सीक्रेट एजेंट सागर का एक खूनी कारनामा।
नीली आँखों वाली लङकी, जासूसी उपन्यास, रोचक।
पवन पॉकेट बुक्स से प्रकाशित राज भारती का उपन्यास ' नीली आँखों वाली लङकी' अपनी कौम की आजादी के लिए मुस्कुराते हुए अपनी जान देने वाली उन विरांगनाओं की कहानी जिन्होंने अपनी कौम व अपने मुल्क का भविष्य ही बदल दिया.....(मुख्य पृष्ठ से)
यह कहानी है सिलौन (वर्तमान श्री लंका) के दक्षिण में बसे एक स्वतंत्र टापू आइसलैण्ड की।
वहाँ का शासक था जुल्लू सरदार। शासक कम और अत्याचारी ज्यादा। कुछ स्वतंत्रता प्रेमी लोगों ने मिलकर शासक के विरुद्ध आवाज उठा दी। लेकिन जुल्लू सरदार ने सब स्वतंत्रता प्रेमियों को मरवा दिया।
अपने अंत समय में जुल्लू सरदार ने जनता से लूटी अथाह दौलत वहाँ की किसी गुफा में छुपा दी।
इस रहस्य का पता कुछ ही लोगों को था, पर वह खजाना कहां है, पक्की जानकारी किसी के पास न थी, जो भी जानकारी थी, वह अधूरी और कोङवर्ड में थी।
स्वतंत्रता प्रेमियों की विधवाओं ने एक संगठन ' सूरज के बेटे' बनाया वहीं एक अन्य क्रांतिकारियों का संगठन भी है जिसने एक आॅप्रेशन 'ब्लास्ट' के लिए चीनी सरकार से हाथ मिला लिया ।
इस छोटे से टापू पर अब तीन दल हैं लेकिन तीनों का एक मकसद समान है और वह है खजाने को ढूंढना।
सूरज के बेटे संगठन की प्रमुख पायला भारत सरकार की मदद लेती है और भारतीय सिक्रेट सर्विस का जासूस सागर उनकी मदद के लिए आइसलैंड आता है।
खजाने की खोज के लिए जब तीन संगठन आपस में टकराते हैं तो टापू पर तबाही का मंजर उठ खङा होता है।
प्रस्तुत उपन्यास की कहानी बहुत अच्छी है पर लेखक/संपादक की कमी से कहानी प्रभावशाली न बन सकी।
नीली आंखों वाली लङकी- राज भारती
नीली आँखों वाली लङकी कहानी है ममता और निशा की।
निशा एक जासूस है लेकिन उसकी शक्ल ममता नामक एक लङकी से मिलती है।
सिंगापुर से लौटते वक्त निशा के चक्कर में कुछ लोग ममता का अपहरण कर लेते हैं।
राणा, देव और शालू ये तीनों कहानी के खलनायक हैं। राणा और देव जिस कम्पनी में काम करते हैं वहाँ से डायमंड भी चुराते हैं। जब निशा को इस बात का पता चलता है तो राणा और देव एक प्लान के तहत को निशा के अपहरण के लिए शालू को राजी कर लेते है लेकिन गलती से शालू ममता का अपहरण कर लेती है।
एक तो डायमंड चोरी के राज खुल जाने का डर दूसरा निशा की जगह ममता का अपहरण ।
दोनों तरफ से फंस जाते है तीनों ।
उपन्यास का समापन बहुत ही रोचक व हैरतंगेज है।
- ममता का अपहरण व बार-बार उसका भागना और हर बार पकङा जाना।
- राणा का निशा के फ्लैट में चोरी से घुसना और फिर वहाँ सागर का आ जाना।
- राणा का दौलत के लिए पाशविक बन जाना।
आदि उपन्यास के रोचक अंग हैं
उपन्यास में एक जगह जिस कमरे में ममता कैद है इसकी चाबी राणा ले गया और फिर शालू ने वह गेट चाबी से खोल दिया।
उपन्यास में एक-दो सामान्य से कमियाँ रह जाती हैं, लेकिन उपन्यास पठनीय है।
अधिकतर उपन्यासों में ये तो है की शीर्षक कहानी पहले होती है और उपन्यास के पृष्ठ बढाने के लिए एक उपन्यास में एक लघु उपन्यास जोङ दिया जाता है। पर इस उपन्यास में शीर्षक नीली आँखों वाली लङकी उपन्यास बाद में दिया है और उससे पहले राजभारती का एक अन्य अनाम उपन्यास दे दिया।
दोनों कहानियों का आपस में कोई संबंध नहीं बस दोनों में सिक्रेट सर्विस का एजेंट सागर उपस्थित है। दोनों कहानियों को एक पंक्ति सागर आइसलैंड से सिंगापुर जा पहुंचा से जोङ दिया।
दोनों कहानियाँ रोचक है और पठनीय है।
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उपन्यास- नीली आँखों वाली लङकी
लेखक- राज भारती
प्रकाशक- पवन पॉकेट बुक्स-दाईवाङा, नई सङक-दिल्ली
पृष्ठ- 304
मूल्य- 20
श्रृंखला- सागर सीरिज
लेखक का पता
राज भारती
B-197, वेस्ट पटेल नगर।
दिल्ली- 110006
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