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Sunday 24 September 2017

65. टेक थ्री- कंवल शर्मा

कंवल शर्मा जेम्स हेडली चेइस के उपन्यासों का हिंदी अनुवाद करते-करते स्वयं भी लेखन क्षेत्र में आये। इनकी कहानी कहने की व भाषा- संवाद पर जबरदस्त व अनूठी पकङ के कारण पाठक इनसे प्रभावित होते है। प्रभावित भी इस स्तर पर की इनके उपन्यासों का इंतजार करते रहते हैं।
वन शाॅट, सैकण्ड चांस के बाद इनके तृतीय उपन्यास को भी पाठकों ने हाथो-हाथ लिया। इनके चौथे उपन्यास देवा जू का भी इंतजार है।
कंवल शर्मा के क्रमशः तीन उपन्यास वन शाॅट, सैकण्ड चांस, टेक थ्री अंकों की शृंखला से आये यह भी स्वयं में एक रोचक था, हालांकि लेखक के अनुसार उन्होंने उपन्यासों का नामकरण जानबूझकर नहीं किया यह सब कहानी की मांग के अनुसार स्वयं होता चला गया।

मात्र तीन उपन्यासों के दम पर कंवल शर्मा ने उपन्यास जगत में अपना जो स्थान स्थापित किया है, वह प्रशंसनीय है।

कहानी- उपन्यास का नायक एक बार मानसिक शांति की तलाश में सिक्किम जैसे बेहद खूबसूरत राज्य के शहर गंगटोक में घूमने जाता है।
होटल के जिस रूम में ठहरा वहाँ पर एक हादसा हुआ, हादसा यानि नायक के रूम में हत्या। और जिसका आरोप कथानायक पर आरोपित हुआ।
होटल मैनेजर, होटल के कर्मचारी, शहर का मेयर और यहाँ तक की पुलिस विभाग भी इस हत्या में कथानायक को आरोपी मानता है।
लेकिन जब कथा नायक अपनी बेगुनाही साबित करने उतरा तो कई सफेदपोश चेहरे बेनकाब होते गये।
एक छोटे से शहर से जुङे अंतरराष्ट्रीय अपराधी तक सामने आ गये जिसे अपने तरीके से कथा नायक निपटता चला गया।
- कौन है कथा नायक?
- क्यों एक पर्यटक को वहाँ के लोग अपराधी बनाने पर तुले हुए थे?
- क्यों पुलिस विभाग सही जांच नहीं कर रहा था?.
- कौन था मृतक?
- कौन था असली कातिल?
- क्यों हुयी हत्या?
ऐसे एक नहीं अनेक प्रश्न है जो पाठक के मस्तिष्क में उठते हैं और उनके उत्तर तो सिर्फ कंवल शर्मा के बेहद तॆज रफ्तार उपन्यास 'टेक थ्री' में ही उपस्थित हैं।

  उपन्यास का कथानक उस तेज बरसात की तरह है जो सब कुछ अपने साथ बहाकर ले जाती है। पाठक एक बार उपन्यास आरम्भ करता है तो तेज बहाव में बहता चला जाता है। क्योंकि कथानक ही इस प्रकार का है जिसमें पाठक तो क्या स्वयं कथा नायक तक उलझ कर रह जाता है।

कहानी कई प्रकार से रोचक है।
सबसे पहली तो यही पहेली है की उपन्यास का नायक जब एक शहर में घूमने के उद्देश्य से आया तो वहाँ उसके अचानक दुश्मन कैसे पैदा हो गये।
स्वयं नायक भी यही सोचता है-
"कौन है जिसने यहाँ शहर में आते ही मुझे कत्ल के केस में फंसा दिया?"
"मैं नहीं जानता।"
"तो कौन जानता है?"
'पता कर।"
"पता ही तो कर रहा हूँ....तेरे से।" (पृष्ठ -161)
किन लोगों ने एक आदमी की हत्या कर उसे उपन्यास नायक के कमरे में शिफ्ट कर दिया।
- उपन्यास में एक छोटी सी डकैती भी है।
बहुत सख्त  सिक्योरिटी होने के बाद भी एक कैसिनो की करोङों की रकम तबाह कर दी जाती है।
- उपन्यास में सिक्किम की सबसे मजबूत जेल की सुरक्षा व्यवस्था को भी भेद दिया जाता है।
उपन्यास में ऐसे कई रोचक प्रकरण है जो पाठक का जबरदस्त मनोरंजन करते हैं। कोई भी प्रकरण या घटना में अव्यवस्थित नहीं है। सभी व्यवस्थित व क्रमबद्ध हैं।

कंवल शर्मा अपनी विशेष भाषाशैली के लिए भी जाने जाते हैं जो की इस उपन्यास में भी उपस्थित है।
"बीस की उम्र में आदमी अपनी मर्जी से फैसले करता है, तीस की उम्र में अपनी अक्ल से लेकिन चालीस की उम्र आते-आते बंदा बहादुर अपने तजुर्बों से फैसले लेने लगता है।"- (पृष्ठ-207)

उपन्यास का घटनाक्रम सिक्किम के शहर गंगटोक में घटित होता है लेकिन लेखक वहाँ का जीवंत दृश्य उपस्थित न कर सकता। अधिकतर घटनाएं होटल, कैसिनो या किसी घर में ही घटित होती हैं। गंगटोक के खूबसूरत दृश्य से पाठक वंचित रह जाता है। हालांकि प्रारंभ में एक जगह वहाँ की खूबसूरती का चित्रण है।
इसके अतिरिक्त सिक्किम या गंगटोक के भौगोलिक वातावरण का चित्रण भी कहीं नजर नहीं आता।
- उपन्यास में नायक कभी कार पर होता है तो कभी कार छोङ कर भाग जाता है। अब पता नहीं क्यों पुलिस नायक की कार को हिरासत में क्यों नहीं लेती।
लेखक की एक विशेषता यह भी है की उपन्यास में समय-समय पर वर्तमान भारत की कुछ घटनाओं का जिक्र भी किया है, जिससे भविष्य में उपन्यास के समय का पता भी लगया जा सकेगा व यह भी तय होगा की कहानी किस समय की है।
जैसे- उपन्यास नें केस लेश इंडिया,स्वच्छ भारत अभियान आदि का नाम मात्र वर्णन आता है।
इसके लिए लेखक विशेष धन्यवाद के पात्र हैं।

"ऐसे गधे खुद तो कभी कूङा, कचरा पेटी में डालेंगे नहीं लेकिन निजाम के स्वच्छ भारत अभियान के फेल होने का डंका जरूर पीट लेंगे।"- (पृष्ठ-168)

अगर समग्र रूप से कहा जाये तो कंवल शर्मा का टेक थ्री एक तेज रफ्तार व पठनीय उपन्यास है। जो पाठक को अपने से अलग नहीं होने देता।
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उपन्यास- टेक थ्री
लेखक- कंवल शर्मा
प्रकाशक- रवि पॉकेट बुक्स- मेरठ
पृष्ठ- 278
मूल्य-80₹
संपर्क-
लेखक- kanwal.k.sharma@gmail.com

2 comments:

  1. सुन्दर सुरुचिपूर्ण लेख। मेरे पास कँवल जी का सेकंड चांस है। जल्द ही पढूँगा। ये भी जरूर लेता हूँ।

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  2. बहुत ही अच्छी समीक्षा।

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