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दस बाल पुस्तकें

बाल साहित्य और हम 
बाल साहित्य की दस किताबों पर समीक्षा

मेरे विद्यालय 'राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय- 6LC' मॆं पुस्तकालय अभी शिशु अवस्था में है । यहां लगभग एक हजार किताबें हैं। उनमें से अशिकतर किताबें बाल साहित्य या कम पृष्ठ की लघु रचनाएं हैं। 
इनमें से कुछ रचनाएं जो मुझे अच्छी लगी उनके विषय में हम यहां चर्चा करेंगे । इस माह मैंने बाल साहित्य पर ध्यान केन्द्रित किया है । और इस पोस्ट में मैंने बाल साहित्य की दस लघु रचनाओं को एक साथ समाहित किया है।

01. महाराजा रणजीत सिंह - प्रीतम‌ सिंह
   

पंजाब के इतिहास में महाराजा रणजीत का नाम बहुत ही मान- सम्मान से लिया जाता है। कहां जाता है उनका शासन एक आदर्श शासन रहा है और महाराजा रणजीत सिंह एक जनप्रिय शासक रहे हैं।
  प्रस्तुत रचना में एक नानी अपने बच्चों को बहुत ही रोचक ढंग से महाराजा रणजीत की कहानी सुनाती है। 
इस लघु रचना की बड़ी विशेषता है इसका प्रस्तुतीकरण, कहानी कहने की कला । रचनाकार ने पुस्तक को कहीं भी ज्यादा तथ्यात्मक, आंकड़े युक्त बनाने का प्रयास नहीं किया है। इसे एक कहानी के रूप में दर्शाया गया है और वह भी छोटे बच्चों के स्तर अनुसार ।
   ऐसे प्रयास बच्चों में महापुरुषों के विषय में जानकारी प्रदान करने में सफल भी होते हैं। और कुछ वाक्य बच्चों में प्रेरणा प्रदान करने वाले भी नजर आते हैं।
पुस्तक- महाराजा रणजीत सिंह
पृष्ठ-     32
अनुवाद- रमेश बक्षी
चित्रांकन- नीता गंगोपाध्याय
मूल्य- 35₹
प्रस्तुत संस्करण- 2022

 

2. धरती से सागर तक- विनीता सिंघल
बाल साहित्य के अंतर्गत पढें एक रोचक और ज्ञानवर्धक पुस्तक ।

इतवार का दिन था और हर इतवार की तरह आज भी अंशु अपने दादा जी के साथ समुद्र के किनारे सैर करने आया था। उसे दूर-दूर तक फैला नीला सागर और उसमें उठती ऊंची लहरें आकर्षित करती थीं। समुद्र की लहरें जब किनारे को छूकर वापस लौटतीं तो पीछे छोड़ जाती थीं ढेर सारे शंख और सीपियां, जिन्हें इकट्ठा करना अंशु को बहुत अच्छा लगता था। उसने शंख और सीपियों का ढेर-सा खजाना इकट्ठा कर लिया था ।
  नमस्ते पाठक मित्रो,
आज प्रस्तुत है बाल साहित्य के अंतर्गत NBT द्वारा प्रकाशित एक छोटी सी पुस्तिका । यह छोटी सी रचना छोटे बच्चों पर आधारित है और छोटे बच्चों के लिए ही है ।
इसमें  हम जानेंगे धरती से लेकर सागर तक और सागर से लेकर धरती की अथाह गहराइयों तक ।
कहानी है अंशु नामक एक छोटे बच्चे की जो अपने दादा के साथ समुद्र किनारे शंख और सिपियां एकत्र कर रहा है । अंशु एक जिज्ञासु बालक है औ उसके दादा उसकी हर बात को ध्यान से सुनते हैं और उसके प्रश्नों का ज्ञानवर्धक उत्तर भी देते हैं।
  
"अच्छा मान लीजिए दादा जी, अगर सब जगह समुद्र ही समुद्र होते तो...?"
"तो न हम होते, न तुम होते...।"
"वह क्यों ?"
"जीवन के लिए पांच तत्व जरूरी होते हैं वायु, अग्नि, जल, प्रकाश और पृथ्वी । अगर इनमें से एक भी तत्व का अभाव हो तो जीवन संभव नहीं।"

   अंशु अपने मम्मी- पापा और बहन गीतू के साथ अण्डमान निकोबार घूमने जाता है जहां उनकी मुलाकात डाक्टर मित्रा से होती है जो बच्चों को वहां के भूगोल की अच्छी जानकारी देते हैं।
दोनों बच्चे जिज्ञासु हैं और डाक्टर मित्रा उनके प्रश्नों के उत्तर देते हैं। यहां ज्वालामुखी, पृथ्वी निर्माण आदि पर रोचक जानकारी मिलती है।
  वहीं नाव की यात्रा के मध्य भी समुद्र, जलीय जीव आदि पर दोनों प्रश्नों के माध्यम से उत्तर प्राप्त करते हैं।
दोनों बच्चों का जिज्ञासु मन न सिर्फ पाठक को उत्तर देता है बल्कि उत्तर के साथ रोचक भी प्रदान करता है।
  यह रचना जहाँ छोटे बच्चों के लिए ज्ञानवर्धक है वहीं वयस्कों को भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है।
   अगर आप अपने बच्चों को अच्छा साहित्य देना चाहते हैं, उनके ज्ञानवर्धक में सार्थक वृद्धि करना चाहते हैं तो यह रचना अत्यंत उपयोगी साबित हो सकती है।
पुस्तक में रंगीन चित्र, उच्च गुणवता के पृष्ठ इसको और अच्छा बनाते हैं।

  National Book Trust की किताबों में शाब्दिक गलतियाँ होती नहीं पर इसमें तीन जगह शाब्दिक त्रृटियां नजर आयी ।
किताब- धरती से सागर तक
पृष्ठ-      36+2
मूल्य-    70₹
चित्राकंन- बिनय सिन्हा

Wednesday, 29 January 2025

628. जगिया की वापसी - अन्नाराम 'सुदामा'

बाल शोषण की मार्मिक कहानी
जगिया की वापसी- अन्ना राम सुदामा

 बाल मजदूरी पर एक छोटे से बच्चे की एक मार्मिक कहानी है 'जगिया की वापसी' । कहानी पढते वक्त आप स्वयं को जगिया के दर्द के साथ जोड़ लेंगे। एक बच्चा किन कठिन परिस्थितियों में अपने परिवार के लिए काम करता है और कैसे लोग उसकी मासूमियत और परिश्रम का लाभ उठाते है ।

 राजस्थानी भाषा की सौंधी महक और परिवेश से सज्जित यह हिंदी में लिखित रचना आपको अवश्य पढनी चाहिए ।
'जगिया की वापसी'राजस्थान के एक क्षेत्र की है। जगिया एक गरीब परिवार का बालक है।‌ बाप शराबी है, बड़ा भाई बकरियाँ चराता है और मां किसी तरह घर को चलाती है। बीमार माँ के लिए दो वक्त की रोटी की व्यवस्था करना बहुत मुश्किल कार्य है लेकिन फिर भी वह घर परिवार को संभालती है । जब ज्यादा काम होता है तो वह जगिया को भी काम पर साथ लगा लेती है और जगिया का स्कूल जाना बंद हो जाता है। और कभी कभी जगिया महीना भर स्कूल नहीं जा पाता ।

Sunday, 26 January 2025

क्ली टापू पर रोमांच- तुनका भौमिक एंडो

तीन साहसी बच्चों का रोमांचक कारनामा
क्ली टापू पर रोमांच- तुनका भौमिक एंडो

लीशा समय-चक्र से बाहर निकल आई थी। वह अपने खयालों में इतनी खोई थी कि अपने आसपास की चकाचौंध पर भी उसकी नजर नहीं गई। 15 साल की उम्र के हिसाब से लीशा की लंबाई ज्यादा थी। उसके काले बालों की चोटी बनी थी। उसने चमकीले रंग का जो स्पेस सूट पहन रखा था, वह उसके दुबले शरीर पर एकदम सही बैठ गया था। वह एक परिसर में दाखिल हुई, जहां मधुमक्खी के विशाल छत्ते की तरह मकान बने थे। परिसर में हजारों छोटे-छोटे अपार्टमेंट बने थे। वह अपने घर के दरवाजे की ओर बढ़ी। उसने दरवाजे पर अपनी हथेली रखी, दरवाजा खुल गया और वह अंदर दाखिल हुई। गोलाकार बैठक मद्धिम, नारंगी रोशनी से रोशन हो गई और लीशा का पसंदीदा संगीत बजने लगा। स्पेस सूट उतार कर लीशा ने सूती कुर्ती पहनी और आराम से कमरे में चहलकदमी करने लगी।
उसने दीवार पर लगा एक बटन दबाया और दीवार एक विशाल पर्दे में बदल गई। डिजिटल वालपेपर सक्रिय हो गया था। घर के दूसरे कमरों की तस्वीर पर्दे पर दिखने लगी। लीशा ने देखा कि घर एकदम खाली था। डिजिटल पर्दा बंद कर वह मैसेज डेस्क पर गई। उसके सामने तुरंत उसकी मां की तस्वीर आ गयी । (प्रथम पृष्ठ से)

'क्ली टापू पर रोमांच' भविष्य की कहानी है हमें आने वाले खतरे की प्रति सचेत भी करती है। अपने कलवर में चाहे यह लघु है पर इसका संदेश का दायरा विस्तृत है। आप कल्पना कीजिए उस भविष्य की जहां आधुनिक और अति आधुनिक संयंत्र, कम्प्यूटर-इंटरनेट, भव्य बिल्डिंग और युद्ध सामग्री तो हमारे पास होगी पर हम से हमारा पर्यावरण और  शुद्धता छीन ली जायेगी ।
आप कल्पना कीजिए एक ऐसे समय की जहाँ पक्षी अतीत की बात होंगे, जहां रोबोट तो होंगे, जहां टाइम ट्रेवल्स तो संभव होगा पर 'हम' सब तकनीक के अधीन होंगे।

Saturday, 25 January 2025

चमकदार गुफा- अरूप कुमार दत्त

नमक की तलाश में साहसी बालक
चमकदार गुफा- अरूप कुमार दत्त

चलो आज चलते हैं अरुणाचल प्रदेश के नोक्ते नामक कबीले के दो साहसी बच्चों के साथ एक रोचक और साहसी यात्रा पर...

   "लो...चखो," दादी मां कैमलांग ने कहा।
चूल्हे पर उफनती हुई कड़ाही से उसने एक करछुल भर शोरबा निकाला। बड़ी अच्छी महक उठ रही थी। घेन्याक और छंगुन के मुंह में पानी आ आया। वे तो इसी इंतजार में बठ थे। दादी मां कैमलांग ने बांस की करछुल में फूंक मारकर शोरबे को ठंडा किया। फिर उसने थोड़ा-थोड़ा करके दोनों के खुले हुए ललचाए मुंह में डाल दिया।

625. पांच जासूस - शकुंतला वर्मा

नन्हें जासूसों की बड़ी कहानी
पांच जासूस - शकुंतला वर्मा

बच्चों ने मिलकर एक सोसाइटी बनाई - सीक्रेट सोसाइटी इसका उद्देश्य था ईर्ष्या-द्वेष से परे रहकर, बिना किसी भेदभाव के सबकी सहायता करना। इस सोसाइटी के एक सदस्य निखिल का अपहरण, बच्चे पकड़ने वाला एक गिरोह कर लेता है। क्यों ? सीक्रेट सोसाइटी के अन्य सदस्य क्या इस गिरोह के पंजे से निखिल को छुड़ा पाते हैं? आओ, इस रोमांचक अभियान में शामिल हों।

   जनवरी 2025 में बाल साहित्य को प्राथमिकता दी गयी है जो की काफी रोचक और पठनीय है। बाल साहित्य की काफी सामग्री मेरे पास उपलब्ध है लेकिन पढने का समय कम मिलता है। प्रस्तुत रचना 'पांच जासूस' लगभग दस सालों से मेरे पास उपलब्ध थी पर अब जाकर पढने का समय मिला है ।
    यह कहानी है सातवी-आठवी में पढने वाले कुछ साहसी बालकों की जो अपने साहस और बुद्धि से कठिन परिस्थितियों में हार नहीं मानते और सफलता प्राप्त करते हैं।

Friday, 24 January 2025

624. डाक बाबू का पार्सल- द्रोणवीर कोहली

संवेदना और रोमांच की प्यारी सी कहानी
डाक बाबू का पार्सल- द्रोणवीर कोहली
नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा 'नेहरू बाल पुस्तकालय' के अंतर्गत बच्चों के लिए बाल साहित्य का प्रकाशन किया जाता है और इसी में सन् 1994 में एक किताब प्रकाशित हुई 'डाक बाबू पार्सल' जिसकी आठवी आवृत्ति 2012 में हुयी । मेरे पास उपलब्ध संस्करण 2012 का है।
  यह एक डाक बाबू के माध्यम से रची गयी हास्य, रोमांच और संवेदना से परिपूर्ण लघु रचना है।
पहले हम 'डाक बाबू का पार्सल' का प्रथम पृष्ठ देखते हैं जो कहानी को स्पष्ट करने में सहायक होगा।

हिमाचल प्रदेश में कुल्लू घाटी में एक पहाड़ी कसबा है। नाम है उसका पनारसा ।

Tuesday, 21 January 2025

623. टोडा और टाहर - ई. आर. सी. दावेदार

मानवीय संवेदना और औद्योगीकरण की कहानी
टोडा और टाहर - ई. आर. सी. दावेदार

बाल साहित्य के अंतर्गत प्रस्तुत है एक अनुदित रचना जो एक बालक और उसके जानवर मित्र की रोचक कहानी है।

 
"कौन है वहां ?" करनोज ने कड़कती आवाज में पूछा। उसका कुत्ता कूच भी गुर्राया। दोनों के कान खड़े हो गए।
बालक करनोज अपने कुत्ते के साथ आसमान की ओर उभरी एक पहाड़ी चट्टान पर खड़ा था। उनके ठीक नीचे एक गहरी डरावनी खाई थी। वे इंतजार में ही थे कि फिर वही आवाज आयी। तड़प भरी चीख अब धीमी पड़ने लगी थी। करनोज को समझते देर नहीं लगी कि दो ऊंची चट्टानों के बीच स्थित जंगल की संकरी पट्टी से वह चीख उभरकर आयी थी। करनोज अपने कुत्ते के साथ उस पहाड़ी की तीखी ढलान पर तेजी से उसी दिशा में पूरी सावधानी के साथ दौड़ पड़ा। एक कदम भी गलत पड़ जाता तो सीधा फिसलकर वह खाई में जा गिरता। उन्होंने छोटे से सीलन भरे और अंधेरे जंगल में प्रवेश किया। करनोज अब धीरे-धीरे बढ़ने लगा और अंधेरे में देखने की कोशिश करने लगा। मंद रोशनी में उसे जाल में फंसा हुआ एक नन्हा नीलगिरि टाहर दिखाई पड़ा। वह आखिरी बार हल्के से मिमियाया और छटपटाना बंद करके एकदम शांत होकर गिर पड़ा। करनोज ने सोचा, वह मर गया है। फंदे के तार से उसकी गर्दन अंदर तक कट गयी थी और वहां से खून बह रहा था।
(पुस्तक अंश)

Sunday, 12 January 2025

622. विशु जंगल में - सरोज कृष्ण

कहानी साहसी बालक निशा और विशु की
विशु जंगल में - सरोज कृष्ण

"निशा, आज तो जल्दी घर पहुंचना होगा," विशु ने स्कूल बस से उतरते ही निशा को बताया.
"क्यों ? कल डांट पड़ी थी क्या ?"
"नहीं, मगर मां कहती हैं कि बस से उतरते ही सीधे घर आया करो."
"हम सीधे ही तो घर जाते हैं, " निशा ने इतने भोलेपन से कहा कि विशु की हंसी छूट गई.
"हां, बस, नीम के पेड़ के नीचे जरा सा सुस्ता लेते हैं, "
विशु ने शरारत से कहा तो दोनों एक साथ खिलखिला पड़े. उन की सरल व मासूम हंसी बड़ी ही मनमोहक थी.
"ठीक है विशु, आज हम सचमुच जल्दी घर पहुंच जाएंगे. मां और आंटी को नाराज होने का अवसर ही नहीं देंगे."
"हां, ठीक है, चलो भाग कर चलते हैं."
निशा और विशु ने अपने स्कूल बैग को कंधों पर ठीक से चढ़ाया और एकदूसरे का हाथ पकड़ कर कदम से कदम मिला कर दौड़ने लगे.
कंधों पर भारी बैग, उस पर चिलचिलाती धूप, अभी आधी फरलांग की दूरी भी तय नहीं हो पाई थी कि वे पसीने से भीग गए और उन की सांस फूलने लगी.
निशा के कदमों की गति धीमी होती देख विशु ने उस का उत्साह बढाया, ''बस थोड़ा सा और चलो, नीम का पेड़ आने ही वाला है."

  कहानियाँ पढने की रुचि मुझे बचपन से ही थी । बचपन में बालहंस, चंपक, लोटपोट, मधु मुस्कान के अतिरिक्त नन्हें सम्राट भी हाथ लग जाती थी। बालपत्रिकाओं से काॅमिक्स और फिर किशोर पत्रिकाएं भी पढी हालांकि किशोर पत्रिकाएं कम ही आती थी जिनमें से कादम्बिनी प्रमुख थी । 

Thursday, 9 January 2025

621. आपरेशन डम डम डिगा डिगा- संजीव जायसवाल 'संजय'

डाक्टर डिमांगो का कहर और प्रोफेसर का आविष्कार
आपरेशन डम डम डिगा गिडा- संजीव जायसवाल 'संजय'

विश्व विजय प्राइवेट लिमिटेड बुक्स दिल्ली द्वारा बाल साहित्य की रोचक किताबों का प्रकाशन सराहनीय प्रयास है।
प्रस्तुत लघु बाल उपन्यास प्रसिद्ध लेखक संजीव जायसवाल 'संजय' जी की एक्शन, रोमांच से परिपूर्ण विज्ञान गल्प है।
  यह कहानी है एक प्रोफेसर के आविष्कार और विश्व विजेता बनने के स्वप्न लेने वाले खतरनाक डाक्टर डिमांगो की।
        प्रोफेसर हेमंत राय की आंखों में आज एक विशेष चमक श्री. पिछले दो वर्षों से वे जिस महत्वपूर्ण आविष्कार के लिए दिनरात जुटे हुए थे वह पूर्ण हो गया था. आज विज्ञान भवन में वे महत्वपूर्ण केन्द्रीय मंत्रियों, तीनों सेनाओं के सर्वोच्च अधिकारियों और देश के प्रमुख वैज्ञानिकों के समक्ष अपने उस महत्वपूर्ण आविष्कार का प्रदर्शन करने जा रहे थे.