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Monday 11 June 2018

119. एक्सीडेंट- एक रहस्य कथा- अनुराग कुमार जीनियस

रहस्य से भरी एक कहानी....
एक्सीडेंट-एक रहस्य कथा- अनुराग कुमार जीनियस, सस्पेंश, रोचक।
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  भानुप्रताप के छोटे बेटे ऋषभ की सङक दुर्घटना में मौत हो गयी। लाश परिवार को सौंप दी गयी और उसका विधिवत अंतिम संस्कार कर दिया गया। पर अगले ही दिन उनके सामने जीता जागता ऋषभ वापस आ खङा हुआ, जिसे इस दुर्घटना के बारे में कुछ भी पता नहीं था।
वह असली ऋषभ था या बहुरुपिया, ये गुत्थी तेज तर्रार पुलिस इंस्पेक्टर दुर्गेश से भी नहीं सुलझ पाई।
  एक अनोखी कहानी, जिसका रहस्य अंत पढे बगैर नहीं जाना जा सकता। (उपन्यास के अंतिम आवरण पृष्ठ से)
      
         युवा उपन्यासकार अनुराग कुमार जीनियस का ' एक लाश का चक्कर' के बाद यह दूसरा उपन्यास है। जहाँ उनका प्रथम उपन्यास इतनी गहरी कहानी लिये हुये था, लेकि‌न पात्र और पृष्ठ संख्या की अधिकता के कारण रोचकता बरकरार न रख पाया वहीं इनका द्वितीय उपन्यास 'एक्सीडेंट- एक रहस्य कथा' वास्तव में रहस्य से भरपूर है। लेखक ने कहानी पर पूरा नियंत्रण रखा है। अनावश्यक पात्र और कहानी के अनावश्यक विस्तार से बचाव रखा है।
    
               उपन्यास की कहानी युवा ऋषभ के एक्सीडेंट से होती है, उसे मृत मान कर उसकी कथित लाश का अंतिम संस्कार कर दिया जाता है। लेकिन इन सबसे अनजान ऋषभ आगामी दिन घर लौट आता है।
'य..ये ..ये  सब क्या है? मेरी तस्वीर पर माला क्यों टांगी गयी है? ऐसा तो तब होता है जब कोई मर जाता है।"
"तुमने बिलकुल ठीक कहा। किसी की तस्वीर पर माला तभी टांगी जाती है जब वह मर जाता है।"- दुर्गेश ने कौतुहल को मन में दबाकर कहा।
" फ...फिर मेरी तस्वीर पर माला क्यों टांगी गयी है?"- वह गुस्से में घरवालों पर नजरें गङाते हुए बोला।
"क्योंकि तुम मर गये थे?"
"क्या! क्या कहा?...मैं मर गया था। ऋषभ उछल पङा।  (पृष्ठ-15)
        
- आजकल देश में लङके-लङकियों की औसत लंबाई में भारी कमी आयी है और इस तरफ किसी का  ज्यादा - कि ऐसा क्यों हो रहा है-  ध्यान भी खींचा नहीं जान पङता। एक दिन ऐसा भारत दूसरा चीन - लंबाई के मामले में - न बन जाए। (पृष्ठ-109)
         लेखक ने कम शब्दों में एक गंभीर बात को रेखांकित किया है। आजकल लंबाई के साथ-साथ असमय बाल सफेद होना, नजर कमजोर होना जैसे कई रोग प्रचलन में हैं लेकिन इस तरफ कोई भी ध्यान नहीं देना चाहता। हम भौतिकता की दौङ में इतना खो गये की स्वयं को ही भूल गये।
  ‌लेखक को एक विशेष विषय पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए धन्यवाद।
       उपन्यास में बहुत सी जगह रोचक प्रसंग हैं जो पाठक को सहज की आकृष्ट कर लेते हैं। विशेष कर लाली और इंस्पेक्टर दुर्गेश के रोचक दृश्य पाठक को प्रभावित करने में सक्षम हैं।
उपन्यास में शाब्दिक गलतियाँ-
     हालांकि यह सामान्य गलतियाँ है इन्हें नजरांदाज किया जा सकता है।
शाम को थाने से फोन आया कि मिट्टी थाने आ गयी।(पृष्ठ- 12)
- मिट्टी शब्द सामान्य ग्रामीण परिवेश में प्रयुक्त होता है। यहाँ लाश/शव शब्द ज्यादा उपयोगी था।
- लाली ने पल्लो ठीक कर लिया था। (पृष्ठ-17)
-  यहाँ पल्ला शब्द आना था।
- दरवाजा आॅटोमेटिक था अपने आप उडक गया था।(पृष्ठ-36)
- आपकी बात सही है ऋषभ से शादी की बात करी गयी है...।(पृष्ठ-40)
- निशान। ऋषभ की जांघ पर कटे का निशान है। (पृष्ठ- 67)
उपन्यास में जांघ और नितंब शब्द में‌ लेखक बहुत ज्यादा असमंजस में‌ नजर आता है। कहीं जांघ शब्द लिखता है, तो कहीं जांघ को नितंब। एक बार नहीं कई बार।
          अनुराग कुमार जीनियस का प्रस्तुत उपन्यास 'एक्सीडेंट-एक रहस्य कथा' वास्तव में उतना जबरदस्त रहस्य लिए हुए है की पाठक क्लाइमैक्स पर चौंकता है, बुरी तरह से चौंकता है। 
                 पाठक उपन्यास पढते वक्त स्वयं एक जासूस होता है, वह भी उपन्यास के अंत से पहले असली अपराधी तक पहुंचना चाहता है लेकिन इस उपन्यास में पाठक बहुत कोशिश बाद भी असली अपराधी तक नहीं पहुंच पाता।
          कभी-कभी, कहीं-कहीं लगता है की जैसे ऋषभ एक बहरुपिया है तो कहीं -कहीं लगता है उसके साथ कोई हादसा पेश आया है। ऋषभ का परिवार और पुलिस तक भी इस घटना को समझने में नाकाम रहती है।
       एक समय ऐसा आता है जब विश्वास हो जाता है की ऋषभ सही है कोई बहरुपियां नहीं है लेकिन अगले ही पल ऋषभ कोई न कोई ऐसी गलती कर जाता है की वह एक फ्राॅड लगने लगता है।
           अब सत्यता क्या है यह तो उपन्यास पढकर ही जाना जा सकता है। लेकिन इतना तय है की पाठक जब क्लाईमैक्स पढेगा तो स्वयं आश्चर्यचकित रह जायेगा। उपन्यास अंतिम चरण में पहुंच कर बहुत ज्यादा घुमाव लेती है।
निष्कर्ष-
     प्रस्तुत उपन्यास बहुत रोचक और पठनीय है। इसकी कहानी वास्तव में एक रहस्य लिए हुये है और जब यह रहस्य खुलता है तो पाठक चंभित रह जाता है।
       उपन्यास पाठक का भरपूर मनोरंजन करने में सक्षम है।
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उपन्यास- एक्सीडेंट- एक रहस्य कथा।
लेखक- अनुराग कुमार जीनियस
संस्करण- प्रथम, जनवरी-2018
प्रकाशक- सूरज पॉकेट बुक्स-
पृष्ठ-205
मूल्य- 150₹
संपर्क-
लेखक- anuragkumargenius5@gmail.com
प्रकाशक- soorajpocketbooks@gmail.com

1 comment:

  1. उपन्यास मैंने खरीद कर रखा हुआ है। जल्द ही पढ़ता हूँ। लेख उपन्यास के प्रति उत्सुकता जगाता है। जहाँ तक लम्बाई की बात है तो लम्बाई जेनेटिक ही होती है। जैसे मैं पहाड़ी हूँ और मेरी लम्बाई कम है। वैसे ही प्लेन्स के लोगों की लंबाई अक्सर ज्यादा देखने में आती है।

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