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Friday, 25 June 2021

441. आवाज- चन्द्रप्रकाश पाण्डेय

आवाज दो हम को, हम खो गये....
आवाज- चन्द्रप्रकाश पाण्डेय,
हाॅरर उपन्यास, पारलौकिक

"कभी-कभी सच हमारी कल्पना से परे होता है, हैरतअंगेज होता है। ये सच भी वैसा ही है। यकीन न करने लायक सच।” (उपन्यास अंश)
      यही सच 'आवाज' के रूप में पाठकों के सामने लाये हैं युवा लेखक चन्द्रप्रकाश पाण्डेय।
     यह कहानी है सेंट ऑगस्टीन गर्ल्स हॉस्टल, शिमला में रहने वाली छात्रा कैथरिन की।      और जब भी यह आवाज उसे आती तब उसके दिमाग में कोई फुसफुसा कर उसे भविष्य के लिए सावधान करता है।
  कैथरीन के साथ अक्सर ऐसा होता है। कैथरीन को नहीं पता कि वह आवाज किसकी है, बस उसे तो यह पता है यह रहस्यमय आवाज उसे भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओं से बचाती है।       लेकिन एक दिन उस रहस्यमय आवाज ने कैथरीन को आवाज लगाई। कि अगर वह बचना चाहती है तो मुझे मार दे।
"...वो वही औरत थी, जिसकी आवाज मुझे खतरों से आगाह करती थी। वह कहीं फंस गयी है और उसे मेरी मदद की जरूरत है।” कैथरीन एक ही साँस में कह गयी।

“वो केवल मेरे जेहन में नहीं है प्रेमु। वो मेरे आस-पास भी है।” कैथरीन भावुक हो गयी- “उसने मुझे हमेशा खतरों से बचाया लेकिन आज जब उसे मेरी मदद की जरूरत है तो मुझे उस तक पहुँचने का कोई रास्ता नहीं मिल रहा है। अगर मैं उसकी मदद नहीं कर पाई तो मैं खुद को कभी माफ़ नहीं कर पाऊँगी। मेरी हेल्प कर प्रेमु....।” कैथरीन ने चेहरे पर दीन भाव लिए हुए प्रमिला की ओर देखा- “उसे ढूँढने में मेरी हेल्प कर। प्लीज मेरा यकीन कर। मैं पागल नहीं हो रही हूँ। और न ही मेरे साथ जो कुछ हो रहा है, वह मीनिंगलेस है।”

  तो यह कहानी है कैथरीन की जो एक हॉस्टल में अपनी प्रिय सहेली प्रमिला के साथ रहती है। उसके जीवन में कुछ अजीब सा घटित होता है। जो उसे भविष्य के प्रति सावचेत करता है। और वह रहस्य किसी के समझ में नहीं आता।
वह अदृश्य है। और वही अदृश्य एक दिन मुसीबत में फंस जाता है।
- कैथरीन को भविष्य के प्रति कौन सावधान करता था?
- वह रहस्यमयी आवाज किस की थी?
- वह रहस्यमयी आवाज मुसीबत में कैसे फंस गयी?
- क्या कैथरीन उस रहस्यमयी, अज्ञात आवाज का पता लगा सकी?
- क्या कैथरीन उस रहस्यमयी-अज्ञात को मुसीबत से बचा सकी?
- यह सब सच था या फिर कैथरीन किसी रोग की शिकार थी?

ऐसे अनेक प्रश्नों के उत्तर इस रहस्यमयी थ्रिलर उपन्यास 'आवाज' में ही मिलेंगे।
  कहने को यह उपन्यास चाहे हाॅरर है लेकिन यह रहस्य से भरपूर एक जबरदस्त रोमांच वाला उपन्यास है। जहाँ आपको खैर डर तो नहीं लगेगा पर एक जिज्ञास पाठक मन में सतत सक्रिय रहेगी और वह जिज्ञासा है उस रहस्यमयी आवाज के प्रति।
    यह एक ऐसा रहस्य जो पाठक को उपन्यास के साथ आलिंगनबद्ध करके रखता है।
  हां, अगर आप डरना चाहे तो कैथरीन के साथ चीख सकते हैं। जैसा की हॉस्टल में कैथरीन एक रात को एक अज्ञात महिला को देख कर डरी थी-
महिला का चेहरा बर्फ की मानिंद सफ़ेद था और आँखें पथराई हुई थीं, मानो किसी लाश की आँखें हों। उसकी पलकों में कंपन नहीं था। उसके जिस्म पर हॉस्पिटल का लिबास था, जैसा आमतौर सर्जरी या किसी अन्य कारण से वहाँ एडमिट मरीजों के जिस्म पर होता है। कैथरीन इससे  ज्यादा कुछ नहीं देख पाई और आँखें बंद करके जोरों से चीख पड़ी।
कहानी के अतिरिक्त लेखक की मौलिकता और प्रतिभा का पता उपन्यास के संवाद  से लगता है।
  उपन्यास के कुछ संवाद प्रेरणादायक है, जो पाठक को प्रभावित करते हैं।
- जब इंसान किसी स्थायी नतीजे पर पहुँच पाने की स्थिति में नहीं होता होता है तो एक पल वह कोई नतीजा निकालता है और दूसरे ही पल स्वयं उस नतीजे के विरोध में तर्क भी देने लगता है।
- ‘सही काम में सफल होने के लिए सौ प्रतिशत आत्मविश्वास की जरूरत होती है और गलत काम में सफल होने के लिए दो सौ प्रतिशत आत्मविश्वास की जरूरत होती है।’

उपन्यास की कहानी चाहे सन् 2009 से आरम्भ होती है पर इसकी नीव बहुत पहले ही रखी गयी थी।
जैसे-
- साल 1984 में स्थापित इस स्कूल का ये सिल्वर जुबली ईयर था।
- मैंने नाइंटीन नाइंटी फोर में भी एक फैसला लिया था सर। आप लोगों ने मेरे उस फैसले को पागलपन कहा था लेकिन फिर भी मुझे इजाजत दी थी। मुझे सपोर्ट किया था आप लोगों ने।”

  उपन्यास में कैथरीन ईसाई परिवार से संबंधित है। प्रमिला हिंदू परिवार से है। और हॉस्टल भी ईसाई धर्म से संबंधित है।
लेखक महोदय ने ईसाई और मुस्लिम वर्ग के मिथकों और मान्यताओं का जो सुंदर और प्रभावशाली चित्रण किया है वह स्पष्ट दर्शाता है की लेखक महोदय ने इन मिथकों को अच्छी तरह से समझा और इन पर अनुसंधान किया है।।
   यही मिथक, मान्यताएँ उपन्यास के कथानक की रीढ़ हैं।

उपन्यास का घटनाक्रम शिमला का एक हॉस्टल है। मैंने निर्मल वर्मा की लम्बी कहानी 'परिंदे' पढी थी जो शिमला के हॉस्टल से संबंधित थी। इस उपन्यास को पढते वक्त उस कहानी के दृश्य भी ताजा होते रहे। वैसा हॉस्टल, फादर, मौसम, लड़कियां इत्यादि।
  उपन्यास के केन्द्र में चाहे शिमला है पर वहाँ का प्राकृतिक चित्रण न होना अखरता है। लेखक महोदय थोड़े से और प्रयास से उपन्यास में शिमला और वहाँ के मौसम‌ को जीवित कर सकते थे।
        हिंदी उपन्यास साहित्य में हारर के नाम पर घटनाएं तो खूब मिलती हैं पर कहानी नहीं मिलती। अगर कोई कहानी है भी तो वह तर्कसंगत नजर नहीं आती। पर चन्द्रप्रकाश पाण्डेय जी को पढने के बाद हाॅरर साहित्य में रोशनी की नयी किरण नजर आती है।
   'आवाज' एक पारलौकिक घटनाक्रम पर आधारित उपन्यास है, और उपन्यास में कहानी है, कहानी में तथ्य हैं और तथ्य तर्क पर आधारित हैं।
     अगर आप अलौकिक घटनाओं पर आधारित हाॅरर उपन्यास पसंद करते हैं तो 'आवाज' उपन्यास आपको पसंद आयेगा।
उपन्यास- आवाज
लेखक-     चन्द्रप्रकाश पाण्डेय
फॉर्मेट-      Ebook on Kindle
श्रेणी-      पैरानाॅर्मल (अलौकिक)

1 comment:

  1. रोचक लेख। मुझे लगता है उन्हें अपने उपन्यासों को हॉरर के बजाये परालौकिक रोमांचकथा के रूप में मार्किट करना चाहिए। हॉरर से पाठक की एक अलग अपेक्षा बन जाती है जिससे वह निराश हो सकता है।

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