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Friday, 23 November 2018

153. लव जिहाद-राम पुजारी

   जिहाद से लव की ओर...
लव जिहाद...एक चिड़िया- राम पुजारी,सामाजिक उपन्यास, रोचक, पठनीय।
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लव जिहाद...एक चिड़िया उपन्यास मूलत एक प्रेम कथा है,वह प्रेम कथा जो समाज, धर्म, राजनीति के कई पहलुओं को उजागर करती है।
           उपन्यास प्रेम को आधार बना कर लिखा गया है। एक हिंदू लड़की और एक मुस्लिम लड़के की प्रेम कथा है। दोनों काॅलेज में मिलते हैं, साहिल का काॅलेज में यह अंतिम साल था और सोनिया का ये पहला साल था। (पृष्ठ-03) फिर धीरे-धीरे दोनों में प्रेम प‌नपता है।  बहरहाल दोनों- साहिल और सोनिया, एक ही कश्ती में सवार थे- प्रेम की कश्ती। (पृष्ठ-35)
        कवि बोधा ने कहा है। -"यह प्रेम को पंथ कराल महां, तरवारि की धार पर धावनो है।"
        यह प्रेम का रास्ता बहुत विकट है, यह तो तलवार की धार पर चलने जैसा है और प्रेमी फिर भी चलते हैं। साहिल और सोनिया भी इस राह पर चलते हैं।
   दोनों ही आने वाले भविष्य से बेखबर, ख्वाबों की दुनियां में प्रेम की उड़ान भर रहे थे। (पृष्ठ-35)। लेकिन यह उड़ान सोनिया के परिवार को रास नहीं आयी।  सोनिया के परिवार को रास नहीं आयी लेकि‌न साहिल का तो किस्सा ही कुछ और था।
- एक तरफ जहां, सोनिया पर पाबंदियाँ लगाई जाने लगी और ये रोक-टोक दिन प्रतिदिन बढने लगी। (पृष्ठ-49)। वहीं साहिल के सिर पर एक खतरनाक तलवार लटक रही थी। हमसे गद्दारी की सजा सिर्फ मौत है-सिर्फ मौत। (पृष्ठ-259)
-       जो प्रेम की राह पर चलते हैं, उन्हें पता है यह राह बहुत कठिन है। लेकिन वो फिर भी चलते हैं। इसी राह पर सोनिया चली, घर और समाज की बंदिश तोड़ कर चली। लेकिन क्या साहिल इस राह पर चल पाया। यही प्रश्न  सोनिया ने साहिल से पूछा-मैंने तुम्हें अपना दिल दिया बस और बदले में तुम्हारा प्यार चाहती हूँ । बोलो क्या तुम मेरा साथ दोगे। -(पृष्ठ-196)
- क्या साहिल सोनिया का साथ दे पाया?
     इस प्रेम कथा के साथ एक और कथा है, वह है धार्मिक -साम्प्रदायिक। यह समाज में व्याप्त राजनीति के घिनौने रूप को पाठक के समक्ष लाती है। 
...पिछले कुछ दिनों से उत्तम प्रदेश के एक इलाके सलामतगंज की स्थिति कुछ असामान्य सी थी। दो धार्मिक गुटों में किसी बात को लेकर विवाद हो गया था। (पृष्ठ-52)
          उपन्यास एक प्रेम कथा होने के साथ-साथ समाज में व्याप्त और भी बहुत सी बुराईयों का वर्णन करता है।
          समाज में औरत का क्या स्थान है और हम उसे कौनसा स्थान देते हैं। क्या हम औरत की इज्जत करते हैं। इस उपन्यास के संदर्भ में प्रकाशन ने भी लिखा है।- क्या हमारी बेटियों की ईज्जत का पैमाना इस बात पर निर्भर होगा कि वह लड़की किस जाति, धर्म और सम्प्रदाय की है। (प्रकाशक कथन)। औरत होने की पीड़ा रज्जो तो भुगत रही है पर वह चाहती है की उसकी बेटी सोनिया न भुगते।
- औरत होने की सजा रज्जो, इस घर में भुगत रही थी और सोनिया को ये सजा कभी भी भुगतनी पड़ सकती थी। (पृष्ठ--88)।
औरत होने की सजा नेहा और रोशनी को आखिर भुगतनी पड़ती है। आखिर कसूर क्या था दोनों का, प्रेम करना।
   उपन्यास में अंकुर का भी दोहरा व्यक्तिगत सामने आता है। वह स्वयं प्रेम करता है लेकिन अपनी बहन के प्रति सख्त है।- अपनी बहन को यूँ किसी लड़के के साथ हँसी-मजाक करना, अंकुर को रास न आया। (पृष्ठ-82)
     उपन्यास का मुख्य विषय 'लव जिहाद' है। क्या यह वास्तविक है, या काल्पनिक। क्या सच में कुछ ऐसा चल रहा है कि हमारी लड़कियों को 'दूसरे लोग' अपने प्यार में फंसा कर शादी करते हैं और इसके एवज में उन्हें रुपया-पैसा दिया जाता है। (पृष्ठ-203)।
            आखिर कौन है ये लोग?
            क्या है इनका मकसद?
            कौन फंसा लव जिहाद?
            क्या रहा परिणाम?
  इन प्रश्नों के उत्तर तो 'लव जिहाद...एक चिड़िया' उपन्यास पढकर ही मिल सकते हैं।
      भोपाल के पाठक मित्र बलविन्द्र सिंह ने इस उपन्यास पर टिप्पणी करते हुए कहा है की "जिसे पढते वक्त आपके भाव कुछ और होंगे, समाप्त करने के बाद कुछ और।"
          जैसे -जैसे कहानी आगे बढती है वैसे ही कहानी में रोचकता बढती जाती है। पाठक की जिस सोच के साथ उपन्यास आरम्भ होता है वह सोच पृष्ठ दर पृष्ठ बदलती रहती है। कभी सोच सकारात्मक होती है तो कभी नकारात्मक। एक अच्छे लेखक की यह खूबी है की वह कहानी में‌ निरंतर सस्पेंश बना कर रखे, उसमें रोचकता बना कर रखे। इस उपन्यास को पढते वक्त रोचकता और सस्पेंश बना रहता है।
कहानी का विस्तार  'जुलाई 2013, दिल्ली' से लेकर 'मई 2014 कश्मीर' से उत्तम प्रदेश(उत्तर प्रदेश) होते हुए बैंगलोर तक फैला है।
संवाद
         किसी भी कहानी के संवाद उसके महत्व को बढाने में सहायक होते हैं। संवाद पात्र और परिस्थितियों का वर्णन करने में सक्षम होते हैं।
     इस उपन्यास के संवाद भी बहुत अच्छे हैं।
- लड़की के किशोरावस्था से युवा होने तक का समय हर माता-पिता के लिए चिंता का विषय होता है।(पृष्ठ-49)
- जब ये दंगा होता है न। तो ये गाँव, इलाका‌ नहीं देखता- बस भड़कता जाता है और ऐसे में मारे जाते हैं-गरीब, बूढे, बच्चे और औरतें। (पृष्ठ-53)
- लड़कियों‌ का भी अजीब ही मसला है, खूबसूरत हो तो समाज में बैठे 'शिकारियों' का डर और खूबसूरत न हो तो लड़के वालों से शादी के इंकार का डर। (पृष्ठ-81)
नारी की इज्जत, किसी भी धर्म, सम्प्रदाय, जाति और वर्ण से ऊपर होती है। (पृष्ठ-175)
ये समाज की ऊँच-नीच, धर्म और राजनीति के ठेकेदार,...क्या उन्हें प्रेम के मायने भी मालूम हैं। (पृष्ठ-196)
- शादी के बाद लड़कियां अपनी किस्मत से समझौता करने की जिंदगी में आगे बढ जाती हैं। (पृष्ठ-204)
आजकल अपराधी तो रोशनी में ही ऐसे-ऐसे अपराध करके चुपचाप निकल जाते हैं जिनके बारे में पहले कभी शैतान सोच भी नहीं पाता था। (पृष्ठ-217)
- बसी हुयी दुनियां को उजाड़ने में एक पल नहीं लगता, मगर लाख कोशिशों के बाद भी उजड़ी हुई दुनियां अपने पहले वाले रुप में नहीं लौट पाती। (पृष्ठ-273)
उपन्यास में कमियाँ-
किसी रचना में कमियाँ रह जाना स्वाभाविक है। कुछ कमियाँ सामान्य हैं जिससे कहानी पर कोई असर नहीं पड़ता।
     - उपन्यास की सबसे बड़ी कमी‌ मेरी दृष्टि में उपन्यास का अतिविस्तार है। अगर लेखक इसमें कुछ कोशिश करता तो इस विस्तार को कम करके उपन्यास को कसावट दी जा सकती थी।
     
तभी बाहर से किसी ने झाँककर दरवाजे पर दस्तक दी।(पृष्ठ-)
    यहाँ 'झाँककर' गलत है, हालांकि यह टंकण में गलती हो कसती है।
- अंकुर उर्फ 'भैया जी' ऊँचे तबकों वालों के गाँव के स्थानीय नेता मलखान सिंह का बेटा था। (पृष्ठ-80)
सोनिया ग्राम सभा के मुखिया की बेटी थी। (पृष्ठ-175)
मलखान सिंह को कभी 'ग्राम मुखिया', कभी...ग्रामों का सरपंच और एक जगह MLA दिखाया गया है।
   ये सामान्य गलतियाँ है जो कथा को प्रभावित ‌नहीं करती।
निष्कर्ष-
           हमारे समाज में पनप रहे जातिवाद, धर्मगत भेदभाव आदि प्रासंगिक विषयों को आधार बना कर लिखा गया यह उपन्यास एक अच्छी रचना है। उपन्यास में वर्तमान में पनप रही बुराइयों का भी चित्रण है।  उपन्यास का अतिविस्तार कहानी को बहुत धीमा बना देता है, जो पाठक को नीरस बना देता है।
              उपन्यास एक बार पढा जा सकता है। मन को छू लेने वाली कथा।
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उपन्यास- लव जिहाल...एक चिड़िया
ISBN- 978-93-86276-55-1
लेखक- राम पुजारी
प्रकाशक- गुल्ली बाबा
पृष्ठ- 280
मूल्य- 180
उपन्यास लिंक- Amazon link
समाचार पत्र में प्रकाशित समीक्षा- लव जिहाद उपन्यास

2 comments:

  1. उपन्यास रोचक लग रहा है। यह एक समसामयिक मुद्दा है जिसे उठाने के किये लेखक की प्रशंसा होनी चाहिए। उपन्यास को पढ़ी जाने वाली किताबों की सूची में जोड़ दिया है।

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