शी....कोई है।
सिहरन- शुभानंद, हाॅरर
कई साल अमेरिका में गुजारने के बाद आकाश भारत लौटता है। अपने बचपन के दोस्त अभिषेक के हालचाल लेने के बहाने वह अपने ननिहाल लखीमपुर पहुंचता है। अभिषेक के पुश्तैनी घर में रहते हुए उसे कुछ ऐसे अनुभव होते हैं जिनसे उसे किसी अज्ञात शक्ति के वास होने का अहसास होता है और फिर कुछ ऐसी घटनाओं का सिलसिला उस घर में शुरू होता है जिनकी उन्होंने कल्पना भी न की थी। (किंडल से)
श्री शुभानंद जी एक प्रकाशक के साथ-साथ एक अच्छे लेखक भी हैं। लुप्तप्राय हो रहे लेखकों को भी इन्होंने अपने प्रकाशन के माध्यम से पुनः रास्ता दिखाया। 'राजन-इकबाल रीबोर्न सीरीज' के माध्यम से राजन-इकबाल जैसे पात्रों को आगे बढाया और इनके मूल लेखक एस.सी. बेदी जी को भी शुभानंद जी पुनः पाठकों के समक्ष लाये।
शुभानंद जी द्वारा रचित लघु उपन्यास 'सिहरन' किंडल पर पढा। यह एक हाॅरर उपन्यास है। दो दोस्त हैं आकाश और अभिषेक। अभिषेक अपने घर में एकमात्र जीवित सदस्य है, उसका अच्छा कारोबार है।
अमेरिका से लौटा आकाश अपने मित्र अभिषेक से मिलने उसके घर आता है तो उसे अभिषेक के घर में कुछ पारलौकिक अहसास होता है। और कुछ घटनाएं आकाश के साथ घटित होती हैं।
अचानक उसे अंदर किसी के सांस लेने की आवाज़ आने लगी। गहन सन्नाटे की वजह से ये आवाज़ उसे और भी साफ महसूस हो रही थी। बिल्कुल ऐसी आवाज़ जैसे कोई गहरी-गहरी सांसें ले रहा हो। तब अचानक ही आकाश ने अपने पूरे शरीर में भययुक्त सिहरन महसूस की। न जाने उसे क्यों लगा जैसे सांस की आवाज़ ठीक उसके पीछे से आ रही है। वह अपनी जगह पर जड़वत हो गया।
वह पलटना चाह रहा था पर उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी। उसका दिल पसलियों पर जोरदार तरीके से टकरा-टकराकर धड़कता महसूस हो रहा था। फिर उसने अपने घबराते दिल को मजबूत करने की कोशिश की। वह एकदम से पलटा।
आकाश को महसूस होता है कि इस घर में अभिषेक के अतिरिक्त भी कोई और है।
इस घटना के बाद दोनों दोस्त उन पारलौकिक शक्तियों से जूझते हैं। अब दोनों दोस्त कैसे इन शक्तियों से जूझते हैं, कैसे अपनी जान बचाते हैं और कैसे इनको पराजित करते हैं, यही पठनीय है और यह पठनीय रोचक है।
वैसे तो ज्यादातर हाॅरर साहित्य में कहानी कम और घटनाएं ज्यादा होती हैं। पर यहाँ कहानी बहुत अच्छी है। उपन्यास का अंत पाठक जो चौंकाता है। हाॅरर घटनाओं से ज्यादा अंत प्रभावित करता है।
हालांकि यह लघु उपन्यास एक लम्बी कहानी कहा जा सकता है।
उपन्यास - सिहरन
लेखक - शुभानंद
समीक्षा के लिये धन्यवाद गुरप्रीत जी।
ReplyDeleteVery nice 🌹👌
ReplyDeleteGood detail
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