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Monday, 16 October 2017

70. तीन बजकर बीस मिनट- तीर्थराम फिरोजपुरी

3  बजकर 20 मिनट, जासूसी उपन्यास, मर्डर मिस्ट्री, रोचक।
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जुलाई का महिना, बृहस्पति वार और 9 तारीख थी। सिवोल कस्बे के जीन बर्नाड और उसका लङका फिलीप  चार बजे लगभग मछलियाँ पकङने घर से निकले थे।.......?
........जिस खौफनाक दृश्य ने फिलीप को सहमा दिया था वही अब जीन के सामने था जिस पर बेहोशी सी छायी हुयी थी। नदी के किनारे के पास, बगीची की सीमा में एक खूबसूरत औरत की लाश पङी थी। उसके लंबे -लंबे बाल बिखरे थे और पानी से तर थे। रेशमी पोशाक खून और मिट्टी से लथपथ और सिर कीचङ में ङूबा हुआ था।
नदी के किनारे एक बाग था काउंट डी ट्रिम्यूरल का।-(पृष्ठ संख्या 1-2)
             यह कहानी है पेरिस शहर के एक कस्बे सिवोल की। जहां पर कस्बे के नबाव काउंट डी ट्रिम्यूरल की पत्नी की हत्या हो जाती है और नबाव का कोई अता-पता नहीं। कुछ सबूतों के आधार पर पुलिस का मानना है की नवाब की हत्या कर लाश नदी में बहा दी गयी। घर पर बुरी तरह से लूटपाट के सबूत मिलते हैं।
स्थानीय जज, मजिस्ट्रेट और मेयर खुफिया पुलिस की मदद लेते हैं।
    खुफिया पुलिस का अधिकारी एम. लिकाक जब इस मामले की खोजबीन करता है तो उसे कहानी कुछ और ही नजर आती है।
"मालूम होता है हत्यारे ने कोई शोर या आवाज बाग में सुनी है और वह कुल्हाङी को जल्दी से इस जगह फेंक कर निकल गया है....घङी का समय गलत कर देना, कुल्हाङी यहाँ फेंकना, यह सब किसी जासूस को भ्रम में डाल पाने के लिए काफी है।......इसी तरह मेज पर शराब की बोतल और पाँच गिलास रख दिये गये हैं ताकि ऐसा लगे हत्यारे पाँच थे।" (पृष्ठ 31)
   हत्यारों/हत्यारे ने जो सबूत बता स्थापित किये थे उसे लिकाक पहली नजर में ही पहचान जाता है और जब वह अपनी खोजबीन को आगे बढाता है तो उसे नवाब का एक नया रूप देखने को भी मिलता है।
नवाब - जिसने अपनी कई प्रेमिकाएं बदली और धन के लिए स्वयं भी बदल गया। लिकाक को यह भी पता चकता है की नवाब न तो इस जगह का निवासी है और न ही इस घर का मालिक और सबसे बङी बात की उसकी बेगम भी कभी उसके अच्छे मित्र एम. सावरसी(सवारसी) की पत्नी थी।
           इससे पूूूर्व जब सावरसी को अपने मित्र और अपनी पत्नी की बेवफाई का पता चला तो उसने मरने से पूर्व एक ऐसा षड्यंत्र रचा जिसमें उसकी पत्नी व नवाब को एक अनोखी सजा मिलनी तय थी।
   सावरसी बोला-" .....तुम दोनों को मालूम हो गया होगा कि मैंने तुम्हारे चारों ओर ऐसा जाल फैलाया है जिससे तुम निकल ही नहीं सकते।"- (पृष्ठ 120)
  - क्या थी वह अनोखी सजा?
   - कैसे बदला लिया सावरसी ने?

उपन्यास के पात्र-
1. जीन बर्नाड- स्थानीय निवासी।
2. फिलिप- जीन का पुत्र। जिसने सर्वप्रथम लाश देखी।
3. कोरटायस- कस्बे का मेयर। लोरेंस का पिता।
4. लोरेंस- मेयर की पुत्री। नवाब की प्रेमिका।
5. नवाब काउंट डी ट्रिम्यूरल- कस्बे का एक अमीर व एय्याश आदमी। कावरसी का मित्र।
6. सावरसी कस्बे का अमीर आदमी। बिरथा का पहला पति।
7. बिरथा- नवाब की बेगम। कावरसी की पत्नी।
8. डाक्टर जिंदरान- लिकाक की सहायता करने वाला एक अच्छा डाॅक्टर।
9. डाक्टर रुबेल्ट- स्थानीय डाॅक्टर। जिसने मजिस्ट्रेट को मारने की कोशिश की।
10.प्लटिंट- मजिस्ट्रेट।
11. जैनी- नवाब की प्रथम प्रेमिका।
12. गस्पन- नवाब का नौकर।
13. अन्य और भी बहुत से गौण पात्र।
संवाद-
   उपन्यास के संवाद पाठक को प्रभावित नहीं करते। उपन्यास पढते वक्त ऐसा महसूस होता है जैसे अंग्रेजी उपन्यास का अनुवाद हो।
कुछ पठनीय संवाद देख लीजिएगा-
इंसानी जिंदगी अँगूरों की टोकरी की तरह है। कुछ आदमी एक-एक दाना उठाकर खाते हैं और कुछ सब अंगूरों को एक ही बार में निचोङकर पी जाना पसंद करते हैं।-(पृष्ठ-63)
उपन्यास की कहानी रोचक है लेकिन अपनी भाषा शैली के कारण उपन्यास मात खा जाता है।
कहीं- कहीं तो लेखक शब्दों की इतनी बचत कर गया की पाठक को समझने के लिए बहुत मेहनत करनी पङती है।
शीर्षक-
            उपन्यास के शीर्षक का कहीं कोई औचित्य भी नहीं है। हत्या के वक्त जब घङी नीचे गिर कर बंद हो जाती है तो उसमें समय था रात के तीन बजकर बीस मिनट।
    लेकिन बाद में स्वयं जासूस महोदय यह साबित कर देते हैं की यह समय हत्यारे ने घङी में फिक्स किया था ताकी पुलिस इस समय के अनुसार भटक जाये।
         उपन्यास का एक पात्र सवारसी है या सवारसी पता ही नहीं चलता बार- बार उसका नाम बदलता रहता है। हालांकि यह गलती टाइपिस्ट की है।
        
    तीर्थराम फिरोजपुरी का तीन बजकर बीस मिनट एक मर्डर मिस्ट्री उपन्यास है। रोचक है पठनीय है। अगर इस उपन्यास की संवाद शैली और कुछ दृश्यों पर और मेहनत की जाती तो यह एक अच्छा, बहुत अच्छा उपन्यास साबित हो सकता था।    लेकिन लेखक/संपादक महोदय की मेहनत की कमी स्पष्ट झलकती है।
         फिर भी मनोरंजन की दृष्टि से यह 150 पृष्ठ का उपन्यास पाठक को निराश नहीं करेगा।
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उपन्यास-  3 बजकर 20 मिनट
लेखक- तीर्थराम फिरोजपुरी
प्रकाशक- अशोक पॉकेट बुक्स- दिल्ली
पृष्ठ-150.
  उपन्यास उपलब्ध है-
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय- माउंट आबू-सिरोही(राजस्थान)
सरस्वती पुस्तकालय,   पुस्तक क्रमांक- 4058/508

1 comment:

  1. रोचक लेख। किरदार भी सारे विदेशी लगते हैं। और शायद उपन्यास का घटनाक्रम विदेशी भूमि में ही घटित होता है। इस हिसाब से भी ये अनूदित लगता होगा। उपन्यास पुस्तकालय में मौजूद है तो बच्चे इसको जरूर पढेंगे। इसकी प्रकाशन तिथि कब की है??

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