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Friday, 31 March 2017

26. खाली जगह- अमृता प्रीतम

खाली जगह- अमृता प्रीतम
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स्त्री की स्थिति को जिस मजबूत तरीके से अमृता प्रीतम उठाती है, ठीक उसी भाव से लिखा गया है यह लघु उपन्यास- खाली जगह
एक मध्यमवर्गीय परिवार की शिक्षित, सुंदर लङकी मुक्ता के लिए एक अमीर व्यक्ति दिलीप राय की तरफ से शादी का प्रस्ताव आता है।
यही प्रस्ताव तीन माह पूर्व भी आया था, लेकिन तब भी मुक्ता इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं कर सकी और न ही आज स्वीकृति दे रही है।
आखिर मुक्ता स्वीकृति क्यों दे....
दिलीप राॅय की पत्नी की मृत्यु हो गयी और एक छोटा सा बेटा है।
"वह जो पूर्ण था, साबुत सालिम, उसमें से मौत ने एक टुकङा तोङ लिया था, दिलीप राय की पत्नी को, और अब उसी खाली जगह को भरना था, मुक्ता से......."
शादी का यह पैगाम, मुक्ता को लग रहा था, जैसे एक खाली जगह का पैगाम हो.....
एक मर्द के मन का नहीं, केवल घर में खाली हुई एक जगह का......
तो क्या स्त्री मात्र इस खाली जगह भरने को है, कदापि नहीं ।
मिस दिल्ली जैसी सौन्दर्य प्रतियोगिता में प्रतिस्पर्धा करने वाली एक युवती कैसे स्वीकार करेगे इस रिश्ते को, जो एक पत्नी बनने से पहले एक बच्चे की माँ बन जायेगी।
दिलीप राय और मुक्ता की शादी हो जाती है।

"हर लङकी ब्याह की पहली रात किस कमरे में दाखिल होती है, कभी उस कमरे का मालिक उसके स्वागत के लिए वहां नहीं होता....

  औरत के मन की बात जिस विशेष अंदाज में अमृता प्रीतम प्रस्तुत करती है वह प्रत्येक पाठक को छू जाती है।
औरत मात्र किसी पुरुष या समाज की खाली जगह की पूर्ति करने वाली कोई वस्तु नहीं है।
औरत का स्वतंत्र अस्तित्व है और इसी अस्तित्व को महसूस करती है - मुक्ता।
हालांकि कहानी का समापन एक त्रासदी के अंत तक पहुंच कर भी सुखद है।
एक माँ की ममता को जिस विशेष अंदाज में दिखाया है वह रोचक है।
अमृता प्रीतम का यह लघु उपन्यास पढने योग्य है। सरल, रोचक शब्दावली के साथ लिखा गया यह उपन्यास, अपने अंदर गंभीरता भी समाहित किये हुए है।
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उपन्यास- खाली जगह
लेखिका- अमृता प्रीतम
1. अमृता प्रीतम के परिचय के लिए यहाँ क्लिक करें।
2. अमृता प्रीतम से संबंधित ब्लाॅग के लिए यहाँ क्लिक करें।

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