं तो आपको अपने तजुर्बे के दम पर मैं यही राय दूंगा कि- किसी औरत और उसकी फर्जी मुहब्बत के चक्कर में ना ही पङें तो बेहतर है- वर्ना आपकी भी वही हालत मुमकिन है जो कि मेरी हुयी थी।
   आज जब मैं आपको यह अपनी कहानी बता रहा हूँ तो अब उन दिनों की यादें भी मुझमें कोफ्त पैदा करती हैं।
   यह कहानी है कैलिफोर्निया की पहाडियों में बसे एक छोटे से कस्बे के एक व्यक्ति टेरी रीगन की।
   टेरी रीगन के कस्बे में एक विकलांग व्यक्ति मिस्टर डेगाले  अपनी पत्नी गिल्डा के साथ रहने आता है।
विकलांग होने के कारण मिस्टर डेगाले कुछ शकी, क्रोधी और सनकी स्वभाव का हो जाता है। और उसका गुस्सा अपनी बेहद खूबसूरत और जवान पत्नी गिल्डा पर उतरता है।
   मिस्टर टेरी रीगन भी गिल्डा की खूबसूरती पर फिदा हो जाता है। गिल्डा और टेरी रीगन की मोहब्बत भी परवान चढने लगती है।
   अमीर डेगाले, खूबसूरत गिल्डा और गरीब टेरी रीगन। अजीब पात्र है तीनों।
   डेगाले की सनक से गिल्डा भी परेशान है और टेरी रीगन भी।
तब टेरी रीगन गिल्डा को पाने के लिए एक साजिश रचता है और साजिश के तहत डेगाले का कत्ल कर देता है।
अब पुलिस उस कत्ल को आत्महत्या मान कर केस को बंद कर देती है।
  पर पाठक मित्र उपन्यास अभी बाकी है। कहानी में टविस्ट तो अभी शुरु ही हुआ है। और इस घटनाक्रम के पश्चात तो कहानी में टविस्ट पर टविस्ट आते हैं।
- कभी डेगाले की मौत हत्या लगती है और कभी आत्महत्या।
- कभी डेगाले अमीर लगता है और कभी गरीब।
- कभी कातिल टेरी रीगन लगता है और कभी गिल्डा।
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- क्या डिल्डा कभी टेरी रीगन की हो पायी?
- असली कातिल कौन है?
- क्या रहस्य है इस मौत के पीछे।
ऐसे एक नहीं अनेक प्रश्नों के उत्तर इस दिलचस्प उपन्यास में ही मिलेंगे।
  उपन्यास है भी इतना रोचक की पाठक एक बार आरम्भ करेगा तो इस उपन्यास को पूरा पढकर ही खत्म करेगा।
       हालांकि इस प्रकार के चौंकाने वाले घटनाक्रम वाले उपन्यास वेदप्रकाश शर्मा जी ने भी खूब ‌लिखे हैं। पर वेदप्रकाश शर्मा जी के उपन्यास में अनावश्यक विस्तार और परस्पर वार्तालाप ज्यादा होता है। इस उपन्यास में कहीं भी अनावश्यक विस्तार नहीं है। इस उपन्यास में अभी भी इतना स्पेश बाकी है की कोई भी प्रतिभाशाली लेखक इस कहानी को एक नया रूप दे सकता है। और ऐसा एक छोटा सा प्रयास इस उपन्यास के पीछे कँवल शर्मा जी ने ' एक ही अंजाम' नामक कहानी में किया भी है।
इस उपन्यास के पीछे कँवल शर्मा की इसी उपन्यास पर आधारित एक कहानी है 'एक ही अंजाम' पर उपन्यास और कहानी का क्लाइमैक्स अलग-अलग है।
    यह उपन्यास नये लेखकों के लिए भी प्रेरणा के समान है।
   जेम्स हेडली चेइज का प्रस्तुत उपन्यास ' शाॅट ट्रीटमेंट' बहुत ही रोचक व पठनीय उपन्यास है। मेरी व्यक्तिगत राय से इस उपन्यास को अवश्य पढें।
धन्यवाद।
  इन्हीं दिनों सूरज पॉकेट बुक्स से प्रकाशित जेम्स हेडली चेइज का उपन्यास 'आखिरी दांव' (One Bright Summer Morning ) पढा जो की सबा खान जी द्वारा अनूदित था। वह भी बहुत रोचक था।
  
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उपन्यास - शाॅक ट्रीटमेंट (Shock Treatment)
लेखक- जेम्स हेडली चेइज
अनुवादक- कँवल शर्मा
प्रकाशक- रवि पॉकेट बुक्स- मेरठ
पृष्ठ-
मूल्य- 60₹

Friday, 5 January 2018

91. तुरुप का इक्का- गजाला

इजराइल - फिलिस्तीन में उलझी स्पाई गर्ल गजाला प्रियदर्शी का कारनामा

तुरुप का इक्का, उपन्यास, गजाला, थ्रिलर, एक्शन, औसत।
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    हिंदी लोकप्रिय उपन्यास जगत में गजाला एक चर्चित नाम है, जिसने कम उम्र व कम समय में अपनी लेखकीय प्रतिभा का परिचय अपने प्रथम उपन्यास 'तुरुप का इक्का' से दिया।
     प्रस्तुत उपन्यास जासूस गजाला प्रियदर्शी शृंखला का है जो की प्रथम पुरुष में लिखा गया है।
   उपन्यास की कहानी की बात करें तो यह कहानी इजराइल और फिलिस्तीन के मध्य चल रहे संघर्ष पर आधारित है। जहाँ दोनों देश एक- दूसरे पर अपनी विजय दर्शाने के लिए संघर्ष करते हैं तो वहीं कुछ निर्दोष इस संघर्ष की बलि चढ जाते हैं।
   ऐसे ही एक निर्दोष को बचाने के लिए गजाला प्रियदर्शी पहुंच जाती है इजराइल। लेकिन वहाँ फंस जाती है सत्य और असत्य के बीच।

उपन्यास के पात्र
गजाला प्रियवंशी - उपन्यास नायिका, भारतीय जासूस।
राॅबन्सन- इजराइल का एक नेता।
ग्रेसी विल्सन- राॅबन्सन का साथी।
रोज-
साइम-
शैंकी - राॅबन्सन का सहयोगी
अदिया- फिलिस्तीन की पन्द्रह वर्षीय बालिका
मुस्तजाब- फिलिस्तीन के हमास संगठन का नेता

पूरे उपन्यास में एक्शन दृश्यों की भरमार है, कई- कई जगह तो मारधाङ तीन- चार पृष्ठ तक लगातार चलती है। तीन सौ पृष्ठों के उपन्यास में से लगभग सौ पृष्ठ तो एक्शन से भरे हुये हैं।

   लेखिका के प्रथन उपन्यास को पढकर जहां उनकी प्रतिभा का पता चलता है वहीं कहानी के स्तर पर उपन्यास मध्यम स्तर तक भी बहुत कठिनता से पहुंचता है। उपन्यास को आवश्यकता से अधिक विस्तार देकर कहानी को और भी कमजोर कर दिया।
    हर पांच- दस पृष्ठ कर पश्चात पाठक को वही मारपीट वाले दृश्य पढने को मिलते हैं।
यह लेखिका की प्रतिभा ही मानी जायेगी जो उन्होंने किशोरावस्था में एक लोकप्रिय उपन्यास की रचना की।
 
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उपन्यास- तुरुप का इक्का
लेखिका- गजाला
प्रकाशक- रवि पॉकेट बुक्स- मेरठ
पृष्ठ- 300
मूल्य- 30₹

90. प्राइम मिनिस्टर का मर्डर- अमित खान

भारत के प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश।
प्राइम मिनिस्टर का मर्डर- अमित खान, उपन्यास, थ्रिलर, औसत।
    अमित खान जी द्वारा लिखित प्राइम मिनिस्टर का मर्डर उपन्यास मेरे द्वारा पढे जाने वाला इनका प्रथम उपन्यास है।
               उपन्यास की कहानी तो इसके शीर्षक से ही स्पष्ट हो जाती है। कुछ लोग भारत के प्राइम मिनिस्टर की हत्या करना चाहते हैं।
कौन लोग?
   भारत के प्रधानमंत्री जब रूस दौरे पर जाते हैं तो वहाँ उनकी हत्या की साजिश रची जाती है। एक तीर से दो शिकार।
     भारत के प्रधानमंत्री की हत्या और भारत- रूस के संबंधों को बिगाङना भी। लेकिन जैसे ही इस बात की खबर कमाण्डर करन सक्सेना को होती है तो वह इस षडयंत्र को नाकाम करने के लिए मैदान में उतर जाता है।
      "यह कैसी आवाजें हैं?"- करण सक्सेना बुरी तरह चौंका।
" लगता है...नीचे कोई हंगामा बरपा हो गया है जनाबेमन।"- मुल्तानी भाई जबरदस्त आतंकित मुद्रा में बोला - " जरूर प्रधानमंत्री की हत्या हो गयी है। ऐसा मालुम होता है...कर्नल नासिर ने किसी और आदमी का भी इंतजाम किया हुआ था, जिसने गोली चलायी।"
इस बात ने ही करण सक्सेना के होश उङा दिये। (पृष्ठ-187-188)
- भारत के प्रधानमंत्री की हत्या कौन करना चाहता है?
- कौन लोग थे जो भारत- रूस के संबंधों को बिगाङना चाहते थे?
- क्या वे अपने मक़सद में कामयाब हो पाये?
- क्या कमाण्डर करन सक्सेना दुश्मनों के षडयंत्र को असफल कर पाया?
   ऐसे अनेक प्रश्नों के उत्तर अमित खान द्वारा लिखित उपन्यास प्राइम मिनिस्टर का मर्डर में ही मिल सकते हैं।
इस प्रकार के मैंने जितने भी उपन्यास पढे हैं कोई भी, कभी भी रोचक नहीं लगा। और यह उपन्यास भी उसी श्रेणी का ही है। यह उपन्यास उस दौर का लगता है जब उपन्यासों के पाठक बहुत ज्यादा थे लेखक कुछ भी लिख देता था और पाठक पढ लेता था। इसलिए इस उपन्यास से ज्यादा उम्मीद नहीं की जा सकती।
उपन्यास में काॅन्ट्रेक्ट किलर ऐलेक्स का मानसिक परीक्षण वाला दृश्य बहुत ही रोचक है। यह लेखक द्वारा किया गया एक बेहतरीन प्रयोग है जो इस उपन्यास की जान भी है।
 
उपन्यास में अगर कुछ गलतियों/ कमी की बात की जाये तो वह 'कुछ' से आगे ही है-
  
1. उपन्यास के शुरूआत होती है राॅ की एजेंट रजिया से जो दुश्मनों की कैद में है और इसके बाद अन्य एजेंट भी दुश्मन की कैद में ही नजर आते हैं।
- रजिया (पृष्ठ- 01)
- रजनी (पृष्ठ- 50)
- रहमान (पृष्ठ -70)
इस प्रकार पृष्ठ संख्या 70 तक पहुंचते-पहुंचते जासूस महोदय दुश्मन की कैद में पहुंच जाते हैं।
2. उपन्यास में कमाण्डर करन सक्सेना भी इतना दम नहीं दिखा पाया जितना की उपन्यास का खलनायक कर्नल नासिर
    कभी-कभी और कहीं-कहीं तो लगता है की कमाण्डर सक्सेना में कोई जासूस वाली बुद्धि ही नहीं है। अजीब से निर्णय लेता है और फिर उन पर पश्चात् भी होता है।
3. आतंकवादी अब्दुल करीम की तलाश सब को होती है पर पृष्ठ संख्या 33-54 तक उनकी निगरानी तो होती है लेकिन गिरफ्तार नहीं किया जाता और फिर पृष्ठ संख्या पर लिखा - आई. एस. आई. के दोनों खूंखार एजेंट जफर सुल्तान और अब्दुल करीम गायब हो गये।
4. पृष्ठ संख्या 128- 137 तक मिस्टर अलेक्से से आतंकवादी कर्नल नासिर से संबंधित पूछताछ होती है। कर्नल नासिर की जानकारी लेने के पश्चात ऐलेक्स को तुरंत रिहा कर दिया जाता और ऐलेक्स कर्नल नासिर को तुरंत संपर्क कर सब स्थिति बता देता है।
" परंतु इस पूरे प्रकरण में हमसे एक बहुत भयंकर गलती हो चुकी है।"- रूसी अधिकारी ने कहा।
"क्या?"
" हमें अलेक्से को यहाँ से जाने नहीं देना चाहिए था।"
"क्यों?"
" क्योंकि अलेक्से यहाँ से जाते ही सबसे पहले कर्नल नासिर को सचेत करेगा।"
"चिंता मत करो।" - गंगाधर महंत बोले-" उसका सारा इंतजाम भी हमने किया हुआ है।" (138)
     
लेकिन सारे इंतजाम धरे के धरे रह जाते हैं। फिर भी यहाँ कहानी कुछ हद तक संभल जाती है।
5. "जी हां! मान लीजिए...कर्नल नासिर को हमारी गतिविधियों के बारे में शुरु से ही सब कुछ मालूम था।"- मुल्तानी भाई बोला- " वो जानता था कि उसे और अलेक्से को वाॅच किया जा रहा है। परंतु फिर भी उसने यह सारा खेल जानबूझकर इसिलिए खेला....ताकि आपके सामने चारा डाला जा सके और आप कूदकर इस गलत नतीजे पर पहुंच जायें की प्रधानमंत्री पर गोली जिन्ना हाउस से चलाई जाने वाली थी..…..।" (पृष्ठ-180)
    यह बात मुल्तानी भाई के दिमाग में आती है और पाठक के भी। बस इस बात को कमाण्डर करण सक्सेना नहीं सोच पाता और वास्तव में गलत निर्णय भी ले लेता है।
6. एक दो जगह अलेक्से और तानिया के रति प्रसंग है जो उपन्यास/ कहानी में जबरदस्ती के से दृश्य नजर आते हैं।
                  आतंकवाद पर लिखे गये अधिकांश उपन्यास एक जैसे ही कहानी लिए होते हैं। आतंकवादी भारत में आये और भारत के जासूसों ने उन्हें खत्म कर दिया। इस उपन्यास में फर्क बस यहि है की सारी कहानी रूस में घटित होती है।
       
    उपन्यास में कमियां बहुत है जो कहानी पर भारी पङती हैं। कहीं कुछ भी चौंकाने वाला नहीं है जो पाठक को उपन्यास से बांधे रखे।
     यह एक औसत श्रेणी का उपन्यास है।
किसी एक उपन्यास से लेखक की प्रतिभा का आंकलन नहीं किया जा सकता। यह मात्र एक छोटी सी रचना है, जो लेखक की समग्र प्रतिभा को प्रतिबिंबित नहीं करती।
          अमित खान के कुछ और उपन्यास भी मेरे पास उपलब्ध हैं, समय मिलते उनको पढा जायेगा।
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उपन्यास- प्राइम मिनिस्टर का मर्डर
लेखक- अमित खान
प्रकाशक- धीरज पॉकेट बुक्स- मेरठ
पृष्ठ- 271
मूल्य- 50₹
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अमित खान
डी- 603, स्काई पार्क
अजीत ग्लास गार्डन के नजदीक,
आॅफ एस. वी. रोङ, गोरेगाँव (वेस्ट)
मुंबई- 400404
Mob- 9821163955 ( सिर्फ रविवार)
ईमेल- foramitkhan@gmail.com
फेसबुक- Author Amit Khan