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Sunday, 13 May 2018

112. रिवेंज- एम. इकराम फरीदी

रहस्य से भरी एक बदले की कथा।
रिवेंज- एम. इकराम फरीदी, सस्पेंश-थ्रिलर, रोचक, पठनीय।
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उत्तर प्रदेश के युवा लेखक एम. इकराम ‌फरीदी ने जो कम समय में पाठकवर्ग में जो अपनी पहचान स्थापित की है वह वास्तव में प्रशंसनीय है।‌ इनकी पहचान स्थापित होने की एक वजह तो यह है की लेखक लंबे समय से गुमनामी में संघर्ष करता रहा और जब पाठकवर्ग के सामने आया तो एक से बढकर एक रचनाएँ दी और सभी रचनाएँ समाज को संदेश देने के साथ-साथ विषय वस्तु में नवीनता लिए हुए हैं।
                    द ओल्ड फोर्ट, ट्रेजङी गर्ल, गुलाबी अपराध, ए टेरेरिस्ट और अब प्रस्तुत उपन्यास रिवेंज सभी की कहानी एक दूसरे से पूर्णतः अलग है। इसी विशेषता के चलते फरीदी साहब के पाठकों में‌ वृद्धि हुयी।


प्रस्तुत उपन्यास की कहानी बहुत रोचक है, हालांकि इनका पूर्व उपन्यास 'गुलाबी अपराध' भी मर्डर मिस्ट्री था लेकिन दोनों की पृष्ठभूमि बहुत अलग है।

"सर.....।"- सुधीर ने भूमिका तैयार की और चेतना का मोबाइल दिखाता हुआ बोला-" यह मेरी बेटी का फोन है, अभी थोङी देर पहले इस पर धमकी मिली है कि मेरे पूरे परिवार को मार दिया जाएगा- मेरे बेटे मोनू को इस वीक के लास्ट तक‌ मर्डर कर दिया जायेगा।"
................
इंस्पेक्टर ने नंबर देखा। काॅल हिस्ट्री देखी।
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"कौन है यह?"
"बकौल इसके मेरा भतीजा अंशु है, जो चार महीने पहले एक सङक दुर्घटना में मर चुका है।"
"मतलब?"- इंस्पेक्टर तो चौंक उठा- " जो मर चुका है, वह कैसे फोन कर सकता है?"
"कल रात ग्यारह बजे वह मेरे बेटे सोनू से मिलने भी उसके कमरे में आया था।"
"कौन आया था?"
"मेरा भतीजा अंशु।"
"जो मर चुका है?"
"जी हां, सर।"
"तुम पागल तो नहीं हो- तुम लोग कहीं पागलखाने से तो नहीं छूटे हो?"
"सच्चाई वही है सर जो मैं बता रहा हूँ ।"-सुधीर रो‌ देने वाले स्वर में बोला।
(पृष्ठ-31-32)
.....और अनंतः इंस्पेक्टर भी इस बात को मानने को मजबूर हो जाता है।
"अजीब बात है।"- इंस्पेक्टर बेंत को ठकठकाते हुए इधर-उधर चहलकदमी करता हुआ बोला- " जो धमका रहा है कत्ल करने को, वह मर चुका है- वैरी इंस्ट्रेस्टिंग -लेकिन अब उसको ढूंढा कहां जाये- क्या श्मशान घाट में?" (पृष्ठ-39)
कत्ल हुआ बाकायदा धमकी देकर हुआ लेकिन कोई कातिल साबित न हुआ, कोई सबूत न‌ मिला और सबसे सामने कत्ल हुआ।
और दूसरी तरफ एक मैना थी। जिसने चैलेंज किया था।
मैना चलकर थोङा करीब आई। मात्र थोङा सा गैप देकर खङी हुयी और आँखों में आँखें डालकर फुसफुसाई -"फ्राइङे को मोनू का कत्ल हो जाएगा- रोक सको तो रोक लेना।"(पृष्ठ-47)



         प्रस्तुत उपन्यास 'रिवेंज' जैसा की नाम से ही पता चलता है यह एक बदला प्रधान कथा है, लेकिन उपन्यास ‌में‌ चुनौती है पुलिस और जासूस के लिए असली अपराधी तक पहुंचने की, हालांकि कातिल सामने है लेकिन सबूत नहीं ।
      कत्ल होता है मजबूत सुरक्षा व्यवस्था के बीच लेकिन कोई कातिल साबित नहीं हो पाता और न ही कोई सबूत मिलता है।

इकराम फरीदी साहब की एक विशेषता है की वे मूल कथानक के साथ-साथ अन्य सामाजिक बुराईयों का वर्णन और विरोध इस प्रकार दर्शाते हैं की मूल कहानी पर कहीं कोई रुकावट दृष्टिगत नहीं होती।
   प्रस्तुत उपन्यास में भी नशा, भूत-प्रेत, तांत्रिक आदि पर अच्छा प्रहार किया है।
नशे पर लिखा है- मगर यह नशे का मार्ग व्यक्ति को कहीं भी संतुष्ट नहीं करता है। व्यक्ति की मानसिकता अधिक आग्रह की रहती है और कोई भी नशेङी निरंतर गलती यह करता है कि वह नशे से संतुष्ट होना चाहता है। (पृष्ठ-21)
वर्तमान तांत्रिक वर्ग के व्यापार पर गहरी चोट की गयी है और उपन्यास के माध्यम से इनका व्यापार भी दर्शाय
 गया है
समय के साथ -साथ हर तांत्रिक समयकार्ड का बङा विशेषज्ञ होता जा रहा है। याद पङता है कि कुछ वर्षों पूर्व जब समय कार्ड का चलन हुआ था तो उस समय 72 घण्टे की समय सीमा बांधी गयी थी। (पृष्ठ-152)
और अब यह समय सीमा कब होने लग गयी।

72 घण्टे....60 घण्टे....24घण्टे.....20 घण्टे.....समाधान नहीं तो फीस वापस....दुगने पैसे वापस..
और अभी की लेटेस्ट खबर है मात्र दस मिनट।
मौलवी साहब बंगाल वाले। (पृष्ठ-153
)


कथन-
अच्छे कथोपथन किसी भी कहानी के प्राण होते हैं। प्रस्तुत उपन्यास में ऐसे क ई कथन/संवाद है जो पाठक को सहज की आकृष्ट करते हैं।
"वह हम ढूंढ निकालते हैं- हम‌ पुलिस वाले हैं, हम‌ रस्सी का सांप बना देते हैं।"
"आपका सामना अभी शातिर मुजरिमों से नहीं पङा है- वरना आप सांप को रस्सी कहने लगते
।" (पृष्ठ-47)
- "क्या कहते हो?"- एस.एस. पी. की तो बुद्धि फिरकनी नब गयी।
घूमती बुद्धि को उन्होंने थामा तथा एतराज किया-" ऐसा कैसे हो सकता है?"(पृष्ठ-65)
-मूर्ख औरत, आत्मा को कभी गलतफहमी नहीं होती- यहाँ यमलोक के रजिस्टर में सबकुछ दर्ज है, मैं पढ चुका हूँ कि तूने क्या प्लानिंग रची।
"(पृष्ठ-136)
- दुश्मनी के कोई पैमाने नहीं होते, बस अपना दिमाग सिरफिरा होना चाहिए- एक छोटी सी बात भी अगर बुरी लग जाये तो सनकी आदमी कत्लेआम मचा देता है।"(पृष्ठ-197)




कुछ कमियां-
उपन्यास में‌कई जगह कुछ गलतियां दृष्टिगत होती हैं। जो कमजोर संपादन या लेखन का वजह से उपजी हैं। अगर उपन्यास पर कुछ अतिरिक्त मेहनत की जाती तो ऐसा न होता।
उपन्यास में‌ लेखक ने कई जगह शुद्ध उर्दू के शब्दों का प्रयोग किया है जो सामान्य पाठक को थोङा परेशान कर सकता है। पाठक भावार्थ तो ग्रहण कर सकता है लेकिन शब्दार्थ में समस्या आ जाती है।
जैसे - खदसा,
- "मोनू को अंशु का हमशक्ल नजर आया है तो स्पष्ट है कि कम से कम किशोर तो मैना का साथी है।" (पृष्ठ-51)
कौन किशोर?
"क्या?"- नितिन चकित स्वर में बोला -" दिन निश्चित कर दिया? फोन किसके पास आया, आपके पास?"(पृष्ठ-141)
उपन्यास में नितिन नाम का कोई व्यक्ति नहीं है।
- ननंद शब्द को बार-बार नंद लिखा है।

- "मम्मी, इस डिटेक्टिव को काॅल करें।"
"लगा काॅल।"
चेतना ने प्रोफाइल में दिये संपर्क नंबर पर काॅल लगाई। (पृष्ठ-37)
- ज्योतिका ने चेतना से पूछा- "उसका कांटेक्ट नंबर मिला?"
"हां मम्मा, मिला- कहो तो काॅल करुं?"
"लगा फोन।"
चेतना ने रिंग छोङ दी। (पृष्ठ-49)
लेखक ने एक दृश्य को दो बार दर्शा दिया।
और ऐसा तब भी होता है जब अंशु का फोन आता है और उसके फोन की डिटेल्स निकलवाने की चर्चा चलती है।

- कौशिक की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। मिशन पूर्णतः असफल रहा था। (पृष्ठ-235)
जबकि लिखना था 'मिशन सफल रहा' था।
भारतीय कानून के मुताबिक सम्पति में बहू का अधिकार नहीं होता है- सम्पति का मालिक या तो पति होता है या फिर बच्चे। (पृष्ठ-252)
मेरे विचार से ऐसा नहीं है। पति की मृत्यु पश्चात संपति पर पत्नी का कानूनन अधिकार होता है।


निष्कर्ष-
उपन्यास 'रिवेंज' एक बदला प्रधान कथा है। एक पारिवारिक रंजिश के चलते कैसे एक परिवार तबाह हो गया। हमारा स्वार्थ कैसे किसी के परिवार को बर्बाद कर सकता है, इसका उदाहरण है एम. इकराम‌ फरीदी का उपन्यास'रिवेंज' और फिर कैसे लोग अपना बदला लेते हैं।
उपन्यास मर्डर मिस्ट्री होते हुए भी थ्रिलर है। पाठक को कातिल का आभास है लेकिन उसका निस्तारण अंत में ही होता है।
उपन्यास में लेखक की जल्दबाजी स्पष्ट झलकती है, अगर लेखक/संपादक थोङा सा अतिरिक्त श्रम करते हो छोटी-छोटी गलतियों से बचा जा सकता था।
उपन्यास का आवरण पृष्ठ भी कहानी के अनुरुप है।
उपन्यास रोचक और पठनीय है। कहानी दमदार है जो पाठक को बांधे रखने में‌ सक्षम है।

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उपन्यास- रिवेंज
लेखक- एम. इकराम‌ फरीदी
प्रकाशक- रवि पॉकेट बुक्स
पृष्ठ- 254
मूल्य-80₹
लेखक संपर्क- 9911341864 (W/A)

लेखक के आगामी उपन्यास
- सम-प्रीत (समलैंगिक संबंध)
-चैलेंज होटल (हाॅरर)
- अवैध
           

1 comment:

  1. उपन्यास तो लिया है, जल्द ही पढ़ूँगा। रोचक लेख।

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