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Friday 26 July 2019

212. दहकते शहर- वेदप्रकाश शर्मा

विजय- विकास का प्रथम उपन्यास
दहकते शहर- वेदप्रकाश शर्मा, उपन्यास

     वेदप्रकाश शर्मा उन लेखकों में से एक हैं जिनको पढकर मेरा उपन्यास प्रेम परवान चढा। वेद जी के उपन्यास बहुत रोचक और दिलचस्प होते हैं। हिन्दी जासूसी साहित्य में सर्वाधिक बिक्री वाले लेखक रहे हैं वेदप्रकाश शर्मा जी।
       'दहकते शहर' वेदप्रकाश शर्मा जी का प्रथम उपन्यास माना जाता है। यह मानना किस दृष्टि से है यह देखना है। देखना क्या है पढना है। और पढना यह है कि 'दहकते शहर' वेदप्रकाश शर्मा के स्वयं के नाम से प्रकाशित होने वाला प्रथम उपन्यास है। अर्थात् वेद जी छद्म नाम से पहले लिखते रहे हैं।
जैसा की उपन्यास साहित्य का एक काला अध्याय रहा है वह है भूत लेखन(Ghost writing) और यह भूत/ छद्म लेखन वेद जी ने भी किया है।

        अब रिकाॅर्ड के अनुसार 'दहकते शहर' ही वेद जी का प्रथम उपन्यास माना जाता है। लेकिन इस से पूर्व वेद जी काफी उपन्यास लिख चुके थे। 'दहकते शहर' पढते वक्त यह अहसास बना रहता है की ये पात्र पूर्व में परिचित हैं।
       जैसे विजय कहता है- मर्डरलैण्ड को तो हमारे लूमड़ प्यारे समाप्त कर आये थे।(पृष्ठ-20) ( शायद यह प्रसंग वेद जी द्वारा लिखे गये Ghost लेखन के उपन्यास में होगा)



         लेकिन यह उपन्यास इस दृष्टि से भी प्रथम कहा जा सकता है की यह वेद जी के प्रसिद्ध पात्र 'विकास' का प्रथम उपन्यास है। इसी उपन्यास में विकास के जन्म की कहानी है।
- रैना की गोद में उसका नवजात शिशु था। नन्हा सा, गोरा सा, मासूम शिशु...उसके चौड़े माथे मस्तक पर लगा काला टीका ऐसा प्रतीत हो रहा था, मानो चाँद में आज हल्का सा दाग हो...नयन...मानो कलियां अभी खिली न हो। अधर ऐसे शांत ...मानो गुलाब की पंखुड़ियां अभी आलिंगन किए हुए हों, नन्हे,प्यारे और दूध से हाथ-पैर वह कभी-कभी हिला देता था। (पृष्ठ-07)
तो यह है विकास का प्रथम परिचय।


      चाहे यह 'विजय- विकास' सीरिज का उपन्यास है। पर यह उपन्यास विजय से ज्यादा विकास पर केन्द्रित है।
अब बात करते हैं उपन्यास की।
      पुलिस सुपरिडेंट रघुनाथ और रैना के घर विकास ने जन्म लिया। विकास के जन्मोत्सव की पार्टी थी। उसके जन्म दिन शहर के प्रतिष्ठित लोग ही नहीं अपितु विश्व के खतरनाक अपराधी भी पधारे थे, पर बिन बुलाये। जैसे अंतरराष्ट्रीय अपराधी अलफांसे , सिहंगी और मर्डरलैण्ड शहजादी जैक्सन।
विकास की जन्मोत्सव पार्टी पर इन अपराधियों ने घोषणा की कि वे विकास को एक खतरनाक योद्धा बनायेंगे। वहीं विजय की इच्छा है विकास एक अच्छा जासूस बने और माँ भारती की सेवा करे।
अलफांसे ने घोषणा की- मेरा स्वप्न तभी पूरा होगा जब विकास मेरे पास पलेगा। मैं इसे खतरों से खेलना सिखाऊंगा। मौत से गले मिलना सिखाऊंगा।
     अलफांसे  नेे तो विकास केे दसवें जन्मदिन पर उसे ले जाने की घोषणा भी कर दी।

शहजादी जैक्सन ने कहा- मैं विकास के लिए भगवान से कामना करूंगी कि वह संसार का महानतम व्यक्ति बने। (पृष्ठ-21)
मैं आप लोगों से आज वादा करती हूँ कि विकास को मर्डर लैण्ड में रखकर संसार का सबसे वीर और साहसी व्यक्ति बनाऊंगी।"-(पृष्ठ-22)

     उपन्यास में और भी कुछ प्रसंग जिनके आधार पर कहानी आगे बढती है। विकास के रोचक और खतरनाक कारनामे भी पाठकों को आकृष्ट करते नजर आते हैं।

वहीं शहजादी जैक्सन की एक और भी इच्छा है। वह समस्त धरती पर जैक्सन के नाम की ध्वजा फहराये।
समस्त धरती का अब एक ही नाम होगा मर्डरलैण्ड। (पृष्ठ-92)

         उपन्यास में कुछ रोचक प्रसंग भी है। जैसे वेद जी के पाठक जानते हैं, विजय कभी शादी नहीं करेगा और आशा हमेशा विजय से प्रेम की आशा रखती। इसी प्रसंग को जैक्सन ने आगे बढाया।
"मिस्टर विजय।" जैक्सन मुस्कुराई...पहली बार मेरा अपना एक कार्य अपूर्ण रह गया था....।
"कौनसा कार्य मम्मी?"
"तुम्हारी और आशा की शादी का।"
"क्या?" विजय उछल पड़ा।
(पृष्ठ-128)

इन घटनाओं और दृश्यों को देखने के बाद दिमाग में बहुत से प्रश्न उठते हैं।
जैसे
- विकास के दसवें जन्म दिन पर क्या हुआ?
- विकास को किसने अपना शिष्य बनाया और क्या शिक्षा दी?
- क्या शहजादी जैक्सन विश्व विजेता बन पायी?
- क्या आशा और विजय की शादी होगी ?


         अगर आप वेदप्रकाश शर्मा जी के एक्शन वाले उपन्यास पढते हैं तो यकीनन यह उपन्यास आपको पसंद आयेगा। उपन्यास में कहानी थ्रिलर है, पाठक को बहुत कुछ पूर्वानुमान होता है लेकिन जो प्रवाह है वह पाठक को अपने साथ बहा ले जाता है।
उपन्यास में अलफांसे का कंकालों के साथ 'फाइट दृश्य' अनावश्यक लगा।

अब चलते- चलते उपन्यास का एक संवाद हो जाये।
कभी किसी पर विश्वास मत करो, कभी किसी के सगे बनकर न रहो, वक्त और परिस्थितियों के साथ रंग बदलो...।(पृष्ठ-65)

अगर आप को विजय-विकास के रोमांच वाले उपन्यास पसंद है तो यह उपन्यास आप की उम्मीदों पर खरा उतरेगा।
उपन्यास एक्शन और रोमांच का मिश्रण है।

उपन्यास- दहकते शहर
लेखक-   वेदप्रकाश शर्मा
पृष्ठ-        175
प्रकाशक- राजा पॉकेट बुक्स

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