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Monday, 27 April 2020

302. पार्टी स्टार्टेड नाओ- अजिंक्य शर्मा

छिप जाओ....क्योंकि मौत आ रही है।
पार्टी स्टार्टेड नाओ- अजिंक्य शर्मा,  स्लैशर थ्रिलर उपन्यास

     हिन्दी लोकप्रिय जासूसी साहित्य में ज्यादातर मर्डर मिस्ट्री लिखी गयी है। उससे अलग हटकर बहुत कम प्रयोग देखने को मिलते हैं। लेकिन अजिंक्य शर्मा जी का द्वितीय उपन्यास 'पार्टी स्टार्टेड नाओ' पढा। यह एक अलग थीम 'स्लैशर' पर आधारित है।
          अब स्लैशर शब्द मेरे लिए भी नया था तो लेखक महोदय ने इस शब्द को स्पष्ट किया।
"जी गुरप्रीत भाई स्लैशर का अर्थ खून खराबे वाली घटना से सम्बन्धित होता है, हॉलीवुड में इस तरह की खून खराबें वाली फ़िल्में आईं थीं जिससे इसे एक जोनर ही माना जाने लगा. 'स्क्रीम', 'अर्बन लिजेंड', 'आई नो व्हाट यु दिड लास्ट समर' आदि हॉलीवुड की कुछ बहुत शानदार स्लैशर फ़िल्में हैं. ये मर्डर मिस्ट्री भी होती हैं पर खून खराबे की घटनाओं के कारण इन्हें स्लैशर फ़िल्में माना जाता है।" (पूरा साक्षात्कार देखें- साक्षात्कार अजिंक्य शर्मा)
        हालांकि मुझे वीभत्स घटनाओं वाले उपन्यास पसंद नहीं है। लेकिन यहाँ एक नये प्रयोग और लेखक के उपन्यास की चर्चा ही करते हैं।

छिप जाओ...क्योंकि मौत आ रही है!
दिल्ली से एक छोटे से शहर में रहने आई अविका ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी 'नॉन-हैपनिंग' जिन्दगी में अचानक ऐसा तूफान आ जायेगा, जिसके बारे में वो सपने में भी नहीं सोच सकती थी.
     21 साल पहले हुई हत्याओं की रहस्यमयी वारदात और उन्हें अंजाम देने वाले उस रहस्यमयी हत्यारे के प्रति वहां के युवाओं में क्रेज से अविका को लगने लगा, जैसे वो अचानक किसी रहस्यलोक में आ गयी हो.
और फिर शुरू हुआ हत्याओं का दिल दहला देने वाला सिलसिला...
सांसें थाम देने वाला एक बेहद तेजरफ्तार थ्रिलर
'पार्टी स्टार्टेड नाओ! -ए स्लैशर थ्रिलर'


उपन्यास का आरम्भ एक घटना से होता है।
      आखिरकार उसने वो कर ही दिया था, जिसका सपना वो जाने कब से देखता आ रहा था। 5 खून करना कोई आसान बात नहीं होती। वो भी इतनी बेरहमी के साथ...(उपन्यास अंश)
        इस घटना के इक्कीस साल बाद उपन्यास का आरम्भ होता है। अच्छा इक्कीस साल पहले असल में हुआ क्या था। पहले यह समझना जरूरी है। सिर्फ मेरे लिए ही नहीं आपके लिए भी और यही प्रश्न उपन्यास में भी उठता है
- तो एक अच्छा होस्ट होने के नाते मेरा फर्ज बनता है कि मैं आपको 14 फरवरी 1999 की उस भयानक रात का किस्सा बताऊं, जब हमारा छोटा सा शहर उस भयानक घटना से दहल उठा था।''



आखिर इक्कीस साल पहले क्या हुआ जिसके की एक छोटा सा शहर दहल उठा और वह दहशत इक्कीस साल बाद भी यथावत कायम है।
आज से 21 साल पहले इसी दिन 14 फरवरी 1999 को हमारे ही कॉलेज के तीन लड़के और दो लड़कियां पिकनिक मनाने गए थे। लेकिन उन्हें नहीं पता था कि वो रात उनकी जिंदगी की आखिरी रात होगी। वो तो बस वहां पिकनिक मनाने गए थे। आधी रात को झील के किनारे जब मौत का कहर टूटा तो उनमें से कोई जिंदा नहीं बचा। कोई...भी...नहीं।''
यही इस उपन्यास का मूल घटनाक्रम है। यही घटना दहशत का कारण है। वह कोई सामान्य हत्याकाण्ड न था। वह तो किसी विक्षिप्त हत्यारे की वीभत्सा का एक खौफनाक काम था।
लेकिन स्टूडेंट्स उस जगह आज भी पार्टी करते हैं। जश्न मनाते हैं और उस घटना की दहशत कम करने का प्रयास करते हैं। कुछ को वह यह प्रयास अच्छा लगता है तो कुछ को बहुत घटिया।
        पागल स्टूडेंट्स तब भी पार्टी मनाने से बाज नहीं आते। इनकी बस नशा करने, एडवेंचर और खुद को किसी पॉप कल्चर का हिस्सा दिखाने में दिलचस्पी है और उस...उस वाहियात पार्टी से इनकी ये तीनों ही ख्वाहिशें पूरी हो जाती हैं। ब्लडी डिस्गस्टिंग! ''
        और एक बार भी इक्कीस साल बाद वहाँ पार्टी मनाई गयी। यही घटना एक बार फिर दोहराई गयी वह भी इक्कीस साल बाद और उसी तारीख को।
         21 साल पहले''-एसपी बोले, उनकी आंखें सामने अंधेरे जंगल की ओर देख रहीं थीं-''14 फरवरी को ही इसी इलाके में झील के किनारे पार्टी मना रहे 5 स्टूडेंट्स की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। इतने सालों में उस हत्यारे का कोई सुराग तक हमें नहीं मिल पाया। और यकायक वो फिर से कब्र फाड़कर बाहर निकल आया और उस घटना से भी ज्यादा भयानक वारदात को अंजाम देकर फिर गायब हो गया वो...


- आखिर वह हत्यारा कौन था?
- वह क्यों लोगों को मार रहा था?
- वह भी सामूहिक हत्याकांड?
- क्या हुआ इक्कीस साल बाद?

   वीभत्स्सा का एक खौफनाक मंजर आपको इस हाॅरर उपन्यास में पढने को मिलेगा। 


       यह स्लैशर और थ्रिलर प्रधान उपन्यास है। क्योंकि को पता है की उपन्यास में आगे यह घटनाक्रम घटित होगा। लेकिन एक जिज्ञासा रहती है की आखिर यह कौन कर रहा है और क्यों कर रहा है।
       आखिर इन मासूम स्टूडेंट्स के साथ किसकी क्या दुश्मनी है? और वह भी इतनी निर्दयता के साथ लोग को मार काट रहा है।
       इसी रहस्य को जानने के लिए उपन्यास पढा जा सकता है। हालांकि उपन्यास का आरम्भ और अंत काफी तेज रफ्तार है लेकिन मध्य भाग थोड़ा धीमा जहां विद्यार्थियों का वर्णन है।
इसे थोड़ा कम करके उपन्यास की रफ्तार और तेज रखी जा सकती थी।
        लेखक ने घटनाओं का इतनी वीभत्सा से चित्रण किया है कि मेरे जैसा नर्म ह्रदय पाठक दहल सा जाता है। उपन्यास का अंतिम घटनाक्रम इतना जीवंत है कि आपको लगेगा जैसे यह सब हमारे सामने ही हो रहा है।

उपन्यास के पात्र
किसी भी कहानी के मुख्य घटक में से पात्र भी होते हैं। इन्हीं पात्रों से ही कहानी आगे बढती है कुछ पात्र प्रमुख होते हैं, कुछ गौण होते हैं और कुछ का सिर्फ नाम ही होता है स्वयं की उपस्थित नहीं होती। जैसे इस उपन्यास में इन्द्र की पत्नी का नाम है वह स्वयं उपस्थित नहीं।
यहाँ उपन्यास पात्रों के नाम और कुछ की चर्चा प्रस्तुत है।
इन्द्र- पुलिस इंस्पेक्टर
राधा- इन्द्र की पत्नी
अविका- इन्द्र की पुत्री
सुदेश - सब इंस्पेक्टर
वंदना- सुदेश पत्नी
आस्था- सुदेश पुत्री
रीना- विद्यार्थी
मोनिका- विद्यार्थी
हेनरी- विद्यार्थी
विकास- विद्यार्थी
प्रिंस/ राजीव सोलंकी- विद्यार्थी
देवराज दीक्षित- एस. पी.
प्रोफेसर श्याम/ प्रोफेसर किलर- काॅलेज प्रोफेसर
राज- विद्यार्थी
पुलिस इंस्पेक्टर इन्द्र- इन्द्र कुमार शुक्ला पुलिस में थे और 40 साल की उम्र में भी उन्होंने अपने आप को इतना फिट रखा था कि उन्हें देख कर उनकी उम्र 35 साल होने का अंदाजा लगाना भी मुश्किल था। फिल्म स्टार्स की तरह हैण्डसम इन्द्र की हाइट 6 फीट थी और चेहरे पर हल्की मूंछें उनके व्यक्तित्त्व को काफी प्रभावशाली बनाती थीं। वो आदतन मितभाषी और गम्भीर प्रवृत्ति के इंसान थे। अविका को अपने पापा की ये बात पसंद थी। दरअसल, इन्द्र से ये गुण विरासत में उसे भी मिले थी।
अविका- उपन्यास की मुख्य किरदार। पाठक को हर वक्त एक संशय रहता है कि अविका के साथ आगे क्या होगा, कहीं अविका के साथ कुछ बुरा न हो जाये। क्योंकि अविका मासूम है और घटनाएं दिल दहला देने वाली
प्रोफेसर श्याम- लेकिन वो शख्स सचमुच में प्रोफेसर जैसा नहीं लगता था। वो तो किसी हॉलीवुड हीरो जैसा स्टाइलिश और आकर्षक लगता था।

पात्र रहस्यमय है, लेकिन जितना उपन्यास में इनको और इनके भाव दिखाये गये हैं उतना उपन्यास में उभर कर इनका किरदार नहीं आया।
फिर भी लोग कहते है- आखिर प्रोफेसर चीज क्या है?
राज- एक धीर गंभीर पात्र। स्वयं में खोया रहने वाला यह पात्र अकेला रहना ज्यादा पसंद करता।
यह भी एक रहस्यमय पात्र है।


      उपन्यास का अंत कुछ अलग और अधूरा सा प्रतीत होता है। कुछ घटनाएं स्पष्ट नहीं होती और कुछ अभी बाकी लगती हैं। हालांकि लेखक महोदय के अनुसार ',पार्टी सीरीज़ ' के अभी और उपन्यास आयेंगे।

स्लैशर आधारित यह उपन्यास मेरे विचार से लोकप्रिय साहित्य का प्रथम उपन्यास है।‌ यह इस दृष्टि से भी अलग है क्योंकि हमने हाॅरर के नाम पर सिर्फ भूत कथाएँ पढी है। यह हाॅरर है पर एक अलग तरह का।
 अगर आप कुछ अलग, दिल दहला देने वाला उपन्यास पढना चाहते हैं तो इस उपन्यास को एक बार अवश्य देखें।

उपन्यास- पार्टी स्टार्टेड नाओ
लेखक- अजिंक्य शर्मा
प्रकाशक- ebook on kindle
पृष्ठ-
किंडल लिंक- 
पार्टी स्टार्टेड नाओ- अजिंक्य शर्मा

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