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Wednesday, 13 October 2021

462. और वह भाग गयी- निरंजन चौधरी

आखिर क्यों?
और वह भाग गयी- निरंजन चौधरी
थ्रिलर उपन्यास

उसका बहुत ही शांत जीवन था, बंधी-बंधाई लीक पर चलने वाला। कोई उथल-पुथल नहीं, कोई हलचल नहीं। दो प्राणियों का जीवन। वह और उसकी पत्नी। आपस में प्यार, एक-दूसरे के लिए तड़प। बहुत ही सुखी जीवन।

    यह कहानी है सेन्ट्रल सेक्रेटेरियट में सुपरिन्टेन्डेंट  दीपंकर और उसकी पत्नी सुलोचना की।
   दीपंकर और सुलोचना की शांत जिंदगी में एक दिन एक तूफान आता है और उनका सुखमय जीवन अशांत हो उठता है। सुलोचना घर से भाग जाती है। दीपंकर के लिए यह घटना उसके शांत जीवन में हलचल पैदा कर देती थे।


 आखिर सुलोचना घर से क्यों भाग गयी?
                "सुलोचना को मैं इतना प्यार करता हूँ कि उसके बिना अब जीवित ही नहीं रह सकता।"-दीपंकर बोला,- "और अब मैं उसकी तलाश में निकलता हूँ। वह जहां भी होगी, मैं उसे खोज निकालूंगा।" 

    और यहाँ से आरम्भ होती है एक पति की तलाश आरम्भ अपनी पत्नी के लिए।
          दीपंकर जैसे-जैसे आगे बढता तो उसके सामने सुलोचना के अतीत के कुछ स्याह पृष्ठ खुलते हैं। दीपंकर भी हैरान रह जाता है कि एक सीधी-सादी औरत का अतीत इतना भयावह हो सकता है।
          वहीं दीपंकर के पास सुलोचना के विषय में कोई जानकारी नहीं है। वह उसके किसी परिचित तक को भी नहीं जानता, सच तो यह है की शादी के छह माह होने बाद भी वह सुलोचना के विषय में कुछ नहीं जान पाया और न कभी सुलोचना ने उसे कुछ बताया।
   ऐसी परिस्थितियों में भी दीपंकर को सुलोचना पर विश्वास था की वह निर्दोष है, मासूम है और किसी षड्यंत्र का शिकार हो गयी।
     लेकिन सुलोचना को खोजना इतना आसान काम न था। पुलिस उसे कुछ तथ्यों के आधार पर मृत मान चुकी थी। और वहीं कुछ लोग दीपंकर की मौत का इंतजाम कर बैठे थे। लेकिन हर परिस्थितियों से जूझता दीपंकर निरंतर अपने अभियान में आगे बढता है।
           उपन्यास का कथानक वास्तव में कुछ हटकर और रोचक है। ऐसी कहानियाँ बहुत कम देखने को मिलती हैं। उपन्यास में पुलिस की भूमिका पाठक को चकित करने वाली है। क्योंकि जो दिखाई देता है, वैसा होता नहीं है और जो पुलिस द्वारा किया जाता है वह दिखाई नहीं देता।
    उपन्यास में खलपात्र भी है और उसकी कार्यशैली पूर्णतः खलपात्रों‌ के अनुकूल है। समय-समय पर दीपंकर से टकराते रहते हैं कभी मात खा जाते हैं तो कभी मात दे जाते हैं।
     
       इसी कथा आधार पर सुरेन्द्र मोहन पाठक जी का उपन्यास है 'साजिश'। 'साजिश' और  'और वह भाग गयी' की मूल कथा एक ही है। घर से स्त्री का गायब होना। उस औरत के पति का यह परम विश्वास की उसकी पत्नी के साथ कुछ अनहोनी हुयी है और फिर पति द्वारा पत्नी की तलाश। पर दोनों लेखकों का कहानी कहने का ढंग अलग-अलग है।
    'और वह भाग गयी' एक पूर्णतः मनोरंजन थ्रिलर उपन्यास है। आदि से अंत तक रोमांच से परिपूर्ण।
उपन्यास- और वह भाग गयी
लेखक -    निरंजन चौधरी
प्रकाशन-  रोमांच पत्रिका/  रूपसी प्रकाशन, इलाहाबाद
प्रकाशन वर्ष-

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2 comments:

  1. इसे पढ़ने की इच्छा है। जल्द ही पढ़ने की कोशिश रहेगी।

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  2. इसे पढ़ने की इच्छा है

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