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Sunday, 30 August 2020

371. खूनी गद्दार- आनंद सागर

कत्ल की कहानी...
खूनी गद्दार- आनंद सागर
डायरेक्टर नीलकान्त भरूचा की फिल्म 'आग और आँसू' के क्लाइमैक्स सीन की शूटिंग में चौथी बार भी 'कट' की आवाज आने पर स्टुडियो में उपस्थित सभी व्यक्ति परेशानी अनुभव करने लगे थे।
     प्रस्तुत दृश्य है अप्रैल 1966 में जासूसी चक्कर पत्रिका में प्रकाशित आनंद सागर जी के उपन्यास 'खूनी गद्दार'। आनंद सागर जी उपन्यास साहित्य में जासूसी उपन्यासकार के रूप चर्चित रहे हैं। 
     उपन्यास का कथानक आरम्भ होता है एक फिल्म की शूटिंग से जहाँ अभिनेता दीपक की तबीयत बिगड़ने से मृत्यु हो जाती है। अभिनेता दीपक अपने मित्र खलनायक प्रकाश के साथ शूटिंग कर रहा था।
  भरूचा रंगीन मियां को एक तरफ ले जाकर बोला-तुमने सुना रंगीन...दीपक को पायजन दिया गया।"
"हाँ, हाँ, सुना। तभी तो डाक्टर कहता है कि पुलिस को बुला लो।" (पृष्ठ-07)
    वहीं अभिनेत्री नैना के पिता ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवायी की उसकी पुत्री नैना गायब है और उसे प्रकाश पर शक है। मेरा संदेह प्रकाश बत्रा नामक विलेन पर है जिसने अपनी दुश्मनी निकालने को मेरी बेटी का कहीं भगवा दिया है और या मार डाला है। (पृष्ठ-20)
दीपक की मौत के पीछे क्या रहस्य था?
-  अभिनेत्री नैना कहां गायब हुयी?
-  प्रकाश बत्रा की दोनों घटनाओं में क्या भूमिका थी?
- इन दोनो घटनाओं की सत्यता क्या थी?
  इसी सत्यता का पता लगाने के लिए मैदान में आये जासूस जासूस कंचन और ठक्कर और इंस्पेक्टर फैयाज। 
   सन् 1966 का यह रोचक उपन्यास है। आरम्भ में कहानी एक सामान्य दुर्घटना से आरम्भ होती है। लेकिन शीघ्र ही कहानी में परिवर्तन होता है और कहानी में एक अभिनेत्री के गायब होने का घटनाक्रम शामिल हो जाता है। वहीं शहर के समाचार पत्रों में कुछ रहस्यमयी समाचार प्रकाशित होते हैं जिनका कोई अर्थ समझ में नहीं आता है और उसी के साथ कुछ वारदातें भी शहर में‌ बढने लगती हैं।
  जासूस ठक्कर और नीलम स रहस्य की तह तक पहंचने की कोशिश करते हैं तो उनके सामने मरघट में कुछ अजीबोगरीब घटनाएं घटित होती हैं। इस खण्ड का नाम भी 'रेसकोर्स से मरघट तक' है।
     जासूस महोदय अपने परिश्रम के बल पर अतंत एक अनोखे रहस्य का पर्दाफाश करते हैं और अपराधी को पकड़ते हैं।
      
  उपन्यास का अलग-अलग खण्डों में विभाजित किया गया है या कहें प्रत्येक अध्याय का अलग-अलग शीर्षक दिया गया है, जैसे- शूटिंग के दौरान, पांसा पलट गया, लाश का मसला आदि।
आनंद सागर श्रेष्ठ जी द्वारा लिखित 'खुनी गद्दार' एक रोचक और पठनीय उपन्यास है‌। शहर में कुछ अजीब तरीके के कत्ल की वजह और खूनी को तलाशने की यह रोचक कहानी पाठक को प्रभावित करती है।
उपन्यास- खूनी गद्दार
लेखक-   आनंद सागर
सन् - अप्रैल-1966
प्रकाशन- जासूसी चक्कर पत्रिका, फ्रेण्डस एण्ड कम्पनी, इलाहाबाद-3
प्रकाशक- राम लाल पाहवा
अंक- 123
मूल्य- 75 पैसे (तात्कालिक)


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